- इंटर की कॉपियों में एक जैसे आंसर मिलने से सामूहिक नकल का खुलासा

- कॉपियों को देखकर लगता है कि नकल के लिए ब्लैकबोर्ड पर लिखे गए आंसर

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Meerut : यूपी बोर्ड एग्जाम में शासन और प्रशासन ने भले ही नकल रोकने के तमाम दावे किए हों, लेकिन नकल माफिया ने एक बार फिर सभी दावों की हवा निकाल दी। छोटी-मोटी पर्ची वाली नकल नहीं, बल्कि सामूहिक नकल हुई। बोर्ड एग्जाम की कॉपियों को देखकर यही लगता है। मेरठ के एक सेंटर पर पहुंची इंग्लिश की कॉपियों पर हूबहू एक ही तरह से आंसर लिखे गए हैं।

एक जैसी भाषा

शुक्रवार को मूल्यांकन का दूसरा दिन था। जैसे-जैसे एग्जाम की कॉपियां बंडल से बाहर आ रही हैं, यूपी बोर्ड के एग्जाम सिस्टम में लीकेज का खुलासा हो रहा है। कई मामले तो ऐसे आए कि कॉपी चेक करने वाले टीचर भी शॉक्ड हो गए। जीआईसी पर आई इंग्लिश की कॉपियों के एक बंडल में आधा दर्जन कॉपियां ऐसी निकलीं, जिनमें एक जैसे क्वेश्चन सीरिज और एक ही जैसे आंसर लिखे हुए थे। कॉपियों के पहले पेज से लेकर अंतिम पेज तक सब कुछ एक जैसा लिखा हुआ था। एक-एक शब्द एक जैसा। देखकर ऐसा लग रहा था कि ब्लैकबोर्ड पर लिखकर नकल कराई गई है या किसी ने बोलकर लिखवाया है। यह कॉपियां इंटर की थी और जौनपुर के किसी सेंटर से आई थी।

कौन हैं नकल माफिया

कहने के लिए कॉपियां स्टूडेंट्स की हैं, लेकिन कहानी नकल माफियाओं की उजागर हो रही है। ब्लैक बोर्ड का मतलब है कि परीक्षा केंद्र का समस्त स्टाफ नकल माफियाओं के साथ मिला हुआ है। कॉपियों को देखकर कोई भी बता सकता है यह किसी ऐसे सेंटर का काम है, जिसमें स्पेशल स्टूडेंट्स को अलग से बैठाकर नकल करवाई हो। सूत्र बताते हैं कि सरकार और अधिकारियों की सख्ती दिखावे तक सीमित है। आज भी हर जिले में ऐसे परीक्षा केंद्र संचालित किए जा रहे हैं, जहां नकल माफियाओं की तूती बोलती है और स्टूडेंट्स से मोटी रकम लेकर नकल कराई जाती है।

कॉपियों से मोहर गायब

बात सिर्फ सामूहिक नकल तक सीमित नहीं है। कई अन्य तरह से भी गोलमाल सामने आ रहा है। जहां जीआईसी सेंटर पर सामूहिक नकल सामने आई, वहीं डीएन इंटर कॉलेज में कुछ कॉपियों से मोहर का गायब होना भी अपने आप में बहुत बड़ी बात थी। यहां हाईस्कूल की मैथ्स और बायो की कुछ कॉपियों से मोहर ही गायब थी, साथ ही कॉपियों पर किसी भी कक्ष निरीक्षक या केंद्र व्यवस्थापक तक के सिग्नेचर तक नहीं थे। जाहिर है कि असली कॉपियां गायब हो गईं और नकली कॉपियां चेकिंग के लिए भेज दी गईं। आशंका जताई जा रही है कि इस खेल में भी शिक्षा विभाग के जिम्मेदार कर्मचारी भी शामिल हो सकते हैं। निरीक्षकों का कहना था कि इन कॉपियों को देखकर तो यह भी नहीं पता लग पा रहा है कि यह कॉपियां कहां की हैं। सूत्रों की मानें तो इस तरह की कॉपियां अवैध ही मानी जाती हैं। सेंटर पर इलाहबाद व बनारस की कॉपियां चेक होने आई हैं। इन कॉपियों को फिलहाल चेक करके कॉलेज के कोठार में अलग से ही रखा गया है। इन कॉपियों को स्पेशल रिपोर्ट के साथ माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में भेजा जाएगा, आगे की कार्रवाई बोर्ड स्तर से ही होगी।

निकल रहे हैं नोट

जीआईसी सेंटर पर कॉपी निरीक्षक की टी पार्टी तय हो गई, जब उनकी कॉपियों में रुपए निकलने लगे। मैथ्स की कॉपी में पचास का नोट, इंग्लिश की कॉपी में सौ का नोट और साइंस की कॉपी में सौ और पचास का नोट निकला।

मैं गरीब हूं, पास कर दो

मूल्यांकन के दूसरे दिन सेंटरों पर कॉपी निरीक्षक हंसते-हंसते लोट-पोट हो गए। इंटर की इंग्लिश की एक कॉपी में किसी परीक्षार्थी ने लिखा हुआ था कि मैं बहुत गरीब हूं, मुझे पास कर देना। वहीं किसी कॉपी में लिखा हुआ था कि एग्जामनर महोदय मैं आपसे रिक्वेस्ट करता हूं कि जो गलती हो माफ करना और मुझे पास कर देना। वहीं होम साइंस की कॉपी में एक परीक्षार्थी ने लिखा हुआ था कि मेरे पापा नहीं हैं, मम्मी भी बीमार रहती है, मुझे पास कर दो प्लीज।

इस तरह की काफी कुछ शिकायतें सेंटरों से सुनने में आई हैं। इस मामले में सेंटरों से रिपोर्ट तैयार कर बोर्ड में भेजने के लिए कहा गया है। आगे की कार्रवाई बोर्ड स्तर से ही होगी।

एके मिश्रा, डीआईओएस

इमला बोल नकल की आशंका

जीआईसी, डीएन, बीएवी और एसएसडी लालकुर्ती चारों ही सेंटर पर इस तरह की कापियां निकल रही है। जिनमें इमला बोल नकल सामने आ रही है। इतिहास, भूगोल और हिंदी जैसे विषयों में एक और दो नंबर के लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर लिखने का तरीका कुछ इस तरह का है, जैसे किसी ने जल्दबाजी में बोलकर लिखवाया हो और किसी ने जल्दबाजी में लिखा हो। बंडल के बंडल ऐसे निकल रहे हैं, जिनमें एक ही सवाल के जवाब कई स्टूडेंट ने जल्दबाजी में लिखे हुए है। यह कापियां अधिकतर बनारस व इलाहबाद की हैं।