- आईबी ने खाड़ी और मुस्लिम देशों के स्टूडेंट्स की लिस्ट बनाने को कहा

- खुफिया विभाग के अनुसार मेरठ में दूसरे देशों के 150 से अधिक स्टूडेंट्स

- मुजफ्फरनगर, बिजनौर, गाजियाबाद, हापुड़, नोएडा, मुरादाबाद और मेरठ में आईबी का हाई अलर्ट

- आईएस के भारत में एक्टिव होने से यूथ की सोशल साइट्स और सिमी की गतिविधियों पर रखी जा रही है नजर

- आईएस के निशाने पर है वेस्ट, पहले भी आतंकियों से जुड़ चुके हैं तार

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Meerut : अब वेस्ट यूपी के आला हुक्मरानों ने इस बात को मान लिया है कि करीब आधा दर्जन जिलों में विश्व के सबसे घातक आतंकी संगठन आईएसआईएस की नजरें जमी हुई हैं। खुफिया एजेंसी ने वेस्ट यूपी के आला अफसरों को जिलों में खाड़ी और मुस्लिम देशों के स्टूडेंट्स की लिस्ट बनाने को कहा है। साथ ही उन पर नजर रखने की बात भी कही है। आईएस द्वारा संभावित टेररिस्ट एक्टीविटी को देखते हुए हाई अलर्ट भी जारी कर दिया है। सिमी की गतिविधियां भी पुलिस की नजर में हैं

150 से अधिक स्टूडेंट्स

अगर बात मेरठ की करें तो मेरठ में 150 से अधिक स्टूडेंट्स बाहरी देशों के पढ़ रहे हैं। खुफिया विभाग के सूत्रों की माने तो इस पर सर्वे करने को कहा गया है। सिर्फ मेरठ में 150 से ऊपर स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं। जिनमें से 95 फीसदी स्टूडेंट्स या तो खाड़ी देशों के हैं या फिर मुस्लिम देशों के। ऐसे देशों के स्टूडेंट्स पर नजर रखना काफी जरूरी है, क्योंकि आईएस को ऐसे ही स्टूडेंट्स की तलाश रहती है।

वेस्ट के जिलों में हाई अलर्ट

आईएस के घुसपैठ और उसकी संभावित गतिविधियों को लेकर खुफिया एजेंसी ने मुजफ्फरनगर, बिजनौर, गाजियाबाद, हापुड़, नोएडा, मुरादाबाद और मेरठ में हाई अलर्ट जारी कर दिया है। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो पिछले कुछ सालों में इन इलाकों में आतंकी एक्टीविटी ज्यादा देखने को मिली है। वहीं नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर में बाहरी देशों के स्टूडेंट्स की भरमार है। ऐसे में पुलिस और अधिकारियों को काफी अलर्ट रहना होगा।

सिमी पर भी नजर

खुफिया एजेंसियों की नजर सिमी पर भी है। शक है कि आईएस के कांटेक्ट सिर्फ आईएम और लश्कर से ही नहीं सिमी से भी हो सकते हैं। इसके लिए खुफिया एजेंसी ने अपनी पैनी नजरें रखनी शुरू कर दी है। पिछले दस सालों में वेस्ट में सिमी की एक्टीविटी के रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं। वहीं उन इलाकों पर नजर रखी जा रही है जहां सिमी के कांटेक्ट्स हो सकते हैं।

सोशल साइट्स पर है नजर

मेरठ ही नहीं बल्कि वेस्ट यूपी के यूथ के सोशल नेटवर्किंग साइट्स खुफिया एजेंसियों के रडार पर है। यूथ के साइट्स पर किस तरह का कंटेंट ट्रांसफर हो रहा है? किन लोगों से और किस तरह की बातचीत हो रही है? किन पेजों और साइट्स को लाइक मिल रहा है? तमाम बातों पर नजर रखी जा रही है। इसका सबसे बड़ा रीजन आईएस की गतिविधियों की पड़ताल करना है, क्योंकि आईएस सोशल नेटवर्किंग साइट्स के थ्रू दुनियाभर के लोगों से संपर्क बनाने में जुटाने में लगा है। आतंकी संगठनों को को यूथ तक अपना मोटो और एम पहुंचाने का इससे बेहतर माध्यम कुछ और नजर नहीं आ रहा है।

यूथ को टारगेट

खुफिया एजेंसियों के रडार पर सबसे अधिक यूथ की सोशल नेटवर्किंग साइट्स जैसे फेसबुक, ट्वीटर, जी-मेल, याहू और बाकी साइट्स हैं। सूत्रों की मानें तो आईएस जैसे आतंकी संगठन सबसे अधिक यूथ को टारगेट करते हैं। सिविल एवं सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स, डॉक्टर्स, प्रोफेसर्स, टीचर्स आदि की सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर हिट किया जाता है। ताकि थोड़ा सा संपर्क होने के बाद उनसे सीधा संवाद कर आईएस ज्वाइन कराया जा सके।

