विक्टोरिया पार्क अग्निकांड की 15वीं बरसी पर हवन और श्रृद्धांजलि सभा

पीडि़तों और मृतक आश्रितों ने अपनों को दी श्रद्धांजलि, आंखें हुई नम

Meerut। 15 साल बाद भी विक्टोरिया पार्क अग्निकांड के पीडि़तों के जख्म हरे हैं। पीडि़तों और मृतक आश्रितों की जिंदगी आज तक पटरी पर नहीं लौट सकी है। विक्टोरिया पार्क अग्निकांड की डरा देने वाली यादें और अपनों को खोने का गम आज तक लोगों को साल रहा है। इतना ही नहीं, 15 साल बाद भी अग्निकांड के पीडि़तों को सरकार की ओर मुआवजा नहीं दिया गया है।

बरसी पर आंखें नम

शनिवार को विक्टोरिया पार्क अग्निकांड की 15वीं बरसी आयोजित हुई। दरअसल, 15 साल पहले 10 अप्रैल 2006 को यहां एक भयावह मंजर का सामना लोगों को करना पड़ा था। जिसमें सरकारी आंकड़ों के अनुसार 65 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। उन्हीं मृतकों की याद में शनिवार को 15वीं बरसी पर विक्टोरिया पार्क अग्निकांड आहत कल्याण समिति द्वारा से स्मृति स्थल पर हवन किया गया।

याद आया मंजर

साल 2006 में विक्टोरिया पार्क में आयोजित कंज्यूमर मेले के आखिरी दिन शाम के समय अचानक मेले के पंडाल में आग लग गई थी। आग की चपेट में आकर 161 लोग घायल हुए थे और 65 लोगों की मौत हो गई थी। जिसके बाद हादसे में मारे गए लोगों की याद में विक्टोरिया पार्क में स्मृति स्तंभ बनाया गया। जहां हर साल मृतकों और पीडि़तों के परिजन श्रद्धाजंलि देने एकत्र होते हैं। शनिवार को भी स्मृति स्तंभ पर हवन पूजन का आयोजन किया गया। इस दौरान श्रद्धांजलि देने वालों में समिति के महामंत्री संजय गुप्ता, नरेश तायल, कमल रस्तोगी, वीरेंद्र कुमार और सतीश चंद्र आदि उपस्थित रहे।

नहीं मिला मुआवजा

विक्टोरिया पार्क अग्निकांड में झुलसे लोगों का शरीर आज भी घटना की भयावहता को दर्शाता है। अग्निकांड के मृतकों और पीडि़तों को अपने जख्मों पर जिस मरहम की उम्मीद सरकार से थी, वो आज तक पूरी नहीं हो सकी। इतना ही नहीं, तब हादसे में घायल लोगों का इलाज कराने का सरकार ने आश्वासन भी दिया था लेकिन हालात ये रहे कि घायल पिछले 15 साल से अपने इलाज के लिए पैसे-पैसे को मोहताज हैं। आज तक घायलों व मृतक आश्रितों को मुआवजे का इंतजार है, मगर मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है।

कोरोना काल में अटका

विक्टोरिया पार्क अग्निकांड आहत कल्याण समिति के महामंत्री संजय गुप्ता ने बताया कि मृतक आश्रितों का मुआवजा अभी पेंडिंग है। हालांकि प्रशासन स्तर से दो से पांच लाख तक की अग्रिम मदद तो पीडि़तों को मिल गई थी। मगर उपहार कांड के तर्ज पर जो हमने 20-20 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की थी, वह अधर में है। पिछले दो साल से कोरोना के कारण इस पर निर्णय नहीं हो सका है।

नहीं मिली सजा

वहीं इस कांड के दोषी आयोजक और प्रशासनिक अधिकारियों को भी अभी सजा नहीं मिली है। लोकल ट्रॉयल अभी चालू ही नहीं हुआ, जिस कारण से दोषियों पर कोई निर्णय नहीं हो सका है। इस अग्निकांड के बाद सरकार ने दोषियों पर मुकदमा लिखा था लेकिन अभी तक इस पर सरकार की तरफ से ही पैरवी तक नहीं हुई है।

जनप्रतिनिधि भी भूले

10 अप्रैल के इस महत्वपूर्ण दिन पर आयोजित सभा में शहर के गणमान्य व्यक्तियों को आने का समय तक नहीं मिला। पीडि़तों को उम्मीद थी उनके इस गम मे साथ देने के लिए शहर के कुछ गणमान्य शामिल होंगे लेकिन सांसद से लेकर विधायकों तक को विक्टोरिया अग्निकांड की बरसी की सुध तक नहीं।

नहीं कर पाए अंतिम संस्कार

विक्टोरिया पार्क अग्निकांड के नरेश तायल एक ऐसे पीडि़त हैं, जिन्होंने 15 साल पहले इस हादसे में अपने मां मालती तायल और पिता रमेश चंद को खो दिया था। मगर उससे भी दर्दनाक ये कि हादसे के बाद पिता की डेड बॉडी तो इनको मिल गई थी लेकिन मां के अंतिम दर्शन नरेश नहीं कर सके। शुरुआत में तो सरकार ने मृतकों की सूची में नरेश की मां का नाम शामिल नहीं किया था। मगर लंबी कानूनी लडाई के बाद आखिरकार प्रशासन की गलती सामने आई। प्रशासन की लापरवाही के चलते निजी अस्पताल से इनकी मां की बॉडी को दूसरा शख्स ले गया था। घटना के 13 साल बाद 2019 में कोर्ट ने प्रशासन की इस गलती को माना और माता की डेथ सर्टिफिकेट दिलाया। मगर अब इतनी देर हो चुकी था कि नरेश अपनी मां का अंतिम संस्कार तक नहीं कर पाए, जिसका उन्हें आज तक मलाल है।