-कैंट स्टेशन कैंपस में रखे बूढ़े हो चुके डीजल इंजन के प्रतिरूप 'पप्पू' का बदलेगा कलेवर

-पैसेंजर्स को रूबरू कराने के लिए सजा संवार कर रखा जाएगा सर्कुलेटिंग एरिया में

VARANASI

दुनिया के पुराने शहर में से एक के साथ ही बनारस की पहचान में रेल इंजन का निर्माण भी शामिल है। जहां ट्रेन के लिए डीजल रेल इंजन का प्रोडक्शन होता है। इसकी सप्लाई रेलवे के अलावा दुनियाभर में होती है। इस पहचान को कायम रखने के लिए कैंट स्टेशन परिसर में डीजल इंजन का प्रतिरूप 'पप्पू' रखा गया है। समय के साथ यह भी बूढ़ा हो चला है। लेकिन इस इंजन का एक बार फिर कलेवर बदलने वाला है। जल्द ही इसे सजा संवार कर स्टेशन पहुंचने वाले लोगों को देखने के लिए सर्कुलेटिंग एरिया में रखा जाएगा।

कभी हाल में बढ़ा रहा था शोभा

कैंट स्टेशन के कैंपस में लगे छोटे इंजन का निर्माण डीएलडब्ल्यू ने सन् क्980 में किया था। शुरुआत में यह इंजन स्टेशन के फ‌र्स्ट क्लास हॉल में पैसेंजर्स को देखने के लिए शोकेस में रखा गया था। सन् ख्00ब् में तत्कालीन ऑफिसर्स ने वहां ग्राउंड इंक्वायरी काउंटर बनाने के लिए इंजन को रिजर्वेशन सेंटर के कैंपस में रखवा दिया। जहां बाउंड्री वाल से यह घिर गया। इस बीच रिजर्वेशन सेंटर की बाउंड्रीवाल तोड़कर रोड बनाए जाने की योजना के चलते पप्पू इंजन भी रोड पर आ गया। खुले आसमान के नीचे इसे रख दिया गया है। पीएम नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के कारण पप्पू इंजन को एक बार फिर से बनारस की पहचान बनाए जाने के लिए प्लैन स्टार्ट हो गया है। जल्द ही नवनिर्मित सर्कुलेटिंग एरिया में पप्पू इंजन को शोपीस में रखा जाएगा।

ताकि विरासत रहे कायम

डीएलडब्ल्यू की स्थापना रेलवे को डीजल इंजन की सप्लाई के लिए गया। इसके साथ ही बनारस की विरासत में डीजल रेल इंजन भी शामिल हो गया। जिससे पब्लिक, पैसेंजर्स सहित दुनिया भर से बनारस पहुंचने वालों को परिचित कराने के लिए कैंट स्टेशन को चुना गया। यहां 80 के दशक में रेल इंजन के छोटे रूप को लगा भी दिया गया। अब इसे फिर से सबके सामने लाने की तैयारी है ताकि विरासत को बचाए रखा जा सके।