शहर में चल रही सिटी बसेज में टूटी हैं खिड़कियां, लू के थपेड़ों के बीच खराब सीटों पर बैठना हुआ मुश्किल
- ड्राइवर के बैठने का भी ठीक से इंतजाम नहीं, फर्स्ट एड बॉक्स का आलमारी के तौर पर होता है इस्तेमाल
VARANASI
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में सिटी बसेज की हालत खस्ता हो चुकी है। सड़क पर दौड़ने वाली इन बसों में चलना किसी आफत से कम नहीं है। जेनएनएनयूआरएम के तहत संचालित इन बसों में जहां पैसेंजर्स को टूटे विन्डों और दरवाजों के बीच लू के थपेड़ों की मार झेलनी पड़ती है, वहीं स्वास्थ्य, सुरक्षा और इमरजेंसी के प्वाइंट ऑफ व्यू से कोई भी उम्मीद करना बेईमानी होगी। बाहर का नजारा देख अंदर जाने से पहले ही पैसेंजर की हिम्मत टूट जाती है। फिर भी सामने दूसरा कोई विकल्प न होने से सिटी बस की सवारी करना उनकी मजबूरी हो जाती है।
पैसेंजर्स झेलते है लू के थपेड़े
सच की पड़ताल करने पहुंची डीजे आई नेक्स्ट की टीम के सामने एक से बढ़कर एक मामले सामने आये। कैंट डिपो से आशापुर-सिधौना के बीच चलने वाली गाड़ी संख्या यूपी म्भ् ए ब्0ब्म् के पीछे विन्डो का शीशा टूटा हुआ था। पीछे बैठे पैसेंजर ने लू से बचने के लिए अपने चेहरे को रुमाल ढंका हुआ था।
फर्स्ट एड बॉक्स का यूज
हमारी निगाह पास में खड़ी एक और सिटी बस पर पड़ी तो बड़ा ही चौंकाने वाला मामला सामने आया। गाड़ी संख्या यूपी म्भ् एटी भ्फ्ब्म् में फर्स्ट एड बॉक्स से आलमारी का काम लिया जा रहा था। उसे खोलकर देखा तो उसमें दवा और बैंडेज के बजाय कपड़े और कम्बल रखे हुए थे। करीब करीब सभी गाडि़यों की दशा ऐसी ही थी।
यहां भी चलता है जुगाड़ डॉट कॉम
इधर हमने बस के ड्राइवर और कन्डक्टर की सुविधाओं का भी पता लगाने का प्रयास किया। पूरी सवारी को सुरक्षित ले जाने का जिम्मा ड्राइवर के कांधे पर होता है, जो खुद अपनी खराब पड़ी सीट पर जुगाड़ से बैठा हुआ था। गाड़ी चलाने के दौरान सीट जर्क न करे, इसके लिए सीट के नीचे कोल्ड ड्रिंक की खाली बोतल लगानी पड़ी थी।
नहीं सुरक्षा के इंतजाम
सुरक्षा के लिहाज से सिटी बस में कोई इंतजाम नहीं है। दिल्ली में निर्भया कांड के बाद सभी सिटी बसों को सीसीटीवी कैमरे से लैस कर दिया गया था। जो मेंटेनेंस के अभाव में खराब हो गये। बचे खुचे कैमरों को चोर अपने साथ ले गये। इसके अलावा आगजनी जैसी घटना से निबटने के लिए यहां कोई भी फायर इक्यूपमेंट्स नहीं मिलेगा।
प्वाइंटर
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सिटी बसेज हैं रोडवेज के पास
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बस हैं ऑन रोड
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बस हैं विभाग के रिकॉर्ड में खराब
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बसों का कैंट डिपो से होता है संचालन
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बसों का काशी डिपो से संचालन
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लाख किलो मीटर की थी पहले लाइफ
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लाख किलो मीटर अब कर दिया गया
ऑफिशियल वर्जन
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सिटी बसों में जल्द फायर इक्यूपमेंट्स लगाये जायेंगे, साथ ही ओवर डेटेड इक्यूमेंट्स की रिफीलिंग भी करायी जाएगी। बसों में पैसेंजर्स को किसी प्रकार की प्रॉब्लम्स न हो, इसकी मॉनिटरिंग करायी जाएगी।
- पीके तिवारी, रीजनल मैनेजर रोडवेज
पब्लिक वर्जन
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सेफ्टी और सर्विस के नाम पर टिकट में यूजर्स चार्ज लिया तो जाता है, लेकिन वह सुविधाएं उन्हें नहीं मिलती।
- आरपी सिंह, पैसेंजर रायबरेली
सिटी बस में सफर करना जानलेवा हो सकता है। पैसेंजर्स को टूटी खिड़कियों से लू के थपेड़ों की मार झेलनी पड़ती है।
- अलख नारायण सिंह, पैसेंजर राजवाड़ी
खस्ताहाल बसों में चलना आदत सी हो गयी है। रोजाना काम के सिलसिले में घर से शहर आना पड़ता है।
-प्रमोद कुमार गौतम, बाबतपुर