बनारस में चल रहीं कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं समय से हुई लेट

-समीक्षा बैठक में जल्द से जल्द काम पूरा कराने की मिलती है चेतावनी

VARANASI

देश के प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री एक बार फिर बनारस आने वाले हैं। एक बार फिर शहर में चल रहे विकास कार्यो की समीक्षा होगी और बार फिर शहर के आला अधिकारी उनके सामने गलत रिपोर्ट पेश करेंगे। उसके सामने प्रस्तुत किया जाएगा कि काम पूरे रफ्तार से चल रहा है। कुछ बाधाओं की वजह से देरी हो रही है। जबकि सच ये है कि कई बेहद महत्वपूर्ण योजनाएं वक्त से काफी पीछे हैं। इसकी वजह से ना सिर्फ सरकार परेशान है बल्कि बेतरतीब काम की वजह से पब्लिक भी परेशान है। समय से काफी लेट हो जाने की वजह से योजनाओं का बजट भी बढ़ता जा रहा है।

बनारस में चल रही परियोजनाओं को समय से पूरा करने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। काम में कोई बाधा आती है तो उसे दूर किया जाएगा। काम की गति और गुणवत्ता पर नजर रखा जा रहा है।

योगेश्वर राम मिश्र, डीएम

जल परिवहन को चाहिए जमीन

सेंट्रल गवर्नमेंट की एक महत्वाकांक्षी योजना है जल परिवहन। बनारस से हल्दिया के बीच गंगा में तैयार होने वाले इस जलमार्ग से भारी मालवाहक जहाज आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान तक जा सकेंगे। इससे जहां माल की ढुलाई आसान होगी वहीं सस्ती भी होगी। लेकिन इस परियोजना में जमीन की वजह से रोड़ा अटक रहा है। राल्हूपुर में बंदरगाह तो तैयार हो रहा है लेकिन इसका उपयोग कैसे होगा? इसका इंतजाम नहीं हो पा रहा है। अभी तक जल परिवहन के लिए जरूरी जमीन में से थोड़ी ही मिल पायी है। गंगा में कछुआ सेंचुरी की वजह से अभी तक ड्रेजिंग का कार्य भी नहीं हो पा रहा है।

-बनारस से हल्दिया तक 1620 किमी जलमार्ग मार्ग तैयार करना है

-बनारस, झारखंड और हल्दिया में चार टर्मिनल बनाये जाने हैं

-रेल और सड़क मार्ग से जोड़ना है टर्मिनल को

-बनारस में परियोजना के लिए 40 एकड़ जमीन चाहिए पर अब तक डेढ़ एकड़ जमीन ही मिल पायी है।

-योजना की शुरुआत मार्च 2016 में हुई थी इसे एक वर्ष में पहला चरण पूरा होना था और अगले कुछ चरण 2020 तक पूरा करना है

-प्रथम चरण की योजना में कुल लागत 4100 करोड़ है जबकि लेट होने की वजह से रिवाइज्ड कास्ट 5000 करोड़ हो जाएगी।

कब पूरा होगा पीएम का सपना

बनारसवासियों को निर्बाध 24 घंटे बिजली सप्लाई के लिए सेंट्रल गवर्नमेंट ने आईपीडीएस स्कीम लांच की। इसके तहत आसमान में लटकते बिजली के तारों को अंडरग्राउंड किया जा रहा है। लेकिन प्रोजेक्ट की गति थोड़ी धीमी है। इसके फ‌र्स्ट फेज को सितंबर 2017 में ही पूरा करने का लक्ष्य था। पर अभी तक यह पूरा नहीं हो सका है। फ‌र्स्ट फेज के मार्च 2018 में पूरा होने की संभावना है। आईपीडीएस बनारस के एमपी और देश के पीएम नरेन्द्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। उन्होंने खुद अपने हाथों से इसकी शुरुआत की थी।

-आईपीडीएस के पहले चरण में गंगा किनारे आठ गुणे दो किलोमीटर दायरे में तारों को भूमिगत किया जाना है।

-575 किमी केबल अंडर ग्राउंड होगा और 2,84,583 कन्ज्यूमर्स को भूमिगत बिजली मिलेगी

-आईपीडीएस योजना की शुरुआत

19 सितम्बर 2015 को हुई थी, सितम्बर 2017 में पहला चरण पूरा होना था, वर्तमान में 80 प्रतिशत काम हुआ है।

-योजना की कुल लागत 571 करोड़ है अभी रिवाइज्ड बजट नहीं है इसका

कॉरीडोर पर हो रही किचकिच

गोमती कॉरीडोर की तर्ज पर वरुणा कॉरीडोर बनाया जा रहा है। इस योजना के तहत मृतप्राय नदी को बचाने के साथ इसके किनारों को इतना खूबसूरत बनाना था कि बनारस के लोग गंगा के साथ वरुणा के तट पर भी नदी का मनोरम दृश्य निहारने पहुंचे। पिछली सरकार में सीएम अखिलेश ने इस प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया था। यह प्रोजेक्ट दु‌र्व्यवस्था का शिकार हो गया। काम आधा भी नहीं हुआ और रुपये काफी ज्यादा खर्च हो गए। कभी नदी का पानी तो कभी रहस्यमय आग ने काम में बाधा डाला। अब जांच भी हो रही है काम की।

-वरुणा नदी के किनारों पर 10.3 किमी का कॉरीडोर बनाना है। अब तक दो किमी तक कॉरीडोर बन सका है

-इसकी शुरुआत 22 दिसम्बर 2016 को हुई थी और मार्च 2018 में पूरा होना था

-वर्तमान में 40 प्रतिशत ही काम हो सका है इसमें ही 190 करोड़ खर्च हो गये

-योजना की कुल लागत 215 करोड़ तय थी योजना में लेट की वजह से रिवाइज्ड कास्ट 300 करोड़ हो गयी है।

ऊर्जा गंगा के बहाव में बाधा

ऊर्जा गंगा प्रोजेक्ट पीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट है। काम की रफ्तार शुरू में तो ठीक रही लेकिन जैसे-जैसे काम आगे बढ़ा वैसे उसकी रफ्तार धीमी पड़ गयी। अब यह योजना अपने निर्धारित समय से पीछे चल रही है। जिस पाइप के जरिये गैस शहर तक आएगी उसे बिछाने के लिए जमीन देने में किसान आना-कानी कर रहे हैं। इसका उद्देश्य भारत के पूर्वी भाग के लोगों को पीएनजी (पाइप्ड नेचुरल गैस) और वाहनों के लिए सीएनजी उपलब्ध कराना है। इसके तहत उत्तर प्रदेश के जगदीशपुर से पश्चिम बंगाल के हल्दिया को जोड़ने वाली गैस पाइप लाइन बिछायी जाएगी। बनारस के घरों में पाइप लाइन के जरिये गैस पहुंचायी जाएगी।

-ऊर्जा गंगा प्रोजेक्ट के प्रारंभ होने की तारीख 24 अक्टूबर 2016 है, इसे बनारस में सितम्बर 2018 में पूरा होना है

-वर्तमान में -70 परसेंट प्रतिशत काम हुआ है योजना की कुल लागत-51000 करोड़ है जबकि बनारस में 579 करोड़ रुपये खर्च होंगे

-पाइप लाइन बिछाने के लिए जमीन मिलने में हो रही मुश्किल इसकी वजह से योजना लेट हो रही है इसे पूरा होने की संभावित तिथि-दिसम्बर 2018