- मोटर में लगे बिजली के तार भी कटवे बनाकर लगाए

- घटना के बाद भाग निकले स्कूल प्रबंध कमेटी के सदस्य

Meerut : करंट से हुई छात्र की मौत के लिए स्कूल ही नहीं सिस्टम भी जिम्मेदार है। गांव में बिना मान्यता और इंतजामों के चलाए जा रहे स्कूल पर न तो कोई कार्रवाई की गई और न ही इसे बंद कराया गया। नतीजा ये हुआ कि स्कूल की बिल्डिंग में जगह-जगह बिखरे पड़े मौत के जाल में फंसकर रचित अपनी जान गवां बैठा।

पिता ने खोई सुधबुध

पिता राजेश कुमार के आंसू नहीं थम रहे थे। वे कभी अस्पताल के आईसीयू वार्ड में अपनी बेटी को देखने के लिए जाते तो कभी बाहर आकर रोने लगते थे। बेटे को खो चुके राजेश से बात करनी चाही तो उनका गला भरभरा उठा। बोले कि, स्कूल में जगह-जगह मौत का सामान बिखरा पड़ा है। बिजली के तारों को कटवे बनाकर जोड़ा हुआ है। निर्माण कार्य भी चल रहा है, जिसके बीच में बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। खुद की गलती बताते हुए उस दिन को कोसने लगे, जब बच्चों का एडमिशन इस स्कूल में कराया था।

नंदिनी की हालत नाजुक

रचित की बड़ी बहन नंदिनी को फिलहाल सिरोही अस्पताल में आईसीयू में रखा गया है। डॉक्टर लगातार निगरानी कर रहे हैं। दोपहर करीब दो बजे नंदिनी को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। कुछ दवाएं देने के बाद स्थिति में सुधार हुआ। डॉक्टर का कहना है कि 24 घंटे बाद ही सही स्थिति के बारे में बताया जा सकता है।

'बच्चा मर गया तो मैं क्या कर करूं

रचित की लाश लेकर स्कूल मालिक ताराचंद रचित के घर पहुंच गए। जब परिजनों ने विरोध किया और हंगामा खड़ा हो गया तो स्कूल मालिक भी तेवर दिखाने लगा। इस दौरान ताराचंद बोला कि बच्चा मर गया तो मैं क्या कर सकता हूं। मेरा भी बेटा मरा था। हादसे को कौन टाल सकता है।