- सीडीओ ने फूड डिपार्टमेंट को सैंपलिंग लेने के दिए आदेश

- सीडीओ ने की मेडिकल में बच्चों से की मुलाकात, जाने हालचाल

- 22 हुए डिस्चार्ज, 23 बच्चे ले रहे मेडिकल कॉलेज के बच्चा वार्ड में उपचार

Meerut : आयरन की टेबलेट खाने से बीमार हुए बच्चों के मामले में नया मोड़ आ गया है। डॉक्टर्स की मानें तो ये बच्चों की तबीयत टेबलेट खाने से नहीं बल्कि मिड डे मील खाने से हुई है। ऐसे में सीडीओ से फूड एंड ड्रग डिपार्टमेंट के अधिकारियों से मिड डे मील के सैंपल लेकर जांच करने के आदेश दे दिए है। वैसे सीडीओ ने मेडिकल जाकर बच्चों के मुलाकत की और उनका हाल चाल पूछा।

सीडीओ ने की मुलाकत

गुरुवार को सीडीओ नवनीत सिंह चहल ने मेडिकल कॉलेज जाकर बच्चों से मुलाकत की। डॉक्टर्स ने सीडीओ को जानकारी देते हुए कहा कि 45 बच्चों में से 22 बच्चों को डिस्चार्ज कर दिया गया जबकि 23 बच्चे मेडिकल कॉलेज के बच्चा वार्ड में उपचार करा रहे हैं। सीडीओ ने कहा कि वैसे सभी बच्चे आउट ऑफ डेंजर हैं।

लिया जाएगा सैंपल

डॉक्टर्स की मानें तो इस मामले में आयरन की टेबलेट से कोई नुकसान नहीं हुआ है। मिड डे मील में ही कुछ गड़बड़ी लगती है, क्योंकि आयरन टैबलेट एक्सपायर होने के बाद असर कम करती है। रिएक्शन नहीं करती, जिसके बाद सीडीओ ने फूड एंड ड्रग डिपार्टमेंट को मिड डे मील के तहत दिए जाने वाले खाद्य पदार्थो सैंपल लेकर जांच करने के आदेश जारी किए हैं।

दूध की भी हो जांच?

विशेषज्ञों का कहना है कि आयरन की टेबलेट खाली पेट या दूध से लेना दोनों ही स्थितियों में घातक है। रही बात रिएक्शन की तो आयरन की टेबलेट से रिएक्शन के साथ-साथ दूध की गुणवत्ता का परीक्षण भी आवश्यक है। हो सकता है कि दूध अशुद्ध हो और बच्चों में बीमारी की वजह बना हो। वहीं 'जिम्मेदारों' का यह भी कहना है कि दूध का परीक्षण मुश्किल हैं, क्योंकि स्कूल स्टाफ ने दूध के वर्तन धो दिए हैं।

मैं बच्चों से मिलकर आया हूं। सभी आउट ऑफ डेंजर हैं। मैं मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी को मिड डे मील में दी जाने वाले सभी खाद्य पदार्थो का सैंपल लेकर जांच के आदेश दिए हैं।

- नवनीत सिंह चहल, सीडीओ, मेरठ

स्वास्थ्य में सुधार होने पर 22 बच्चों को डिस्चार्ज कर दिया गया है। करीब 23 बच्चे अभी भी अस्पताल में उपचार ले रहे हैं। बच्चों को डीहाइड्रेशन और पेन एब्डामन की प्राब्लम है। बच्चे खतरे से बाहर हैं।

डॉ। संजीव कुमार

चिकित्सा अधीक्षक, मेडिकल कॉलेज

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