-दो दर्जन गांवों के सर्वे में हुआ खुलासा, नलों से निकल रहा दूषित पानी
- नगर निगम की ओर से भी पानी की स्वच्छता के लिए नहीं होता कोई काम
Meerut : मेरठ का पानी पीने लायक नहीं है। जल निगम, नगर निगम और सीएमओ द्वारा कराए गए सर्वे में काली नदी के पास के दो दर्जन गांवों के पानी की जांच की गई। जांच में सामने आई बातों ने सभी को चौंका दिया। सबसे बड़ी बात कि यहां का पानी पीने लायक नहीं है।
नहीं मिलता पानी
नगर निगम ट्यूबवेल से पानी की सप्लाई कर रहा है। 157 टयूबवेल हैं, लेकिन बिजली न होने पर पानी की सप्लाई ठप हो पाती है। 157 में सिर्फ तीन दर्जन ट्यूबवेल ऐसे हैं, जहां जनरेटर की व्यवस्था है। सभी जेनरेटर चल भी नहीं रहे हैं। बिजली जाने पर अगर किसी ट्यूबवेल पर जेनरेटर चलता है तो उसका फायदा पब्लिक को नहीं मिलता। आसपास के अन्य ट्यूबवेल पर जेनरेटर न होने या बंद रहने से लाइनें पूरी तरह से रिचार्ज नहीं हो पातीं। कुछ ओवरहेड टैंक भी हैं, लेकिन इन्हें भरने की व्यवस्था नहीं है।
नगर निगम की जो सप्लाई आती है वह पीने लायक नहीं है। पीने के पानी के लिए आरओ लगवा रखा है। नगर निगम को पानी को स्वच्छ रखने के लिए कुछ करना चाहिए।
धीरज, स्थानीय निवासी
पानी तो साफ आता है। लेकिन पीने लायक नहीं है। पानी को उबाल कर ठंडा करके पीते हैं। आरओ लगवाने के लिए पैसे नहीं है।
विष्णु, स्थानीय निवासी
पहले से पानी साफ आता है। तीन साल पहले तक पानी जब आता था तो काला आता था। और जब साफ आता था का थोड़ी देर रखने के बाद पीला हो जाता है।
रामानंद, स्थानीय निवासी
गाजियाबाद की तर्ज पर मेरठ नगर निगम और जल निगम को पीने के पानी के लिए गंगा जल की सप्लाई शुरू करनी चाहिए।
इल्लो, स्थानीय निवासी
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स्वास्थ्य के लिए हानिकारक
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का पानी हार्ड है। इसके पीने से खाना जल्दी पच जाता है। स्लॉटर हाउस और फैक्ट्रियों के कारण पानी पीने लायक नहीं बचा है। इससे त्वचा के रोग ज्यादा होते हैं।
-डॉ। तनुराज सिरोही, फिजिशयन व डायलिसिस स्पेशिलस्ट
पानी दिन प्रतिदिन दूषित होता जा रहा है। नई नई बीमारी सामने आ रही हैं। त्वचा से रिलेटिड बीमारी ज्यादा हो रही है। कैंसर भी नए तरीके के पता लगा रहे हैं।
-डॉ। सुभाष सिंह, सीएमएस मेडिकल कॉलेज
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साफ पानी देने का दावा
पानी को साफ करने के लिए पानी में क्लोरिन डाली जाती है। शहरवासियों को साफ पानी दिया जा रहा है। यदि कहीं पर दूषित पानी की शिकायत आएगी उसको तुरंत समाधान किया जाएगा।
-हरिकांत अहलूवालिया, महापौर
मेरठ में दूषित पानी की लेकर नगर निगम जागरूक रहता है। जहां दूषित पानी की शिकायत आती है। उसको कारण ढूंढ समाधान कर दिया जाता है।
-उमेश प्रताप सिंह, नगर आयुक्त
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ध्यान देने की जरूरत
स्वच्छ पानी के लिए कोई प्रशासन या नगर निगम को कोई मानीटरिंग बॉडी बननी चाहिए। जो समय-समय पर पानी की जांच कराती रहे।
-ज्योति वर्मा, पार्षद वार्ड 52
पानी की मॉनिटरिंग बॉडी बनाने के लिए कई बार मांग कर चुके हैं। लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं देता है। पानी पर काम करने के लिए तो एक कमेटी गठित होनी चाहिए।
-सुधीर पुंडीर, पार्षद वार्ड 36
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पाइप लाइन में फंसा गंगाजल
जल निगम ने घर-घर गंगाजल पहुंचाने के लिए भोला झाल से मेरठ तक 21 किलोमीटर फीडर मेन, 14 किलोमीटर पंपिंग लाइन व 764 किलोमीटर वितरण प्रणाली लागू करनी है। पानी आपूर्ति के बाद पूरी तरह की टेस्टिंग में कम से कम 4 माह लगेंगे।
फैक्ट एंड फिगर
जल निगम के ट्यूबवेल : 57
अंडर ग्राउंड टैंक्स : 4
नॉर्मल टैंक्स : 31
भोले की झाल पर डब्ल्यूटीपी : 100 एमएलडी क्षमता
मुख्य पाइप लाइन : 17.80 किमी
डिस्ट्रीब्यूशन लाइन : 759 किमी
पंपिंग लाइन : 14 किमी
फीडर लाइन : 21 किमी
प्रोजेक्ट कॉस्ट : 341 करोड़ रुपए
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कुल टयूबवैल- 157
टंकी- 54
हैंडपंप- 8500