- जिला अस्पताल में दवा वितरण केंद्र में नहीं रैंप

- विकलांग शौचालय सालों से पड़ा हैं बंद

- एक स्ट्रेचर के भरोसे है डफरिन अस्पताल

- मेडिकल हॉस्पिटल में से पांच लिफ्ट में से तीन है खराब

Meerut : हर बुधवार को इस जिला अस्पताल में दिव्यांग सर्टिफिकेट कैंप लगता है, लेकिन आप खुद देख सकते हैं कि इस दफ्तर में हमारे में रैंप तक नहीं है। अगर हमें सीएमएस साहब से मिलना हो तो अपनी ट्राइसाइकिल से उतरकर रेंगते हुए उनके पास जाना पड़ता है। ये बात जिला अस्पताल में अपने साथियों के साथ आए नितिन महेश्वरी ने खुद कहीं। ये कहानी सिर्फ जिला अस्पताल की नहीं बल्कि सटे हुए डफरीन यानी महिला अस्पताल और मेडिकल की भी है। आइए आपको भी बताते हैं कि दिव्यांगों के लिए क्या सुविधाएं नहीं है।

जिला अस्पताल

1. दिव्यांग कैंप हर बुधवार को लगता है। जिनमें दिव्यांग सर्टिफिकेट बनाए जाते हैं। लेकिन ऑफिस में जाने के लिए दिव्यांगों के लिए रैंप तक नहीं है। हर बुधवार को इस कैंप में 150 दिव्यांग रजिस्टर्ड किए जाते हैं। 50 को सर्टिफिकेट जारी कर दिए जाते हैं।

2. अगर किसी दिव्यांग को सीएमएस में जाकर ऑफिस में मिलना हो तो उसे ऑफिस के अंदर जाने से पहले अपनी व्हील चेयर या ट्राइसाइकिल से उतरना होगा। ताज्जुब है कि ऑफिस के बाहर के भी रैंप भी नहीं है।

3. सोमवार से शुरू हुए दवा वितरण केंद्र में नई व्यवस्था शुरू हुई है। महिला, पुरुष और दिव्यांगों के लिए अलग-अलग विंडो बनाई गई है। ताज्जुब की बात तो ये हैं कि दिव्यांगों के लिए रैंप ही नहीं बनाया गया है। ऐसे में कोई दवा ले पाएगा।

4. नया वार्ड कुछ सालों पहले ही शुरू हुआ था। जिसमें लिफ्ट लगाई गई थी। ताकि दिव्यांग या ज्यादा बीमार लोगों को ऊपर पहुंचा सके, लेकिन लिफ्ट पूरी तरह से बंद पड़ी है। जब पूछा गया तो पता चला कि बिल्डिंग शुरू होने के कुछ समय बाद तक शुरू हुई। लेकिन बाद में बंद हो गई। जिसे ठीक नहीं कराया गया।

5. बाह्य ओपीडी का पर्चा बनवाने के लिए महिला-पुरुष की तो विंडो बनी हुई है। लेकिन दिव्यांगों के लिए कोई विंडो नहीं है। इस बारे में दिव्यांगों की ओर से कई बार डिमांड हो चुकी है। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

डफरीन (महिला अस्पताल)

1. पर्चा खिड़की में जाने के लिए सभी को दो सीढि़यां चढ़कर जाना पड़ता है। लेकिन व्हील चेयर पर आने वाले लोगों के लिए कोई रैंप नहीं बना हुआ है।

2. सामने आपीडी में जाने के लिए सीढि़यों से ऊपर चढ़ना पड़ता है लेकिन दिव्यांगों या व्हील चेयर पर आने वाले लोगों के लिए कोई रैंप नहीं बना हुआ है।

3. जब कोई दिव्यांग बिना किसी व्हील चेयर ट्राई साइकिल से अस्पताल में आता है तो उसके लिए व्हील चेयर तक मौजूद नहीं है। सिर्फ एक स्ट्रेचर है। उसकी भी अवेलेबिलिटी काफी कम है।

मेडिकल कॉलेज

1. मेडिकल कॉलेज में पांच ब्लॉक बने हुए हैं। जिनमें पांच लिफ्ट लगी हुई है, लेकिन पांच में से सिर्फ दो ही ऐसी लिफ्ट हैं। जो ठीक हैं। बाकी में खराब पड़ी हुई हैं।

2. दिव्यांगों के लिए विदाउट बैरियर ट्वॉयलेट का बजट पास हो चुका है। अगले कुछ महीनों में टायलेट भी तैयार हो जाएंगे।

दिव्यांगों के लिए पूरी व्यवस्था है। स्ट्रेचर से लेकर व्हील चेयर सब मौजूद हैं। अगले कुछ महीनों में टायलेट भी तैयार हो जाएंगे।

- डॉ। सुभाष सिंह, सीएमएस, मेडिकल

अगर दिव्यांगों को कुछ परेशानी है तो उन्हें परेशानियों को दूर कर दिया जाएगा। इस मामले में किसी की कोई शिकायत मेरे पास नहीं है।

- डॉ। वीके गप्ता, सीएमएस, डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल

जिला अस्पताल में कोई ठीक से व्यवस्था नहीं है। विकलांग कैंप और सीएमएस ऑफिस तक में रैंप नहीं है। यहां तक टायलेट तक काफी दिनों से बंद पड़ा है।

- रियासत अली

जिला अस्पताल में नया दवा वितरण केंद्र में दिव्यांगों के लिए भी खिड़की है। लेकिन वहां रैंप नहीं है। ऐसे में इस खिड़की क्या फायदा? नए वार्ड बिल्डिंग में लिफ्ट भी नहीं चलती है।

- नितिन महेश्वरी

मुझे डफरिन में अपनी वाइफ को एडमिट कराना था, लेकिन मुझे पर्चा में बनवाने में काफी दिक्कत हुई। पर्चा बनवाने वाली खिड़की में रैंप ही नहीं था।

- जावेद

मेडिकल में लिफ्ट कई दिनों से खराब पड़ी हुई हैं। इन्हें ठीक कराने वाला कोई नहीं है। इस बारे में कई बार कहा जा चुका है।

- बाबा महेश