मेरठ (ब्यूरो)। आठ साल के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार कैंसर के मरीजों को इस साल मेडिकल कालेज में रेडियोथेरेपी की सुविधा मिलेगी। उम्मीद है कि इस माह से कैंसर विभाग में रेडियोथेरेपी की सुविधा मरीजों को मिलना शुरु हो गई है। हालांकि गत वर्ष भी मई माह में रेडियोथेरेपी की सुविधा शुरु की गई थी लेकिन तब एईआरबी की मान्यता के अभाव में कुछ दिनों बाद ही थेरेपी को बंद करा दिया गया था। अब एक साल लंबे इंतजार के बाद रेडियोथेरेपी की सुविधा दोबारा शुरु की गई है।

2015 से बंद मेडिकल रेडियोथैरेपी
गौरतलब है कि 7 मई 2015 से कैंसर मरीजों की सिकाई करने वाली रेडियोथेरेपी मशीन बंद चल रही थी। क्योंकि कैंसर विभाग की एकमात्र रेडियोथेरेपी मशीन का रेडियो एक्टिव सोर्स कोबाल्ट 60 खत्म होने के कारण यह थेरेपी बंद कर दी गई थी। नया रेडियोसोर्स खरीदने के लिए प्रदेश सरकार ने चार करोड़ रुपये का बजट दिया, लेकिन तमाम अड़चनों की वजह से सात साल निकल गए। इसके बाद 17 मई 2022 में कोबाल्ट 60 मिलने के बाद दोबारा रेडियोथेरेपी शुरू तो की गई लेकिन इसे कुछ दिनों बाद ही नियामक एजेंसी यानी एटामिक एनर्जी रेग्यूलेटरी बोर्ड (एईआरबी) ने फिर बंद कर दिया था। मेडिकल कालेज ने उत्सर्जित होने वाले रेडिएशन की रिपोर्ट एईआरबी को नहीं दी थी। इसके बाद नोएडा की एक निजी एजेंसी रेडिएशन की मात्रा जांचने का काम दिया गया था। साथ ही विभाग में रेडियोथेरपी टेक्नीशियन न होने एवं विकिरण सुरक्षा अधिकारी डा। एके तिवारी के रिटायर होने से तकनीकी रुप से मशीन का संचालन बाधित हो गया। अब इस साल एईआरबी को रेडियेशन की रिपोर्ट मिलने के बाद रेडियोथेरेपी की अनुमति दी गई है। साथ ही विभाग में नए विकरण सुरक्षा अधिकारी अजय कुमार श्रीवास्तव भी नियुक्ति गत माह होने से तकनीकी संचालन की समस्या भी दूर हो गई।

रेडिएशन की मात्रा बनी थी बाधा
गत वर्ष एईआरबी ने मेडिकल कालेज से यह भी रिपोर्ट मांगी थी कि रेडियोधर्मी उपकरणों से वार्ड, दीवार, छत, टेबल एवं गलियारों में कितना रेडिएशन उत्सर्जित हो रहा है। जवाब न मिलने पर बोर्ड ने रेडियोथेरपी पर रोक लग दी थी। इससे पहले 1997 में खरीदा गया सीजीएम-137 रेडियोएक्टिव सोर्स का कोई इस्तेमाल नहीं हुआ, जिस पर एईआरबी ने नाराजगी जताते हुए नष्ट कर दिया था और ट्रीटमेंट प्लानिंग सिस्टम न होने के कारण रेडियोलोजी विभाग को बंद कर दिया था।

ये है रेडियोथैरेपी
रेडियो तरंगों का उपयोग करके की जाने वाली चिकित्सा विकिरण चिकित्सा (रेडिएशन थेरेपी या रेडियोथैरेपी) कहलाती है। इस विकरण की मदद से कैंसर के उपचार में खराब कोशिकाओं को मारने का काम किया जाता है। निजी अस्पतालों में रेडियोथैरेपी के दो से ढ़ाई लाख रुपये लगते हैं लेकिन मेडिकल कालेज में यह सुविधा मात्र 700 से 800 रुपये में उपलब्ध हो रही है।

एईआरबी द्वारा रेडियेशन की रिपोर्ट की जांच के बाद सभी मानक सही मिलने पर रेडियोथेरेपी की सुविधा मेडिकल कालेज में शुरु की जा चुकी है। मरीजों को कैंसर के इलाज के लिए अब दिल्ली या अन्य शहरों में नही जाना पडेगा। करीब 700 से 800 रुपया मासिक खर्च पर रेडियोथेरेपी की सुविधा मिल जाएगी।
ड़ॉ। आरसी गुप्ता, प्राचार्य, मेडिकल कालेज