- सप्लाई पर रोक के बाद पाइप लाइन साफ करने के नाम पर नालों में बहा 5 क्यूसेक गंगाजल

- मेयर ने गंगाजल को बताया गंदा जबकि जल निगम का दावा स्वच्छ और पीने योग्य है पानी

Meerut : एक ओर जनता बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रही है, वहीं मेयर की जिद से 5 क्यूसेक (11.25 एमएलडी) पानी नालों में छोड़ दिया गया। शहरवासियों के गंगाजल को गुरुवार को नालों में बहा दिया है। सर्किट हाउस क्लियर वाटर रिजर्वायर (सीडब्ल्यूआर) पर बहुप्रतीक्षित गंगाजल की सप्लाई मंगलवार से शुरू की गई थी। बिना अनुमति सप्लाई शुरू करने पर जल निगम को मेयर ने आड़े हाथों लिया था। मेयर के आदेश के बाद गंगाजल की सप्लाई को रोककर पाइप लाइन साफ करने के नाम पर गुरुवार को नालों में पानी छोड़ा गया।

62 हजार लोगों की पूरी होती जरूरत

जल निगम गंगाजल शुद्ध होने का दावा कर रहा है, वहीं मेयर इसे गंदा बता रहे हैं। मेरठ में प्रति व्यक्ति पानी की खपत 180 लीटर है। ऐसे में मेयर के आदेश के बाद बूंद-बूंद पानी के लिए जूझ रही शहर की 62500 की आबादी के हिस्से का गंगाजल नालों में बह गया। विभाग मेयर की ओर से ओके न मिलने तक शुद्ध गंगाजल को नालों में बहाएगा। घरों तक पहुंचने वाला 5 क्यूसेक पेयजल गुरुवार को नालों में गिरा तो वहीं 5 क्यूसेक का दोहन उस आबादी की आवश्यकता की पूर्ति के लिए किया गया जो गंगाजल से हो सकती थी। 10 क्यूसेक पानी का नुकसान उठाना पड़ा।

नाले में बहा

सर्किट हाउस सीडब्लयूआर पर रोक के बाद गुरुवार को मेघदूत सिनेमा और जलीकोठी के नाले में गंगाजल को छोड़ा गया। 5 क्यूसेक पानी नालों में दिनभर बहता रहा तो लोग कौतूहल से उस ओर देख रहे थे।

गलती किसी की भुगत रही जनता

गंगाजल की सप्लाई बंद होने को लेकर गलती तो किसी की है और इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। नगर निगम ने सर्किट हाउस अंडरग्राउंड टैंक की सफाई नहीं की। जल निगम पर बिना टेस्टिंग के गंगाजल देने का आरोप लगा और मेयर ने सप्लाई रोक दी। गंगाजल की सप्लाई की शासन को जानकारी दे चुके जल निगम के सामने मेयर के फरमान के बाद संकट खड़ा हो गया है। बेशक मेयर के आदेश पर गंगाजल की सप्लाई रोक दी, किंतु आज भी जल निगम का दावा है कि गंगाजल साफ है जबकि सीडब्ल्यूआर की सफाई नगर निगम को करानी चाहिए।

आमने

गंगाजल में गंदगी आने की शिकायत मिली थी। इसके बाद सर्किट हाउस जाकर गंगाजल देखा तो वाकई पानी में मिट्टी और रेत था। इसीलिए दोबारा से चेकिंग करने के लिए जल निगम के अधिकारियों को बोला है। गंगाजल को नाले में नहीं बहाना चाहिए। कमिश्नर से इसकी शिकायत की जाएगी।

हरिकांत अहलूवालिया, मेयर

मेयर के आदेश के बाद गंगाजल की सप्लाई रोक दी गई है। पाइप लाइन में मिट्टी की शिकायत मेयर कर रहे थे, सफाई के लिए पानी पाइप लाइन से गुजारकर नालों में छोड़ रहे हैं। रही बार अशुद्धि की तो गंगाजल साफ है, चाहें तो सैंपल करा लें। सीडल्यूआर की सफाई अवश्य दो साल से नहीं हुई है।

रामहेत सिंह, परियोजना अधिकारी गंगाजल

गुरुवार को

5 क्यूसेक (11.25 एमएलडी)-गंगाजल नाले में बहा।

10 क्यूसेक (22.50 एमएलडी)-गंगाजल मिलाकर पानी का हुआ दोहन।

180 लीटर-मेरठ में प्रति व्यक्ति खपत।

62500-व्यक्तियों की खपत का पानी नालों में बहा।