बाजार से गायब हुआ पान का 'राजा'

वाराणसी। बनारस का पान देश से लेकर विदेशों तक मशहूर है। इसमें सबसे बेहतरीन पान मगही है। इसे पान का राजा भी कहा जाता है। मगही का पत्ता लकालक सफेद, चमकदार होता हैं। मुंह में खाते ही ये पान तुरंत घुल जाता है। लेकिन ये पान लोगों के मुंह से दूर होता जा रहा है। इसकी वजह मार्च के बाद पुराने पान का आयात बंद होना है। ये पान नवंबर महीने में आना शुरू होगा, तभी इसके दाम सामान्य होंगे। तब तक इस पान का रस लेने वाले को कई गुना मूल्य चुकाने होंगे.हालात ये हैं कि जुलाई महीने में 10 फीसदी पान ही बाजार में बचा है। अक्टूबर तक ये पान कुछ चुनिंदा दुकानों में ही सिमट जाएगा। मगही पान फरवरी से मार्च तक आता है। इसके बाद कुछ चुनिंदा पान भंडार संचालक ही इसे रखरखाव से अक्टूबर महीने तक संभाल कर रखते हैं।

ये पान हैं खास

मगही, जगन्नाथी, झुक्की, चंद्रकला, सांची (मीठा) और सादा पान

नालंदा में है पैदावार

मगही पान की पैदावार बिहार के नालंदा जिले में है। यहीं से मगही पान आयतित होता है। वहीं जगन्नाथी पान उड़ीसा के बालेश्वर जिला से आता है। इसी तरह झुक्की और चंद्रकला पान बंगाल के मिदनापुर से आते हैं। वहीं सांची (मीठा) पान महोबा से मंगवाया जाता है। सादा पान की लखनऊ, उन्नाव सहित आसपास के जिलों में खेती होती है।

बनारस में खेती की कमी

श्री बरई सभा काशी के महामंत्री अंजनी कुमार चौरसिया ने बताया कि बनारस के बरछांव में पान की खेती (बरेज) लगाए जाते थे, लेकिन अभी वहां उत्पादन नहीं हो रहा है। सरकार से उम्मीद जागी है। भविष्य में यहां भी पान का उत्पादन हो सकता है।

पान का पत्ता संजोना भी आसान नहीं

श्री बरई सभा काशी के महामंत्री अंजनी कुमार चौरसिया का कहना है कि मगही पान के पत्ते को कई महीनों तक संभालकर रखना आसान नहीं होता है। इसकी प्रक्रिया भी बड़ी जटिल है।

- पहले हरे पान के पत्ते को एक बंद कमरे में 15 से 20 दिनों तक हीट में रखा जाता है।

- फिर 4 से 5 दिनों तक ठंडा किया जाता है।

- इसके बाद कई अन्य प्रक्रियाओं से पान में सफेदपन और चमक लाई जाती है।

- इन प्रक्रियाओं को करते रहने के साथ चार महीने तक पान को संभालकर रखना बड़ा मुश्किल होता है। - इस बीच कई पान खराब भी होते हैं। इसमें खर्चा भी बढ़ता है।

जगन्नाथी लेता है जगह

मगही की डिमांड पूरे साल रहती है, लेकिन मार्च के बाद पान का आयात बंद हो जाता है। इस कमी को जगन्नाथी पान पूरा करता है। देखने में मगही के समान ही सफेद और चमकदार होता है, बस काली छीटें नहीं होती हैं। ये पान ही अधिकांश जगह बिकता है। बाजार में जगन्नाथी पान की 70 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

शौकीनों को है पान की पहचान

मगही पान की पहचान पान खाने के शौकीन लोगों को ही है। ये पूरे साल मगही पान ही खाते हैं। मगही पान में चमक और तेज सफेदपन के साथ काले-काले छीटें (तिल के सामान) होते हैं।

2 हजार से अधिक ढोली जाता है रेट

मगही पान का रेट अक्टूबर महीने तक दो हजार रुपए प्रति ढोली से भी ऊपर तक पहुंच जाता है। जुलाई महीने में प्रति ढोली का भाव 7 से 8 सौ रुपए हैं। एक ढोली में 200 पान के पत्ते होते हैं। वहीं जगन्नाथी की कीमत 30 से लेकर 130 रुपए प्रति ढोली और अन्य पानों की कीमत 10 से लेकर 80 रुपए प्रति ढोली है।

25 रुपए में बिक रहा पान

5 रुपए का मगही पान 10 से 25 रुपए में बिक रहा है। इसके रेट अभी और बढ़ेंगे। बनारस में 3 रुपए से पान की शुरुआत होती है। अन्य पानों की कीमत सामान्य है।

मगही पान मार्च के बाद आना बंद हो जाता है। इसके बाद भी पान की सप्लाई अक्टूबर तक करते हैं। इसके लिए मार्च में खरीदा गया पान चार महीने तक संभालकर रखते हैं। पान खराब भी होते हैं। इससे पान की कीमतों में बढ़ोत्तरी होती है।

अंजनी कुमार चौरसिया, महामंत्री, श्री बरई सभा काशी

मगही पानों का राजा कहा जाता है। ये बहुत हल्का और नाजुक पान है। ये हल्की सी गर्मी में झुलसकर खराब हो जाता है। मगही गर्म भी बहुत होता है। सर्दी के चार-पांच महीने ही पान की सप्लाई होती है। अभी पान की सप्लाई बंद है। इस वजह से रेट बढ़े हुए हैं।

सुधीर चौरसिया, अध्यक्ष, वाराणसी सुपाड़ी डीलर्स एसोसिएशन