- वर्ल्ड वाटर डे आज, दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जाना शहर में कितने भवनों में लगा वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
- बनारस रेल कारखाना और तिब्बती संस्थान बना मिसाल, जहां बारिश में एक बूंद पानी कैम्पस से बाहर नहीं जाता
जल ही जीवन है इस सूत्र वाक्य को लेकर भूजल का लेवल बढाने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर शासन ही नहीं, बल्कि बनारस का प्रशासन भी गंभीर है। डीएम ने भी सख्ती दिखाई जिसका नतीजा यह रहा कि डीएम आवास, वीडीए, विकास भवन, कमिश्नरी, सर्किट हाउस समेत कई सरकारी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अप्लाई कर दिया गया है। यहीं नहीं वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने वाली मल्टीस्टोरी बिल्डिंग या अपार्टमेंट का ही वीडीए की ओर से नक्शा पास किया जा रहा है। इसके अलावा अन्य जो बिल्डिंग्स का निर्माण हो रहा है, वहां भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को कम्पलसरी कर दिया गया। कुल मिला कर गिरते भूजल स्तर को मेनटेन करने के लिए इस सिस्टम को लेकर लोग भी जागरूक हो रहे हैं। बनारस रेल कारखाना और तिब्बती संस्थान एक मिसाल बन गया है जहां बारिश के दिनों से लेकर अन्य दिनों में भी एक बूंद पानी कैम्पस से बाहर नहीं जाता है।
30 फीस अपार्टमेंट में नहीं सिस्टम
वाराणसी में साल 2010 के बाद मल्टी स्टोरी और अपार्टमेंट का कल्चर तेजी से बढ़ा है। जिले में कुल 135 से अधिक अपार्टमेंट हैं। इसमें करीब 90 ऐसे अपार्टमेंट हैं, जहां वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा है। जो अपार्टमेंट रह गए हैं वहां भी इस सिस्टम को लगाने के लिए वीडीए की तरफ से नोटिस दिया गया है। वीडीए ने 300 वर्ग मीटर क्षेत्र में बनने वाली हर नई इमारत का नक्शा पास करने में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य कर दिया है।
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बरेका ने किया कमाल
बनारस रेल कारखाना यानी बरेका ने तो जल संचयन की दिशा में कमाल कर दिया। कई एकड़ में फैले परिसर को रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से जोड़ दिया है। बारिश का एक बूंद पानी भी बर्बाद नहीं होता है। जानकार बताते हैं कि जल संचयन की ऐसी व्यवस्था कहीं नहीं है। परिसर का बरसाती पानी को एक स्थान पर एकत्रित करने के लिए रवींद्रनाथ टैगोर पार्क के मध्य तालाब बनाया गया है। इसके अलावा परिसर में जितने भी मैदान हैं उसमें जगह-जगह बोरिंग की गई है। भूमिगत जल को रिचार्ज करने के लिए 425 सोकपिट और 47 डीप रिचार्ज बेल के निर्माण के साथ वाटर हार्वेस्टिंग भी है।
नये भवन में जरूरी है सिस्टम
वीडीए द्वारा पास किए गए प्रत्येक नक्शे में यह शर्त होती है कि भवन में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जाएगा। इसके लिए आवेदक से विभाग एक लाख रुपए की राशि जमा कराता है, जो रिफंडेबल होती है। यह पैसा तभी वापस होता है जब भू स्वामी सभी प्रक्रिया पूरी करने के बाद एनओसी लेने आता है।
इन विभागों में लगा सिस्टम
विकास प्राधिकरण
विकास भवन
कमिश्नरी
सíकट हाउस
डीएम आवास
जल प्रदूषण बोर्ड
बरेका
नगर निगम
ये भी हैं शामिल
बीएचयू
केंद्रीय तिब्बती अध्ययन संस्थान
अग्रसेन महिला पीजी कॉलेज परमानंदपुर
यूपी कॉलेज
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- 20 प्रतिशत भवनों में नियम का पालन हो रहा
- 16 से अधिक सरकारी बिल्डिंग्स में वाटर हार्वेस्टिंग
- 70 फीसद अपार्टमेंट में लगा है वाटर हार्वेस्टिंग
'' बिना हार्वेस्टिंग सिस्टम के नक्शा पास नहीं करने के निर्देश वीडीए को दिए गए हैं। कॉलोनियों, नगर निगम के पार्क, तालाब सहित निजी आवासों में भी वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के लिए समय-समय पर लोगों को जागरूक किया जाता है। औद्योगिक इकाइयों और शिक्षण संस्थानों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य हैं।
-कौशलराज शर्मा, डीएम
नई इमारतों में हार्वेस्टिंग सिस्टम डेवलप करने की अनिवार्यता पर सख्ती से काम किया जा रहा है। अंडर कंस्ट्रक्शन इमारतों पर भी फोकस है। इसके लिए लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है।
-ईशा दुहन, वीसी वीडीए
शहर में नवनिर्मित अपार्टमेंट में शत-प्रतिशत वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था है। ओवरऑल 70 फीसद अपार्टमेंट और सोसाइटी में वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की गई है। बिना इसके अब नक्शा ही नहीं पास होता है। हालांकि गिरते भू-जल स्तर के लिए यह बहुत जरूरी है। बिल्डर एसोसिएशन भी वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर सरकार के हर प्रयास में साथ है।
-अनुज डिडवानिया, उपाध्यक्ष क्रेडाई यूपी
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ऐसे लगता है सिस्टम
- छत पर एकत्र पानी के लिए जमीन के नीचे टैंक बनाया जाता है।
- उसमें होल कर पाइप को जमीन तक लाया जाता है।
- बीच में पिट (फिल्टर) बनाई जाती है।
- पिट में जाली, गिट्टी, मौरंग, बालू भरा जाता है।
- पाइप को जमीन में बोरिंग कर डाला जाता है।
- 20 से दो लाख रुपये तक खर्च में लगता है रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम