-गर्मी शुरू होते ही सिटी में बड़ी सं2या में खुले ट्रेनिंग कै6प

-कहीं खेलों का प्रशिक्षण तो कहीं सिखाया जा रहा है डांस

-ट्रेनिंग के नाम पर हो रहा फर्जीवाड़ा भी

-कई स्पो‌र्ट्स ट्रेनिंग कै6प व फिटनेस 1लब के पास नहीं हैं योग्य ट्रेनर

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VARANASI : गर्मियों में स्टूडेंट्स को पढ़ाई से राहत मिली तो खुद को खेलों में पारंगत करने निकल पड़े। फुर्सत मिलने पर मम्मी-पापा भी अपने शौक को पूरा करने में लग गए हैं। इस मौके का फायदा उठाने के लिए शहर में बड़ी संख्या में ट्रेनिंग कैम्प खुल गए हैं। कहीं खेलों का प्रशिक्षण दिया जा रहा तो कहीं डांसिंग का क्लास शुरू किया गया है। बदले में अच्छी खासी रकम वसूली जा रही है। कम लोगों को पता होगा कि ढेरों कैम्प में मौजूद ट्रेनर खुद ट्रेंड नहीं होते हैं। यहां सिक्योरिटी का इंतजाम भी नहीं होता है। ऐसे में ट्रेनिंग भारी पड़ सकती है।

हर तरफ चल रही एक्टिविटी

गर्मी के दिनों में स्कूल बंद होने के बाद गार्जियन बच्चों को स्पो‌र्ट्स एक्टिविटी में इनवॉल्व रखना चाहते हैं। इससे जहां बच्चा हेल्दी रहता है वहीं पढ़ाई की बजाय उसे खेल में भी कॅरियर बनाने का अवसर मिल सकता है। यही सोचकर गार्जियन पूरे शहर में जगह-जगह खुले प्रशिक्षण शिविर में एडमिशन करा दे रहे हैं। कहीं तैराकी सिखायी जा रही है तो कहीं रोलर स्केटिंग। क्रिकेट, फुटबॉल, कराटे और बैडमिंटन में बच्चे हाथ आजमा रहे हैं। मम्मी-पापा फिटनेस क्लब्स में सालसा, कन्टेंपररी, जुम्बा, एरोबिक्स, हिप हाप के जरिए अपने फिगर को मेंटेन कर रहे हैं।

मनमाना ले रहे फीस

मौके को एनकैश करने के लिए खुले ट्रेनिंग कैम्प और फिटनेस क्लब्स में मनमाना फीस वसूली जा रही है। ज्यादातर प्रशिक्षण शिविर में कितना शुल्क होगा यह बच्चों की संख्या पर निर्भर करता है। बच्चे अधिक मिल गए तो कुछ कम हो सकता है बच्चे कम हुए तो वसूली अधिक रुपयों की होगी। ट्रेनिंग के लिए जरूरी किट भी कमाई का बड़ा जरिया हैं। कई ट्रेनर तो इसमें ही लगे रहकर अपनी जेब भरते हैं। इस तरह के ट्रेनिंग कैम्प और फिटनेस क्लब्स पर किसी का कंट्रोल नहीं होने की वजह से वह अपनी मनमानी करते हैं।

खुद नहीं हैं ट्रेंड

-ट्रेनिंग कैम्प चलाने वाले महिला और पुरुष कोच के पास ट्रेनिंग के लिए जरूरी योग्यता नहीं होती है।

-अक्सर फर्जी डिग्रियां आदि दिखाकर बच्चों और गार्जियन को अटैक्ट करते हैं।

-अनट्रेंड कोच के जरिए ट्रेनिंग मिलने से बच्चों का शुरुआती प्रशिक्षण खराब होता है।

-फाउंडेशन ट्रेनिंग बिगड़ने से बच्चों के खेल का कॅरियर गड़बड़ा सकता है।

-ट्रेनिंग प्लेस पर सिक्योरिटी के इक्विपमेंट नाममात्र के होते हैं।

-प्राथमिक चिकित्सा का भी कोई इंतजाम नहीं होता है।

-क्रिकेट, रोलर स्केटिंग, फुटबॉल और कराटे में चोट लगने की संभावना अधिक रहती है।

-तैराकी प्रशिक्षण शिविर में योग्य प्रशिक्षक न होने के से बच्चों के डूबने का खतरा रहता है।

-अधिकांश प्रशिक्षण शिविरों में ग‌र्ल्स को अपने कपड़े बदलने के लिए चेंज रूम भी नहीं होता है।

आप ही रखें ख्याल

-बच्चों या खुद के ट्रेनिंग के लिए एडमिशन से पहले कोच के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर लें।

-उसकी योग्यता और ट्रेनिंग की अवधि के बारे में भी पता करें।

-ट्रेनिंग कैम्प किसी प्रतिष्ठित संस्था से रजिस्टर्ड है तो बेहतर होगा। इस बारे में भी पता करें।

-ट्रेनिंग कैम्प में सुरक्षा के क्या इंतजाम हैं इसका पता लगाना जरूरी है।

-चोट आदि लगने पर कितना जल्दी उपचार मुहैया कराया जा सकता है इसके बारे में भी आश्वस्त हो लें।

-ट्रेनिंग से पहले फीस के बारे में जरूर बात करें ताकि ठगे जाने से बच सकें।

पढ़ाई के इतर बच्चे खेल में काफी रुचि दिखाते हैं। इस वक्त उन्हें ट्रेनिंग हासिल करने का बढि़या मौका मिलता है। गार्जियन इस बात को जरूर ध्यान दें कि ट्रेनिंग किसी योग्य कोच के जरिए ही होना चाहिए ताकि बच्चे का फाउंडेशन सही रहे।

अमल चतुर्वेदी

सीनियर क्रिकेट कोच

खेल कॅरियर के लिए हो या शौक के लिए उसकी ट्रेनिंग महत्वपूर्ण है। इसके लिए ट्रेंड कोच का होना जरूरी है। मौके का फायदा उठाने के लिए तमाम ट्रेनिंग कैम्प खुल जाते हैं। उनके पास योग्य कोच नहीं होते हैं। इसका नुकसान ट्रेनिंग लेने वाले को उठाना पड़ सकता है।

शम्स तबरेज शम्पू