- शहर में कंज्यूमर्स की संख्या पौने तीन लाख से ऊपर

- पीवीवीएनएल के इंतेजाम आज भी 30 साल पुराने

- लगातार बढ़ रही ओवर लोडिंग, समस्या जस की तस

Meerut। एक नवंबर से शहर को 24 घंटे पावर सप्लाई मुहैया कराने का दावा करने वाला पीवीवीएनएल आज भी 30 साल पुराने सप्लाई सिस्टम पर घिसट रहा है। ऐसा तब है जब शहर में हर साल 20 हजार नए कंज्यूमर्स की संख्या बढ़ रही है। नतीजा यह है कि शहर में बिजली की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। पुराने डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के कारण ओवरलोडिंग व अनशेड्यूल्ड पॉवर कट शहरवासियों के लिए नासूर बन गया है।

ओवरलोडिंग से कराहता सिस्टम

दरअसल, पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम ने 30 साल पूर्व शहर के जिन क्षेत्रों में तत्कालीन आबादी और कंज्यूमर्स के हिसाब से डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम इंस्टॉल किया था। वहां कंज्यूमर्स की संख्या अब पांच गुना बढ़ चुकी है। बावजूद इसके सिस्टम की क्षमता आज भी जस की तस बनी हुई है। नतीजा यह है कि ओवरलोडिंग की मार झेल रहा कम क्षमता का पुराना सिस्टम नए इंतजामों के अभाव में लगातार दम तोड़ रहा है।

हर साल 20 हजार नए कंज्यूमर्स

शहर में पीवीवीएनएल कंज्यूमर्स की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। पिछले कुछ सालों का रिकॉर्ड चेक करें तो हर साल औसतन 20 हजार कंज्यूमर्स की बढ़ोत्तरी हुई है। इसके विपरीत पश्चिमांचल का डिस्ट्रीब्यूशन ढांचा आज भी 30 साल पुराना है, जो वर्तमान इलेक्ट्रीसिटी लोड को झेलने में बिल्कुल समक्ष नहीं है। ऐसे में कहीं अधिक भार के के कारण ट्रांसफार्मर जल जाते हैं, तो कहीं पुरानी व जर्जर पड़ चुकी लाइनों में फॉल्ट होते रहते हैं। जिसका खामियाजा कंज्यूमर्स को भुगतना पड़ता है।

तेजी से बढ़ रहे उपभोक्ता

जनपद में बढ़ रही जनसंख्या के साथ ही बिजली उपभोक्ताओं में भी तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। यदि विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो हर साल 20 हजार उपभोक्ता विभाग से कनेक्शन प्राप्त कर रहे हैं।

उपभोक्ताओं की बढ़ती तदाद

साल शहर ग्रामीण

2007 2,02,355 1,34,584

2008 2,12,233 1,54,584

2009 2,32,435 2,16,668

2010 2,38,328 2,28,577

2011 2,44,578 2,38,925

2012 2,51,592 2,47,988

2013 2,92,594 2,54,694

2014 3,13,443 2,71,475

2015 3,29,154 2,92,342

(सभी आंकडे़ बिजली विभाग से लिए गए हैं)

300 मेगावाट बिजली की कमी

विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो इस समय शहर में बिजली की मांग के सापेक्ष आपूर्ति में भारी कमी है। जिसके चलते शहर में बिजली का संकट बना हुआ है। मौजूद समय में शहर में बिजली की मांग 800 मेगावाट है, जबकि इसके सापेक्ष शहर को केवल 400 मेगावाट बिजली ही मुहैया कराई जा रही है। इस हिसाब से देखें तो शहर 400 मेगावाट बिजली की भारी किल्लत झेल रहा है।

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कटौती मुक्त शहर का सच

असल में विजन-2016 को लेकर शहर को कटौती मुक्त कर 24 घंटे पावर सप्लाई मुहैया कराने कवायद की जा रही है। ऐसे प्रयास पूर्व में भी न जाने कितनी बार किए जा चुके हैं। हालांकि यह प्रयास कभी राजस्व के आधार पर 22 घंटे सप्लाई तो कभी मुख्यालय से शहर को रोस्टिंग फ्री घोषित कर देना। बावजूद इसके इमरजेंसी रोस्टिंग के नाम पर शहर में अंधाधुंध बिजली कटौती होती रही है।

आरएपीडीआरपी योजना के अंतर्गत डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम की क्षमता बढ़ाई जा रही है। इसके अलावा कुछ पॉवर स्टेशन लगाए जाने भी प्रस्तावित हैं। पॉवर स्टेशन के लिए जगह मिलने में देरी हुई है।

-आरके राणा, एसई विद्युत वितरण नगरीय