मेरठ (ब्यूरो)। यातायात माह में अक्सर हम सड़कों पर नियमों के विपरीत दौड़ते डग्गामार वाहनों समेत अवैध ई-रिक्शा और ऑटो की बात करते हैैं लेकिन अवैध एंबुलेंस की बात कभी नहीं करते। आज बात होगी ऐसी सभी एंबुलेंस की, जो सड़कों पर बेलगाम फर्राटा तो भर रही हैैं लेकिन परिवहन विभाग और स्वास्थ्य विभाग के मानकों को पूरा नहीं करती। ऐसी सभी एंबुलेस के लिए परिवहन विभाग ने फिटनेस को लेकर नई गाइडलाइन जारी कर दी है। नई गाइडलाइन के अनुसार अब फिटनेस से पहले एंबुलेंस की हॉस्पिटल से मान्यता को भी चेक किया जाएगा। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी एनओसी के बाद ही एंबुलेंस को फिटनेस सर्टिफिकेट दिया जाएगा। इसके बाद यदि एंबुलेंस का कोई मानक अधूरा पाया जाता है या किसी नियम की अनदेखी होती है तो इसके लिए संबंधित अस्पताल जिम्मेदार होगा।

स्वास्थ्य विभाग की एनओसी
अब आरटीओ में एंबुलेंस की फिटनेस कराने से पहले हेल्थ डिपार्टमेंट के निर्धारित चिकित्सा अधिकारी से उसकी जांच करा सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य है, जिसमें चिकित्सा अधिकारी की यह ड्यूटी होती है कि वह फिटनेस के लिए आई एंबुलेंस को चेक कर यह देखे कि उसमें मानक के मुताबिक उपकरण, मेडिसिन समेत अन्य सुविधाएं हैं या नहीं। इसके बाद वह एंबुलेंस को फिटनेस के लिए एनओसी जारी करता है।

शासन से जारी नए नियमों में एंबुलेंस को फिटनेस कैटेगरी के तहत चार श्रेणी में बांटा गया था
ए कैटेगिरी एंबुलेंस
वेंटीलेटर विद् ऑक्सीजन, इनलेटपोर्टेबल मैनुअल सक्शन मशीन, इंफ्यूजन मॉनटिंग मैटेरियल फॉर ट्रीटमेंट ऑफ वाउंडस, मैटेरियल ऑफ ट्रीटमेंट ऑफ बन्र्स एंड करोसिवकिडनी बाउल, वॉमिटिंग वैग, नॉन ग्लास यूरिन बोतल, शार्प कंटेनर, वेस्ट बैगस, फाई और टीकाणुशोधन सामग्री, वार्निंग ट्रेंगल लाइन, स्पॉट लाइटफायर एक्सटिंग्विशर, रेडियो ट्रांसमीटर।

बी कैटेगिरी एंबुलेंस
स्ट्रेचर, पोर्टेबल ऑक्सीजन, वेंटीलेटर विद ऑक्सीजन इनलेट, पोर्टेबल मैनुअल सक्शन मशीन, मैटेरियल फॉर ट्रीटमेंट ऑफ वाउंड, किडनी बाउल दो, वोमिटिंग बैग दो, नॉन ग्लास यूरिन बोतल, शार्प कंटेनर, वेस्ट बैग, नॉन वूवन स्ट्रेचर शीट, रिफलेक्टिव जैकेट, सफाई और कीटाणुशोधक सामग्री, सीट बेल्ट कटर, स्पॉट लाइट, वर्निंग ट्रेगल लाइट, फायर एक्सटिंग्विशर।

सी कैटेगिरी एंबुलेंस
स्ट्रेचर, पिकअप स्ट्रेचर, सर्वाइकल इमोबिलाइजेशन डिवाइस, अपर स्पाइनल इमोबिलाइजेशन एक्स्ट्रेशन डिवाइस, पोर्टेबल ऑक्सीजन कंस्ंट्रेटर्स, मास्क एंड एयरवेस ऑक्सीजन रिजर्वायर, इलेक्ट्रिक पोर्टेबल सक्शन एस्पिरेटर, बीपी मॉनिटर, पोर्टेबल सक्शन एस्पिरेटर मैनुअल, ऑक्सीमीटर, टर्मोमीटर, डिवाइस फॉर ब्लड शुगर डॉटर्मिनेशन, डाइग्नोस्टिक वार्निंग ट्रेंगल, स्पॉट लाइट।

डी कैटेगिरी एंबुलेंस
स्ट्रेचर, पिकअप स्ट्रेचर, फैक्चर का स्थिरीकरण सेट, वेस्ट बैग, सर्जिकल ग्लब्स पेयर, शार्प कंटेनर, नॉन ग्लास यूरिन बोतल, किडनी बॉउल, वोमिटिंग बैग, पोर्टेबल एडवारड रिससिटेशन सिस्टम, सर्वाइकल अपर स्पाइनल इमोबिलाइजेशन डिवाइस, बीपी मॉनिटर, ऑक्सीजन, टर्मोम्ीटर, डिवाइस फॉर ब्लड शुगर डॉटर्मिनेशन, डाइग्नोस्टिक, वार्निंग ट्रेगल लाइट, स्पॉट लाइट, नार्मल सेलाइन इंफ्यूजन, कार्डियक मॉनिटर, एक्सटर्नल कार्डियक पेसिंग।

एंबुलेंस को लेकर शहर नियमों के अनुसार जांच के बाद ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा एनओसी दी जाती है। इन मानकों को पूरा न करने वाली एंबुलेस पर परिवहन विभाग और ट्रैफिक पुलिस द्वारा कार्रवाई का अधिकार है। बाकि हम लगातार अस्पतालों को भी रिमाइंडर देते रहते हैं कि अपनी एंबुलेंस को फिट रखें।
डॉ। अखिलेश मोहन, सीएमओ

एंबुलेंस की फिटनेस के लिए स्वास्थ्य विभाग की चेक लिस्ट के अनुसार मानक पूरे होने जरूरी हैं और अस्पताल द्वारा संचालन का लैटर या संबंद्धता का किसी भी प्रकार का कागज होना जरूरी है ताकि एंबुलेंस संचालन में किसी प्रकार की लापरवाही न हो।
राहुल शर्मा, आरआई