फारेस्ट सर्वे में सूख गई मेरठ के वन विभाग की हरियाली

धरातल पर नहीं उतर सकी योजनाएं, कागजी दावे करता रहा वन विभाग

Meerut। वन विभाग के तमाम दावों को फॉरेस्ट सर्वे की रिपोर्ट ने बेमानी साबित कर दिया है। गत दशक में 15 लाख से ज्यादा पौध रोपने का दावा आंकड़ों में फर्जी पाया गया। सेटेलाइट सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक मेरठ में हरियाली महज 1 प्रतिशत बढ़ी है। सुप्रीम कोर्ट के अधीन जारी कैंपा निधि भी हरियाली को संजीवनी नहीं दे पाई। सड़क विस्तारीकरण, कॉलोनी डेवलपमेंट, औद्योगिकीकरण में बड़े पैमाने पर पेड़ काटे गए। दूसरी ओर 2073 वर्गकिमी क्षेत्रफल में फैली सेंचुरी को वन तस्करों ने वीरान कर दिया। चंदन एवं सागौन के पेड़ों की कटान में कई बार वन विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत भी उजागर हो चुकी है।

सर्वे में खुली सच्चाई

वन विभाग ने गत पांच वर्ष में दस लाख से ज्यादा पौधे रोपे। विभागीय दावा है कि 80 फीसद पौधे सुरक्षित हैं। केंद्र सरकार के निर्देश पर हुए फारेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया-2017 की पड़ताल के दौरान 40 फीसद भी पौधे नहीं मिले। नगर निगम क्षेत्र में ही तमाम स्थानों पर लगाए गए पेड़ सूख गए। शहर की ज्यादातर ग्रीन बेल्ट भी उजड़ गई तो उनपर अतिक्रमणकारी काबिज हो गए। सर्वे में निकलकर आया कि गत दो वर्ष पहले कराए गए सर्वे से महज 1 प्रतिशत हरियाली मेरठ जनपद में बढ़ी है।

विभाग के बड़े दावे

मेरठ में वन विभाग ने वायु प्रदूषण ने निपटने के लिए 2012 से 2016 तक 29 ग्रीन बेल्ट विकसित किए। 161.3 हेक्टेअर क्षेत्रफल में ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में 100835 पौधे लगाए हैं। वर्ष 2017 में 6 नई ग्रीन बेल्ट विकसित की गई, जिसमें 27.6 हेक्टेअर क्षेत्रफल में 17250 पौधे लगाए गए। इनमें पीपल, पिलखन, जामुन, नीम एवं शीशम जैसे पौधे शामिल हैं। वन विभाग ने 35 साइट्स पर पौधारोपण किया। इसमें कैंपा निधि से भी 11 स्थानों पर पौधे लगाए गए। हर पेड़ का रिकार्ड रखने के साथ ही इसे केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेजा जाएगा। फारेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया पौधरोपण की सेटेलाइट मानीट¨रग करेगा।

यह है मेरठ की तस्वीर

कुल वन क्षेत्र-2559 वर्ग किमी

अति घना वन-00वर्ग किमी

मध्यम घना वनक्षेत्र-34 वर्ग किमी

खुला वनावरण-34 वर्गकिमी

कुल क्षेत्र-68 वर्गकिमी

कुल क्षेत्रफल पर वन-2.66 फीसद

परिवर्तन-1 प्रतिशत

उप्र का वनावरण-7.25 फीसद

फारेस्ट सर्वे आफ इंडिया की रिपोर्ट में मेरठ में वनावरण बढ़ा है। गत बरसों में रोपे गए पौधों की मानीट¨रग हो रही है। ग्रीन बेल्ट से लेकर अन्य साइटों पर लगाए गए पौधों की पड़ताल की गई है।

अदिति शर्मा, प्रभागीय निदेशक, सामाजिक वानिकी

काटे 493 पेड़, लगाए महज 213 पौधे

डीएम आवास के चारों ओर पिछले साल सड़क चौड़ीकरण में पिछले साल 493 वर्षाे पुराने पेड़ काट दिए गए। जब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में मामला पहुंचा तो हरियाली लगाने का वादा प्राधिकरण ने किया। इस दौरान शहरभर में महज 213 पेड़ लगाए गए, लेकिन इनमें मौजूदा समय में अधिकांश सूखे पड़े हैं।

मेडिकल कैंपस में 90 फीसद पेड़ सूखे

मेडिकल कैंपस गत बरसों में रोपे गए पौधों की हरियाली गुम हो गई। हास्टल के पीछे बसाई गई ग्रीन बेल्ट तो बच गई, किंतु अस्पताल कैंपस के आसपास के पौधे नष्ट हो गए, जो बचे वे रखरखाव के अभाव में दम तोड़ गए।