-कचहरी में मिले हैंड ग्रेनेड की जांच में जुटी सेना, नीलामी में बिकने वाले सेना का कबाड़ होने की आशंका

- बड़ी साजिश की आशंका के बाद सीओ तैयार कर रहे हैं नया सुरक्षा प्लान, लगेगा पीए सिस्टम, बनेगा नया कंट्रोल रूम

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कचहरी में ब्लास्ट की साजिश भले फेल हो गई हो लेकिन अब पुलिस से लगायत सुरक्षा एजेंसियां बरामद हैंड ग्रेनेड को कबाड़ बताकर अपनी गर्दन बचाने में जुटी हैं। पुलिस का कहना है कि बरामद हैंडग्रेनेड सेना के कबाड़ का हिस्सा हो सकता है। हालांकि इसके बाद ये सवाल उठता है कि अगर ये कबाड़ ही था तो कचहरी तक पहुंचा कैसे और इसे लेकर अंदर तक गया कौन? हालांकि पुलिस इन मामलों की जांच कर रही है लेकिन दूसरे दिन भी पुलिस के हाथ कुछ ऐसा नहीं लगा है जिसके बल पर पुलिस कोई ठोस दावा कर सके। वहीं बरामद हैंडग्रेनेड को सेना के हवाले कर दिया गया है। जिसकी जांच सेना की टेक्निकल विंग कर रही है।

बन रहा है तगड़ा प्लैन

कचहरी में शनिवार को हैंडग्रेनेड मिलने के बाद सुरक्षा को लेकर एक बार फिर से कवायद शुरू हो गई है। सुरक्षा प्रबंधों को चाक-चौबंद करने की खातिर सीसी कैमरों का जाल बिछाने की तैयारी है। इसके तहत चारों गेट के साथ कोर्ट रूम में आने-जाने वालों पर नजर रहेगी। हैंडग्रेनेड मिलने के बाद पुलिस को सबसे ज्यादा प्रॉब्लम लोगों तक अपना मैसेज पहुंचाने में हुई थी। जिसे ध्यान में रखते हुए यहां नया पब्लिक एड्रेस सिस्टम लगाया जा रहा है। सुरक्षा प्लान बनाने की जिम्मेदारी सीओ कैंट राजकुमार को सौंपी गई है जिनका कहना है कि परिसर के भीतर एक कंट्रोल रूम भी बनाया जाएगा जहां से निगरानी की जाएगी।

आतंकियों के निशाने पर रही कचहरी में पहले भी ब्लास्ट हो चुके हैं। आतंकी वलीउल्लाह पर हुए हमले के विरोध में इस वारदात को अंजाम दिया गया था। नौै साल पहले हुई वारदात के बाद सुरक्षा को लेकर जो घोषणाएं की गई थीं वह ठंडे बस्ते में चली गई। सुरक्षा के लिए बराबर लिखापढ़ी तो होती है लेकिन रुपये न मिलने के कारण सब फेल हो जाता है। कमिश्नर नितिन रमेश गोकर्ण ने दो दर्जन सीसी कैमरे लगवाने की घोषणा की है। जिसके बाद सुरक्षा प्लान बनाने की जिम्मेदारी सीओ को मिली। नए सुरक्षा प्लान में इसका ध्यान दिया जा रहा है कि हर कोर्ट में घुसने वाला कैमरे की नजर में रहे। इसके लिए गैलरी में कैमरे का एंगल इस तरह रखा जाएगा जिससे यह संभव हो सके।

पहले हटायेंगे वाहन

कचहरी और इसके इर्दगिर्द वाहनों की पार्किंग एक बड़ी समस्या है। हजारों की संख्या में अधिवक्ताओं के अलावा वादकारियों के वाहन सामने सड़क पर खड़े रहते हैं। इसमें यदि कुछ प्लांट कर दिया जाए तो बड़ी वारदात हो सकती है। सुरक्षा प्लान में वाहनों की पार्किंग पीछे की तरफ और जेपी मेहता जाने वाली सड़क पर करने का प्रस्ताव है। कचहरी और कलेक्ट्रेट के लिए मल्टीलेवल पार्किंग का भी प्रस्ताव है।

समन्वय समिति की हर माह होगी बैठक

कचहरी के गेट पर लगे मेटल डिटेक्टर के शोपीस की तरह रहने की शिकायत तो वकील करते हैं लेकिन बीप-बीप की आवाज आने पर यदि सुरक्षाकर्मी हाथ से चेकिंग करते हैं तो बवाल हो जाता है। इस पहलू को ध्यान में रखते हुए एक समन्वय समिति का प्रस्ताव है। समिति में वकीलों की समस्या रखी जाएगी और पुलिस-प्रशासन भी अपना पक्ष रखेगा। हर पखवारे इस समिति की बैठक की जाएगी। इसके साथ पुलिस लाइंस में कचहरी में लगने वाले मेटल डिटेक्टर की जांच रविवार को की गई और इसे दुरूस्त किया गया। एसएसपी आकाश कुलहरि ने आरआई को आदेश दिया है कि कचहरी की सुरक्षा में चुस्त-दुरूस्त पुलिकर्मियों को ही लगाया जाए।

सेना कर रही हैंडग्रेनेड की जांच

कचहरी में मिले हैंडग्रेनेड की जांच सेना के विशेषज्ञों से कराई जा रही है। इस मामले में कैंट थाने में अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की जा चुकी है। एटीएस ने भी ग्रेनेड की जांच शुरू कर दी है। ग्रेनेड पर जो लॉट नंबर है, वह पुणे के खड़की आयुध कारखाने का है। कारखाने से संपर्क किया गया लेकिन शनिवार और रविवार होने के कारण अब सोमवार को ही पता चल सकेगा कि यह ग्रेनेड कारखाने से कहां के लिए जारी किया गया था। ग्रेनेड हाई एक्सप्लोसिव (एचई) 36 है, जिसका इस्तेमाल सेना करती है। ग्रेनेड पर लाल निशान लगा है। आमतौर पर यह निशान ड्रिल आदि में इस्तेमाल होने वाले ग्रेनेड पर लगता है। प्रशिक्षण के दौरान इससे विस्फोटक और डेटोनेटर को हटा दिया जाता है। उधर, सेना के अधिकारियों ने जांच कर बताया कि यह ड्रिल में इस्तेमाल होने वाला ग्रेनेड नहीं है। प्रशिक्षण के दौरान ग्रेनेड बालू में दब जाते हैं। इसे कबाड़ी बालू खोद कर निकाल लेते हैं।