- बेरिकेडिंग के बाद भी पैदल जाकर कॉलोनियों में अखबार दे रहे कर्मयोगी

Meerut । लॉकडाउन के चलते जहां लोगों का घरों से बाहर निकलना बंद है। वहीं लोगों तक अखबार पहुंचाना हमारे कर्मयोगियों के लिए किसी चैलेंज से कम नही है। परेशानियां बहुत हैं लेकिन उन सभी परेशानियों का सामना करते हुए कर्मयोगी रोजाना समय से अपने पाठकों के घर तक अखबार पहुंचा रहे हैं। शहर की कई कॉलोनियों में सुरक्षा की दृष्टि से भले ही बैरकेडिंग लगा दी गई हों लेकिन कर्मयोगी अपनी और अपने अखबार की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए घरों तक अखबार पहुंचा रहे हैं। हालांकि, इस दौरान कुछ कॉलोनियों में एंट्री बैन कर दी गई है। ऐसे में कर्मयोगियों को गेट के बाहर से ही अखबार सप्लाई करना पड़ रहा है। लेकिन उसके बाद भी शहर के ही अधिकतर कॉलोनियों में सप्लाई लगातार जारी है।

सुरक्षित है आपका अखबार

कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए सोसाइटी व कॉलोनियों में एंट्री में रोक लग गई ऐसे में कर्मयोगियों के सामने उन इलाकों में घर-घर तक अखबार पहुंचाने में काफी परेशानी आ रही है। इस समस्या को दूर करने के लिए कर्मयोगी गेट पर सिक्योरिटी गार्ड के माध्यम से अखबार पहुंचा रहे हैं। कॉलोनियों के एंट्री पाइंट पर बकायदा पाठक के लिए अखबार रखे जा रहे हैं। लोग गेट पर ही आकर अपना अखबार कर्मयोगी से ले रहे हैं। इतना ही नही कर्मयोगी लोगों को इस बात का भी पूरा यकीन दिला रहे हैं कि उनका अखबार पूरी तरह सुरक्षित भी है और वो खुद सुरक्षा के पूरे इंतजाम के बाद ही अखबार ला रहे हैं। शहर में अधिकतर रेग्यूलर पाठकों के यहां अखबार पहुंच रहा है और लोग विश्वास के साथ अखबार पढ़ रहे हैं।

पैदल ही जाना पड़ता है घरों में

वहीं शहर के आउटर एरिया में अखबार पहुंचाने वाले कर्मयोगियों के लिए अखबार पहुंचाना अधिक चैलेंजिंग है। आउटर एरिया में अखबार पहुंचाने के लिए पहले एक ही कर्मयोगी को जाना पड़ता था लेकिन अब दो दो कर्मयोगी इस काम में जुटे हैं। दरअसल आउटर एरिया में बल्लियां बांस लगाकर रास्ते बंद हैं। ऐसे में एक कर्मयोगी साइकिल पर रूक जाता है दूसरा कर्मयोगी पैदल ही अखबार लेकर आउटर एरिया व आसपास के गांव में घर घर तक अखबार देकर आता है। ऐसे में कर्मयोगियों की मेहनत के चलते पाठकों को रोजाना अपना प्रिय अखबार पढ़ने को मिल रहा है।

कोटस-

कुछ सोसाइटीज में बाहर से ही मना कर दिया गया है एंट्री के लिए, ऐसे में गेटकीपर की मदद से अधिकतर घरों में अखबार पहुंचाने का प्रयास किया जाता है।

- पुष्पेंद्र सागर, कर्मयोगी

शहर के आउटर एरिया और आसपास के गांव में तो दो कर्मयोगी को जाना पड़ रहा है एक साइकिल की निगरानी के लिए जाता है तो दूसरा पैदल घरों में जाकर अखबार देता है।

- कृष्ण, कर्मयोगी

पेमेंट को लेकर कुछ परेशानी हो रही है लोग कैश देने के बजाए ऑनलाइन भुगतान कर रहे हैं। कुछ कालोनियों में एंट्री बैन की है तो गेट पर ही गेटकीपर की मदद से अखबार पहुंचाया जा रहा है।

- पुष्पेंद्र कुमार शर्मा, कर्मयोगी

हमारे यहां अखबार की सप्लाई लगातार जारी है और हमें भी पूरा विश्वास है कि अखबार पूरी तरह सुरक्षित हैं।

- सन्नी मनचंदा, सरस्वती लोक

शुरुआत में कुछ भ्रम था कहीं अखबार के साथ कोरोना ना आ जाए लेकिन अब यह भ्रम दूर हो चुका है। इस विपरीत परिस्थिति में भी कर्मयोगी समय से रोजाना अखबार पहुंचा रहे हैं - पंकज भाटिया, मयूर विहार

अखबार के बिना तो दिन भी शुरु नही होता है। ऐसे में अखबार रोजाना नियमित रूप से मिलना वह भी इन परिस्थितियो में बहुत ही प्रशंसा की बात है।

- शिखा, कंकरखेड़ा