गोलमाल

लोगों की शिकायत पर कार्रवाई दूर, सुनवाई भी नहीं होती

अवैध वसूली को बाजीगरी दिखा रहे बाबू

-आवंटियों को मजबूर कर वसूली जाती है मोटी रकम

-फाइलों में हेराफेरी कर खेलते हैं भ्रष्टाचार का खुला खेल

Meerut। किस आवंटी की फाइल दबानी है, किसकी फाइल को पंख लगाने हैं या किस फाइल को दफ्तर से ही समूल गायब कर देना है। ये काम एमडीए बाबुओं की रोजमर्रा में शुमार हैं। यही नहीं आधे से अधिक बाबू तो पार्ट टाइम रियल एस्टेट के काम में उतर आएं है। संपत्ति अनुभाग में रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया बाबू तो बस एक बानगी भर है। असल में तो प्राधिकरण में बाबुओं का होल्ड है। संपत्ति और मानचित्र अनुभाग में तो बाबुओं का खुला खेल चलता है।

खूब चलती है बाबूगिरी

'अफसरों से काम कराना आसान और बाबुओं से कराना मुश्किल' एमडीए में एक कहावत आम है। दरअसल, एमडीए में बाबुओं के आगे किसी का बस नहीं चलता। जबकि अधिष्ठान, संपत्ति, अर्जन, मानचित्र व प्रवर्तन आदि अनुभागों में फाइलों की जिम्मेदारी बाबुओं को सौंपी गई हैं। ऐसे में ये बाबू पार्टी की फाइल में छेड़छाड़ कर मनमानी रकम वसूलते हैं। फाइल से कोई भी दस्तावेज हटा देना या जोड़ देना इन बाबुओं की बाजीगरी में शुमार हैं।

सालों से जमें एक कुर्सी पर

चौंकाने वाली बात तो यह है कि एमडीए में पिछले 10-15 सालों से बाबू एक ही कुर्सी से चिपके हुए हैं। ऐसे में अपने कामों में घाघ हो चुके ये बाबू कमाई के हर दावपेंच से माहिर हैं। प्राधिकरण में कुछ बाबू से तो ऐसे भी हैं जो अपना कार्यकाल एक ही कुर्सी पर रहकर पूरा गए। हालांकि तीन साल में बाबुओं ट्रांसफर के आदेश हैं, लेकिन प्राधिकरण में सभी आदेश बेमानी साबित हो रहे हैं।

शिकायतों पर नहीं कार्रवाई

एमडीए में भ्रष्टाचार में लिप्त बाबुओं की तमाम शिकायतें आती हैं। इन शिकायतों की जांच संबंधित अनुभाग के अफसरों को सौंप दी जाती हैं, लेकिन बाबुओं की दबंगई के सामने सारी शिकायतें और जांच पस्त पड़ जाती हैं। यदि पिछले एक साल के ही मामलों पर गौर करें तो एमडीए में मानचित्र, अर्जन और संपत्ति के 13 बाबुओं के खिलाफ शिकायतें दर्ज की गई, लेकिन आज तक एक पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।

इंसेट -

बाबू ने दिया स्पष्टीकरण, कार्रवाई तय

मेरठ। एमडीए में रिश्वत लेते धरे गए संपत्ति अनुभाग के बाबू ऋषिपाल ने वीसी के आदेश पर शुक्रवार को कोई स्पष्टीकरण दाखिल नहीं कराया। वहीं प्राधिकरण में पूरा दिन बाबू के करतब को लेकर चर्चाएं चलती रही। स्पष्टीकरण न देने के चलते बाबू पर कार्रवाई तय मानी जा रही है।

ये था मामला

एमडीए संपत्ति अनुभाग के बाबू ऋषिपाल द्वारा रिश्वत मांगने पर सैनिक विहार योजना के आंवटी शकील अहमद ने सात हजार रुपए लेते हुए उसको कैमरे में कैद कर लिया था। बाबू आवंटी द्वारा खरीदे गए ईडब्लूएस मकान के पैसे कम कराने का लालच दे रहा था। आवंटी ने बाबू की क्लिप वीसी योगेन्द्र यादव के समक्ष प्रस्तुत की थी, जिस पर वीसी ने अपर सचिव बैजनाथ को जांच सौंपते ही 24 घंटे के भीतर उक्त बाबू का स्पष्टीकरण मांगा था।

वीडियो क्लिप हुई वायरल

घटना के अगले दिन शुक्रवार को बाबू का विडियो एमडीए कर्मचारियों में वायरल हो गया। प्राधिकरण दफ्तर में दिन भर प्रकरण को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म रहा। हालांकि आरोपी बाबू अब कुर्सी से नदारद रहा।

वीसी के निर्देश पर बाबू से स्पष्टीकरण मांगा गया था। अभी तक कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ है। ऐसे में बाबू पर कार्रवाई लगभग तय है।

बैजनाथ, अपर सचिव एमडीए