मेरठ ब्यूरो। भविष्य में अगर शहर को केपटाउन जैसी वाटर क्राइसिस से नहीं गुजरने देना है तो रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का सहारा लेना ही पड़ेगा। हमें बिल्ंिडंग, कॉर्मशियल बिल्डिंग, वर्क प्लेस आदि में ग्राउंड वाटर को रिचार्ज करने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग के ज्यादा से ज्यादा सिस्टम लगाने होंगे। हालत यह है कि शहर के कई हिस्से डार्क जोन में है, ऐसे में वर्षा जल के संचयन के लिए हमें सार्थक कदम उठाने होंगे, तभी ग्राउंड वाटर लेवल को ठीक कर सकेंगे। बस इसके के लिए रेन वॉटर हार्वेस्टिंग को बढ़ावा देना होगा, ताकि बारिश के जल को बर्बाद होने से रोक सकें। अब सवाल बनता है कि आखिर रेन वाटर हार्वेस्टिंग होता क्या है, इसकी खासियत क्या है और इसे कैसे बनवाया जा सकता है। किस विभाग में जानकारी लेनी होगी। आपकी इन्हीं जानकारियों को देने के लिए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने कैंपेन संचालित किया है। आज हम आपको बताएंगे कि रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को कैसे लगाया जा सकता है।

रेन वाटर हार्वेस्टिंग का सिस्टम समझिए

रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के टेक्निकल एक्सपर्ट गिरीश शुक्ला ने बताया कि अगर छत 100 वर्ग मीटर की है। और सालभर में 1000 मिलीमीटर वर्षा होती है। तो आप रेन वॉटर हार्वेस्टिंग से सालभर में करीब 1 लाख लीटर पानी बचा सकते हैं। जो 4 लोगों के परिवार के लिए पूरे वर्ष के पानी के व्यय के बराबर होगा। इसे मापने का सरल तरीका 1 वर्ग मीटर & वर्ष भर में होने वाली वर्षा (मिली मीटर में) कहां बनाएं रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम एक्सपर्ट के मुताबिक बारिश के पानी को हम जहां भी ज्यादा से ज्यादा इक_ा कर सकते है, रेनवॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम वहीं बनाएं। छत इसके लिए सबसे उपयुक्त जगह होती है। सोसायटीज और खुद की जमीन पर अपने हिसाब से घर बनाने वालों के लिए रेनवॉटर हार्वेस्टिंग आसान है। थोड़ी-सी जानकारी लेकर आप खुद भी रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम बनवा सकते हैं।

ऐसे बनवाएं रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

- इस पिट की गहराई 2 मीटर होगी। लम्बाई और चौड़ाई 1-1 मीटर होगी।

इसमें गड्डे की क्षमता लगभग 2000 लीटर पानी स्टोर करने की होगी।

- पिट यानी गड्ढे खुदवाने के बाद उसमें नीचे की ओर फिल्टर मीडिया लगवाया जाता है।

यह ईंट, चारकोल या एक्टिवेटिड कार्बन, बजरी, बालू आदि से मिलकर बनता है।

- जगह के हिसाब से 50 से 140 फिट तक का बोर करवा कर पाइप डाला जाता है ताकि पानी धरती के नीचे आसानी से पहुँच सके।

- छत के हिसाब से 4 से 9 तक के व्यास के पाइप डाले जा सकते हैं । जिनमें नीचे की तरफ छेद वाले पाइप होते हैं और ऊपर सामान्य पीवीसी पाइप होते है। - पिट के चारों तरफ आरसीसी पैनल के साथ ईंट से बाउंड्री बनवा लेना बेहतर रहता है।

- पिट को ढकने के लिए लोहे की ग्रिल या प्रीकास्ट स्लैब का उपयोग कर सकते हैं।

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इन बातों का भी रखें ख्याल

- रिचार्ज पिट इमारत की फाउंडेशन या बेसमेंट से 5 मीटर की दूरी पर हो।

- किसी भी तरह का वेस्ट वॉटर रिचार्ज स्ट्रक्चर में न जाए। इसकी गहराई करीब 4 मीटर तक हो

- छत को किसी भी तरह के केमिकल से पेंट नहीं होना चाहिए।

- छत पर किसी भी तरह का केमिकल, जंग लगा हुआ लोहा, खाद या सर्फ साबुन आदि नहीं होना चाहिए।

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पांच घरों को जोड़कर बना रहे रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

