मेरठ ब्यूरो। इंट्रावेस्कुलर लिथोट्रिप्सी विधि से पहली बार मेडिकल कालेज में शनिवार को ह्रदय रोग से ग्रस्त बुजुर्ग मरीज का सफल इलाज किया गया। मरीज के ह्रदय की तीन नलियों (कोरोनरी आर्टरी) में से दो पूरी तरह से बंद थी। यह अपने आप में गंभीर स्थिति थी, इसमें बाईपास सर्जरी भी संभव नही थी।

फेफड़े भी थे खराब

मेडिकल कॉलेज के मीडिया प्रभारी डॉक्टर वी डी पांडे ने बताया कि सुखबीर उम्र 65 वर्ष निवासी मेरठ जनपद मेरठ के सीने में दर्द होने के कारण मरीज ने हृदय रोग विभाग की ओपीडी में 3 माह पहले लाया गया था। हार्ट स्पेशलिस्ट डॉ धीरज सोनी ने मरीज को ईसीजी एवं एंजियोग्राफी जांच कराने की सलाह दी। एंजियोग्राफी जांच में पता चला कि मरीज के हृदय की तीन नलियों (कोरोनरी आर्टरी) में से दो पूर्ण रूप से बंद है और एक 90 प्रतिशत तक बंद हो चुकी थी। मरीज को तुरंत ही ओपन हॉट बाईपास सर्जरी की सलाह दी गई।

लंग्स भी सही नहीं थे

मरीज ने सीटीवीएस विभाग में संपर्क किया सीटीवीएस सर्जन ने भी और भी संबंधित जांच कराई। मरीज के फेफड़े की जांच कराई तो पता चला मरीज का फेफड़ा भी खराब है फेफड़े में बीमारी होने के कारण ओपन हार्ट बायपास सर्जरी करने से मरीज के जान का खतरा था। अत: मरीज ने ह्रदय रोग विभाग के डॉक्टर धीरज सोनी ने मरीज को बताया कि आपकी हृदय की खून की नलियों में जमा कैल्शियम को तोडऩे के लिए इंट्रावैस्कुलर लिथोट्रिप्सी विधि का प्रयोग किया जाएगा।

लगाया स्टंट

मरीज की स्वीकृति के बाद डॉ धीरज सोनी एवं उनकी टीम ने हृदय के लेफ्ट कोरोनरी आर्टरी में बैलूनिंग कर स्टंट लगाया और राइट कोरोनारी आर्टरी में इंट्रावैस्कुलर लिथोट्रिप्सी विधि से जमा कैल्सियम को तोड़कर स्टंट लगाया।

मेरठ में यह पहला केस

डॉ। धीरज सोनी ने बताया कि मरीज अब स्वस्थ है। ऑपरेशन जटिल था मरीज की जान को खतरा भी था। हमारी पूरी टीम ने सूझबूझ के साथ बिना चीरा लगाए कामयाब ऑपरेशन करके मरीज की जान बचाई है। इंट्रावैस्कुलर लिथोट्रिप्सी विधि द्वारा कोरोनरी आर्टरी में स्टेंटिंग का मेडिकल कालेज मेरठ में यह पहला केस है। मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ आर सी गुप्ता ने डॉ धीरज सोनी एवं उनकी पूरी टीम को सफल ऑपरेशन करने के लिए बधाई दी।