- कैंट हॉस्पिटल और कैंट के कुछ इलाकों में कम रहा नॉयज पॉल्यूशन
- शास्त्रीनगर और थापर नगर में भी मानक से अधिक पॉल्यूशन
- डिपार्टमेंट ने आठ जगहों पर नापा था नॉयज पॉल्यूशन
Meerut : दीपावली के दिन सबसे अधिक नॉयज पॉल्यूशन फैलाने वालों में रेलवे रोड और बेगमपुल जैसे कमर्शियल इलाके रहे। अगर दोनों के ही इलाकों के आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो पिछले हफ्ते के मुकाबले यहां पर करीब 10 से 15 डेसीबल तक अंतर देखने को मिला। कई ऐसे इलाके रहे जहां पर नॉयज पॉल्यूशन का स्तर 70 डेसीबल से अधिक देखा गया। अधिकारियों की मानें तो इस बार ये लेवल पिछले वर्ष के मुकाबले थोड़ा कम हुआ है, जबकि ताज्जुब की बात तो ये है कि इस पटाखों की खरीदारी काफी ज्यादा हुई है।
पल्लवपुरम में 10 से 15 डेसीबल का अंतर
ताज्जुब की बात तो ये है जहां पर पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड का रीजनल ऑफिस है वहां पर पॉल्यूशन बाकी दिनों के मुकाबले करीब 20 डेसीबल अधिक था। जहां 5 नवंबर को पल्लवपुरम में नॉयज पॉल्यूशन लेवल 55.8 डेसीबल था वहीं दीपावली के दिन 73.4 डेबीसल के आंकड़े को छुआ। सबसे अधिक नॉयज पॉल्यूशन रेलवे रोड और बेगमपुल आंका गया। रेलवे रोड में सबसे अधिक 80.4 डेबीसल रहा। जबकि 5 नवंबर को 66.4 डेबीसल था। वहीं बेगमपुल में दीपावली को 78.2 डेबीसल नॉयज पॉल्यूशन आंका गया। जबकि 5 को वहां पर 67.8 डेबीसल था।
कैंट हॉस्पिटल के आसपास रहा कम
वहीं अगर बात सबसे कम नॉयज पॉल्यूशन इलाकों की बात करें तो कैंट हॉस्पिटल एवं आसपास के इलाकों में सबसे दर्ज की गई। यहां पर दीपावली के दिन 52.5 डेसीबल का आंकड़ा छुआ। जबकि 5 नवंबर को 50.8 डेसीबल दर्ज किया गया था। वहीं कैंटोनमेंट में भी बाकी इलाकों के मुकाबले कम ही नॉयज पॉल्यूशन मिला। जहां यहां पर 5 नवंबर को 48.2 डेसीबल दर्ज किया गया था, वहीं दीपावली के दिन 61.2 डेसीबल दर्ज हुआ।
कहां कितना रहा नॉयज पॉल्यूशन
स्थान 5 नवंबर 11 नवंबर
कैंट हॉस्पिटल 50.8 डेसीबल 52.5
रेलवे रोड 66.4,, 80.4,,
थापर नगर 54.2,, 75.9,,
बेगमपुल 67.8,, 78.2,,
कलेक्ट्रेट 60.9,, 72.4,,
शास्त्रीनगर 52.4,, 75.9,,
कैंटोनमेंट 48.2,, 61.2,,
पल्लवपुरम 55.8,, 73.9,,
पिछले वर्ष दीपावली के दिन की स्थिति
कहां कितना रहा नॉयज पॉल्यूशन
स्थान
कैंट अस्पताल 51.8
रेलवे रोड 67.6,,
थापर नगर 78.7,,
बेगमपुल 80.5,,
कलेक्ट्रेट 69.5,,
शास्त्रीनगर 77.2,,
कैंटोनमेंट 66.6,,
पल्लवपुरम 70.4,,
दीपावली से पहले और बाद में ध्वनि का स्तर मापा गया, किंतु स्वास्थ्य को नुकसान जैसी कोई विशेष स्थिति नहीं है। पटाखों के आसपास ध्वनि प्रदूषण की सीमा सामान्य ही रही।
- डॉ। बीबी अवस्थी, क्षेत्रीय नियंत्रक, प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड
ध्वनि प्रदूषण से पेट में छाले, हृदय रोग, हार्मोन्स में असंतुलन, कान के पर्दे में विकार सहित मेमोरी लॉस जैसी कई बीमारियां हो सकती हैं। गर्भस्थ शिशुओं में विकार भी आ सकता है।
- डॉ। तनुराज सिरोही, फिजीशियन
ध्वनि प्रदूषण से पक्षी अपना स्थान बदल लेते हैं, कई बार अंडा देना भी बंद कर देते हैं। जो पारिस्थितकी तंत्र के लिए बड़ा खतरा है। किंतु बोर्ड की रिपोर्ट से प्रतीत होता है कि यह टेबल रिपोर्ट है।
- रजत भार्गव, वन्य जीव विशेषज्ञ
40 करोड़ रुपए के पटाखे बिके
सबसे बड़ी बात तो ये है कि पिछले वर्ष के मुकाबले इस साल 10 करोड़ रुपए के पटाखों की बिक्री अधिक हुई है। ऐसे में नॉयल पॉल्यूशन कम आना काफी संदेह पैदा कर रहा है। संयुक्त व्यापार संघ के अध्यक्ष नवीन गुप्ता की मानें तो इस बार दीपावली के मौके पर करीब 40 करोड़ रुपए के पटाखों की बिक्री हुई है।