ग्रोइंग पीपल संस्था की अध्यक्ष व रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम एक्सपर्ट अदिति चंद्रा कहती हैं कि आज के समय में एक मकान में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का खर्चा लगभग 30 से 40 हजार रुपए तक आ रहा है। वहीं, बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों में तो खर्चा लाखों तक पहुंच जाता है। जिस कारण लोग रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने से बचते हैं। लेकिन वर्षा के जल को बचाना हमारे बच्चों के भविष्य के लिए बहुत जरूरी है। जिस तरह आप अपने बच्चों के लिए दिन रात मेहनत कर धन का संचय करते हैं संपत्ति जोड़ते हैं उसी तरह अपने बच्चों के लिए पानी भी बचाइए, क्योंकि आपके पैसे के बिना आपके बच्चे कुछ न कुछ करके जी लेंगे, लेकिन पानी के बिना किसी का भी बच्चा नहीं जी सकता । सरकार को सौर ऊर्जा की तरह रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने पर भी सब्सिडी देनी चाहिए। जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग अपने घरों में रहने वाला हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा सके। हमारी संस्था चार पांच घरों को जोड़कर एक रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा रही है ताकि रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पर लगने वाले खर्चे को आपस में बांटा जा सके और उसकी कीमत कम हो सके , इसके साथ ही संस्था द्वारा वॉल माउंट रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी लगाए जा रहे हैं जिससे कम कीमत में छोटे घरों में भी रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जा सके ।

इनसे करें संपर्क : मोबाइल नंबर- 9870798867

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मेरठ में पहला रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया

जागरुक नागरिक एसोसिएशन के जनरल सचिव और रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम टेक्निकल एक्सपर्ट गिरीश शुक्ला ने बताया कि हमारी संस्थान साल 2008 से शहर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का काम कर रही है। हमारी संस्थान 106 से अधिक निजी व प्राइवेट इमारतों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा चुकी है। हमने मेरठ का सबसे पहला रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लालकुर्ती के राम मंदिर में लगाया था। उसके बाद औघडनाथ मंदिर में भी लगाया गया। हम लोग शहर के कई प्रमुख हॉस्पिटल से लेकर स्कूल कालेज में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा चुके हैं। 100 मीटर एरिया में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का खर्च 30 से 40 हजार रुपए आता है इसके लिए साउल टेस्टिंग से लेकर सबसे आधुनिक पद्धति का इस्तेमाल किया जाता है जो कि आईआईटी रूड़की द्वारा ईजाद की गई है। इसमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के लिए सिंथेटिक कपडे से लेकर जियो शीट तक का प्रयोग पानी को फिल्टर करने के लिए किया जाता है।

इनसे करें संपर्क : मोबाइल नंबर- 9411641776

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नियम तो है पर पालन नही होता

यूं तो सरकार ने कानून बना रखा है कि 300 मीटर से बड़ी इमारतों में रेन वाटर हार्वेस्टिग लगाना अनिवार्य है, जिसके लिए नक्शा पास करवाते समय मेडा द्वारा सिक्योरिटी भी जमा करवाई जाती है। लेकिन हैरानी की बात है कि घर बनाने में लाखों करोड़ों रुपए खर्च करने वाले लोगों को रेन वॉटर हार्वेस्टिंग लगाने का खर्चा खटकने लगता है। यहां तक कि लोग रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के बजाय मेडा में जमा अपनी सिक्योरिटी के पैसे ही छोड़ देते हैं। मेरठ में तो अभी तक शहर में बड़े-बड़े स्कूलों, हॉस्पिटलों तथा सरकारी बिल्डिंगों में भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नही लगाए गए हैं और जहां लगाए गए हैं, उनकी भी नियमित सफाई ना होने के कारण वह भी चोक पड़े हैं ।

यह फालतू का खर्चा नहीं, जरू रत है

लोगों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग के प्रति उदासीनता का सबसे बड़ा कारण यह है कि मेरठ में हर 16वें घर में समरसेबल लगा है और लगभग सभी घरों में पानी की मोटर लगी है। मेरठ नगर निगम द्वारा भी रोजाना लगभग 350 एमएलडी पानी की सप्लाई की जा रही है। लोगों को लगता है कि बस बटन दबाया और पानी हाजिर! जिस कारण लोग पानी की उपलब्धता को बहुत आसान और मुफ्त की चीज समझते हैं। इसीलिए उन्हें रेन वाटर हार्वेस्टिंग लगाने पर होने वाला खर्चा फालतू का लगता है।