सोशल साइट्स पर 45 लाख एक्टिव

बात वेस्ट यूपी की करें तो छह बड़े जिलों की डेढ़ करोड़ से अधिक आबादी में 45 लाख के करीब यूथ सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर एक्टिव हैं। वहीं मेरठ की बात करें तो 34 लाख की आबादी वाले इस जिले में 7 लाख यूथ फेसबुक, ट्वीटर और अन्य सोशल साइट्स पर एक्टिव हैं।

पहले भी जुड़े हैं आतंकियों से तार

वेस्ट यूपी पहले भी आतंकवादियों की शरणस्थली रहा है। कई साल पहले अब्दुल करीम टुंडा तीन पाक आतंकवादियों के साथ बुलंदशहर आया था। 2008 में दिल्ली ब्लास्ट में शामिल रहे 13 आतंकवादियों में बुलंदशहर का शकील भी था। 2008 तक उसका नाम वोटर लिस्ट में भी था। हाल ही में सेना की गोपनीय जानकारी पाकिस्तान में बैठे आकाओं को देने के आरोप में मेरठ से एक शख्स को अरेस्ट किया गया।

इनसे भी ली जा सकती है मदद

आईएस जहां सोशल नेटवर्किंग साइट्स के माध्यम से संपर्क जुटाने में लगा हुआ है। वहीं मेरठ में पाकिस्तानी और बांग्लादेशियों की भी कोई कमी नहीं है। इस संभावना से बिल्कुल भी इनकार नहीं किया जा सकता था कि आईएस मेरठ और वेस्ट यूपी में अपनी जड़ें जमाने के लिए इन लोगों से संपर्क नहीं साधेगा। खुफिया एजेंसियों और प्रशासन और पुलिस के सामने ये भी एक बड़ा चैलेंज है, क्योंकि पिछले साल 23 आतंकियों के गायब होने की बात भी सामने आई थी, जिनके बारे अभी तक पता नहीं चला सका है। वहीं मेरठ में ही बांग्लादेशियों की काफी बड़ी संख्या है। यहां तक की उन्होंने अपने राशन से लेकर वोटर आईडी कार्ड भी बनवा लिए हैं।

फर्जी एक्सचेंज भी मिला था

16 जनवरी 2015 को गंगानगर में एक ऐसा सेटअप मिला, जहां फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज चल रहा था। इसका खुलासा बीएसएनएल के दिल्ली के अधिकारियों ने किया था। इस एक्सचेंज से पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और अरब कंट्रीज में फोन कॉल किए जा रहे थे, लेकिन पुलिस के पहुंचने से पहले ही वो फरार हो चुके थे। वहां से पुलिस ने लैपटॉप के अलावा और भी कई एसेसरीज बरामद की थी। उस समय भी कई इस पूरे मूवमेंट को आतंकियों से जोड़कर देखा गया था।

आईएम से भी ली जा रही है मदद

दिल्ली में खुफिया एजेंसियों के साथ हुई बैठक में यूपी के आजमगढ़ और वेस्ट यूपी के कुछ जिलों को खासतौर से अलर्ट किया गया है। आजमगढ़, बिजनौर, मेरठ और मुजफ्फरनगर पर खास नजर रखने को कहा गया है। आईएस यहां के युवकों को बरगलाकर अपने साथ जोड़ने के मिशन में जुटा हुआ है। इंडियन मुजाहिद्दीन का आजमगढ़ ग्रुप इस काम में आईएसआईएस की मदद कर रहा है। खुफिया एजेंसियों ने यूपी के अफसरों को आगाह किया है कि आईएस देशभर में आतंकी घटनाओं के लिए यूपी और बिहार को बेस की तरह इस्तेमाल कर सकता है, क्योंकि हाल के कुछ वर्षो में हुई ज्यादातर आतंकी घटनाओं में इन दोनों राज्यों के कुछ जिले आतंकियों के लिए काफी मददगार साबित हुए हैं। खुफिया एजेंसियों की मानें तो इंडियन मुजाहिद्दीन अब आईएस के साथ मिलकर भारत में बड़ी आतंकी वारदात करने की तैयारी में है। आने वाले त्योहार और 15 अगस्त तक को आतंकी हमले की आशंका जताई गई है। इसके चलते दिल्ली में राज्यों की बैठक बुलाकर खुफिया विभाग के जरिए उन्हें अलर्ट किया गया है। दिल्ली में हुई बैठक के बाद यूपी एटीएस, एनआईए व अन्य खुफिया व सुरक्षा एजेंसियों को आजमगढ़ और वेस्ट यूपी के जिलों में अपनी सक्रियता और अधिक करने के निर्देश दे दिए गए हैं।

पाकिस्तान की सरगर्मी बढ़ने के साथ-साथ जमात-उल-दावा आदि संगठनों की ओर से आ रही लगातार धमकियों के मद्देनजर पूरे देश के साथ-साथ मेरठ मंडल में भी हाई अलर्ट है। हालंाकि सिमी अब वर्किंग में नहीं है, फिर भी आतंकी सुगबुगाहट के मद्देनजर पुलिस किसी भी अवांछनीय गतिविधि को नजरअंदाज नहीं कर रही है। आईएम आदि संगठनों के साथ-साथ आईएस की गतिविधियाें पर भी खुफिया नजर है।

आलोक शर्मा

आईजी, मेरठ