'पावर' फुल 2017
आई स्पेशल
-नए साल में पश्चिमांचल को 113 बिजली घरों की सौगात
-900 एमवीए तक बढ़ाई गई बिजली घरों की लोड कैपेसिटी
-डिस्कॉम में 416 फीडर्स का किया गया ऊर्जीकरण
Meerut । मेरठ समेत पश्चिम उत्तर प्रदेश के सभी शहरों में 24 घंटे पावर सप्लाई को मेंटेन करने के लिए बड़े स्तर पर तैयारी की है। इसके लिए पीवीवीएनएल ने महज बिजली घरों के निर्माण से लेकर फीडर्स और पावर स्टेशनों की क्षमता बढ़ा दी है, बल्कि रेगुलर पावर सप्लाई के रूप में कंज्यूमर्स को नए साल का तोहफा देने की भी तैयारी कर ली है।
बॉक्स
उपकेन्द्र क्षमता फीडर्स
109 835 399
(उ। प्र। शासन की योजना अंतर्गत)
उपकेन्द्र क्षमता फीडर्स
4 65 17
(केन्द्रीय योजना अंतर्गत)
कुल कार्यो का योग -
उपकेन्द्र क्षमता फीडर्स
113 900 416
(बिजली घरों की क्षमता एमवीए में हैं)
24 घंटे सप्लाई का फार्मूला
गौरतलब है कि बीते एक नवंबर को सीएम अखिलेश यादव ने शहरों को 24 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों को 18 घंटे पावर सप्लाई की घोषणा की थी। जिसके तहत पीवीवीएनएल ने कवायद भी शुरू कर दी है। ऐसे में पीवीवीएनएल ने केन्द्र और प्रदेश सरकार की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत निर्माणाधीन बिजली घरों में तेजी लाकर निर्बाध सप्लाई का फार्मूला तैयार किया है।
मेरठ जोन में 24 बिजली घर
पीवीवीएनएल के अनुसार मेरठ जोन में दो दर्जन यानि 24 बिजली घरों का निर्माण किया गया है। इन बिजली घरों से ऐतिहासिक मेरठ शहर को 24 घंटे पावर सप्लाई का देने का ब्लूप्रिंट तैयार किया गया है।
वर्जन
सीएम की घोषणा को मूर्त रूप देने के लिए सौ से ऊपर बिजली घरों के निर्माण व सैंकड़ों स्टेशनों की क्षमता वृद्धि का काम एक साल के अंदर पूरा कर लिया गया है। नए साल में रेगुलर सप्लाई का बेहतर परिणाम देखने को मिलेगा।
-जीके गुप्ता, चीफ इंजीनियर एमएम पीवीवीएनएल
--------
फिलिप साइड
लाइन'लॉस' फंसी योजनाएं
-उदासीन के चलते कई योजनाएं अधर में लटक गई
-पार्ट-ए के बाद पार्ट बी का काम भी नहीं हो सका शुरू
मेरठ .आरएपीडीआरपी पार्ट बी- केन्द्र सरकार के सहयोग से पीवीवीएनएल ने आरएपीडीआरपी योजना का शुभारंभ किया था। योजना के पार्ट ए के अंतर्गत जहां पावर सप्लाई के इंफ्रास्ट्रक्चर को सुदृढ़ किया जाना था, वहीं पार्ट बी के अंतर्गत आईटी से जुड़े कामों को निपटाया जाना था। लेकिन विभाग के उदासीन रवैये के चलते पार्ट-ए के बाद पार्ट बी का काम शुरू नहीं किया जा सका।
स्काडा सिटी-
मेरठ शहर को स्काडा सिटी बनाया जाना था। इसके अंतर्गत पूरे शहर की पावर सप्लाई को इंटरकनेक्टेड किया जाना था। इस योजना के चलते शहर के सभी बिजली घरों व फीडर्स की क्षमता वृद्धि कर उनको आपस में जोड़ना था, ताकि एक फीडर में खराबी आते ही उसका ऑटो कनेक्शन दूसरे फीडर से हो सके। योजना शुरू होने से पूर्व ही ड्रॉप कर दी गई।
प्रीपेड मीटिरिंग-
बिजली चोरी और रेवन्यू सिस्टम को दुरस्त करने के लिए पीवीवीएनएल प्रीपेड मीटिरिंग योजना लाया था। इसके तहत सभी पौने तीन लाख शहरी कंज्यूमर्स के घरों में प्रीपेड मीटर लगाए जाने थे। अफसरों की सुस्ती और मीटर की कॉस्ट अधिक होने से योजना को ड्रॉप करना पड़ा ।
रूरल मीटरिंग-
यही नहीं ग्रामीण अंचलों में बिजली चोरी पर लगाम कसने के लिए मीटरिंग योजना लाया। योजना के अंतर्गत सभी 250 लाख ग्रामीण कंज्यूमर्स के घरों में मीटर लगाए जाने थे। लेकिन ग्रामीण इलाकों में योजना को खारिज कर दिया गया। लिहाजा योजना बीच में ड्रॉप करनी पड़ी।