मेरठ ब्यूरो । न्यूटिमा हॉस्पिटल की ओर से जन्मदोष जागरूकता माह मनाया गया। इस अवसर पर डॉक्टर्स ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जन्मदोष माह का उद्देश्य जन्म दोष के रोकथाम, शीघ्र पहचान व समय पर प्रबंधन के बारे में जागरूकता फैलाना है। जन्मदोष एक सामाजिक विषय है, जो गर्भावस्था के दौरान विकसित हो सकता है और जो शिशु के जन्म के समय या बाद में देखा जा सकता है।

हो सकता है बचाव

उन्होंने बताया कि गर्भावस्था के पहले तिमाही में गर्भावस्था में मां के फौलिक एसिड की गोली खाने से बच्चे की न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट को बचा जा सकता है। मां के 30 साल से अधिक आयु में गर्भधारण करने वाली महिलाओं को गर्भ के तीसरे माह में ट्रिपल मार्कर टेस्ट कराना चाहिए, इससे डाउन सिंड्रोम नामक बीमारी की जानकारी मिल सकती है। ब्लड टेस्ट द्वारा रुबेला इंफेक्शन व डाउन सिंड्रोम के रिस्क का पता लगाया जा सकता है। गर्भावस्था के दौरान इको कोर्डियोग्राफी करके हदय की गंभीर गड़बड़ी को डिटेक्ट किया जा सकता है। एवं समय रहते डायग्नोसिस होने से उस बीमारी का पूर्व उपचार उसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। हर गर्भवती महिला एवं उसके परिवार को जन्म दोषों के बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए ताकि उन्हें उचित देखभाल मिल सके।

ये लोग रहे मौजूद

इस अवसर पर विभिन्न डॉक्टर्स द्वारा संबंधित जानकारियां दी गई और जागरूक किया गया। इस अवसर पर मुख्य रूप से आईएपी प्रेसिडेंट डॉ। पीपी एस चौहान, आईएपी सेकेट्री डॉ। शरद जैन, वरिष्ठ नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ। अमित उपाध्याय ,डॉ। प्रियंका गुप्ता, डॉ। विजय सिंह, डॉ। दीपक गोयल, डॉ। विनोद अहूजा, डॉ। तरूण गोयल आदि मौजूद रहे।