- मेडिकल कॉलेज में अल्ट्रा साउंड के लिए एक माह का करें इंतजार

-पेट दर्द की जांच कराई तो अल्ट्रा साउंड के लिए 21 जून को बुलाया

- मेडिकल में डॉक्टर्स की तानाशाही से परेशान चल रहे हैं मरीज

Meerut: दर्द अभी, दवा फिर कभी। यह कहावत मेडिकल कॉलेज में उपचार के लिए जाने वाले मरीजों के ऊपर बिलकुल सटीक बैठती है। यहां डॉक्टर्स ने मरीजों का इलाज करने के बजाय मौत का मुकम्मल इंतजाम किया हुआ है। यहां अल्ट्रा साउंड कराने के लिए एक माह का इंतजार करना पड़ता है। यही इंतजार कई बार मरीजों के लिए मौत का कारण बन जाता है।

ऐसे किया स्टिंग

सबसे पहले आई नेक्स्ट रिपोर्टर मेडिकल कॉलेज में पर्चा काउंटर पर पहुंचकर अपना एक रुपये का पर्चा बनवाया, इसके बाद चार नंबर कमरे में जाकर डॉक्टर को बीमारी बताई।

रिपोर्टर: डॉक्टर साहब पेट में बहुत दर्द हो रहा है?

डॉक्टर: कितने दिन से दर्द हो रहा है।

रिपोर्टर: डॉक्टर साहब तीन दिन से दर्द हो रहा है।

डॉक्टर: कोई बात नहीं, ये तीन दिन की दवाई ले लीजिए।

रिपोर्टर: डॉक्टर साहब पेट को चेक कर लीजिए।

डॉक्टर: पेट ऐसे चेक नहीं होता, आप अल्ट्रा साउंड करा लीजिए। मैने पर्चे पर लिख दिया है, जिससे पेट की बीमारी का पता लग जाएगा।

दवाई लिखवाने के बाद रिपोर्टर अल्ट्रा साउंड डिपार्टमेंट में पहुंचा

रिपोर्टर: डॉक्टर साहब अल्ट्रा साउंड कराना है।

डॉक्टर: लाओ पर्चा दिखाओ।

रिपोर्टर: ये लीजिए पर्चा, डॉक्टर साहब ने लिख रखा है।

डॉक्टर: ठीक है अभी टाइम नहीं है, डेढ महीने बाद की डेट डाल देता हूं, आकर अल्ट्रा साउंड करा लेना।

रिपोर्टर: डॉक्टर साहब इतने दिन में तो जान निकल जाएगी, थोड़ा जल्दी का समय दे दो।

डॉक्टर: चलो ठीक है, आप ख्क् जून सुबह 9:फ्0 बजे आकर अल्ट्रा साउंड करा लेना।

रिपोर्टर: डॉक्टर साहब प्लीज जल्दी का समय दे दो। मैं काफी बीमार हूं।

डॉक्टर: ख्क् जून से पहले आपका अल्ट्रा साउंड नहीं किया जाएगा।

शिकायत से हम नहीं डरते

आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने अल्ट्रा साउंड के लिए ख्क् जून की डेट देने वाले अल्ट्रा साउंड डिपार्टमेंट के डॉक्टर अनूप कुमार को प्रिंसीपल प्रदीप भारती से शिकायत करने की चेतावनी दी, लेकिन डॉक्टर ने साफ कहा, जिससे मर्जी उससे शिकायत कर दो, हम किसी से नहीं डरते हैं। हम अपने अनुसार काम करेंगे, यदि ज्यादा जल्दी है तो बाहर जाकर अपना अल्ट्रा साउंड करा सकते हो।

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खर्चा करो, काम हो जाएगा

जब रिपोर्टर को डॉक्टर ने अल्ट्रा साउंड करने से मना कर दिया, यहां डिपार्टमेंट की गैलरी में एक मेडिकल का कर्मचारी मिला, उसने कहा कोई दिक्कत वाली बात नहीं है, आप थोड़ा खर्चा करो आपका अल्ट्रा साउंड आज हो जाएगा। रिपोर्टर ने पैसे पूछे तो उसने चार सौ रुपये मांगे, रिपोर्टर ने दो सौ रुपये में अल्ट्रा साउंड कराने को कहा तो कर्मचारी ने कहा कि नीचे से डॉक्टर भी पैसा लेते हैं, इसलिए चार सौ रुपये से नीचे अल्ट्रा साउंड किसी भी सूरत में नहीं किया जा सकता।

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सिफारिशों का बोलबाला

मेडिकल में भी सत्ताधारी नेताओं का बोलबाला है। उनकी सिफारिश पर काम जल्दी हो जाता है। व्यवस्था सरकारी है, लेकिन नेतागीरी भी चमकाती है। नेता जब चाहें, अल्ट्रा साउंड की सिफारिश के साथ किसी को भेज देते हैं। आम पब्लिक का मेडिकल में बहुत बुरा हाल है। डॉक्टर्स भी सिफारिशों पर खुश होकर काम करते है।

कैसे भगवान हैं डॉक्टर्स

यूं तो डॉक्टर्स को भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है, लेकिन मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स मरीजों के जान के दुश्मन बने हुए हैं। पूरे मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों की आंखों पर पट्टी बंधी हुई है, जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।

प्राइवेट में अल्ट्रासाउंड

मेडिकल में तो क्फ्भ् रुपये फीस देने के बाद अल्ट्रा साउंड होता है, लेकिन यदि बाहर की बात करें तो प्राइवेट में अल्ट्रा साउंड की कीमत एक हजार है। मेडिकल से डेट मिलने के बाद कुछ मरीज तो बाहर ही अपना अल्ट्रा साउंड कराते हैं।

मेरी जानकारी में ये मामला नहीं है, हां दो-तीन दिन की वेटिंग जरूर हो सकती है। मेडिकल कॉलेज में अल्ट्रा साउंड का पूरा सरकारी सिस्टम है, लेकिन एक महीने की वेटिंग डॉक्टर्स को नहीं दी जानी चाहिए। मैं अल्ट्रा साउंड डिपार्टमेंट में तैनात डॉक्टर्स बात करुंगा। मरीजों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होने दी जाएगी।

-डॉ। प्रदीप भारती

प्रिंसीपल, मेडिकल कॉलेज