-गणेश चतुर्थी पर महिलाओं ने पूरे दिन बिना अन्न जल ग्रहण किये रखा व्रत

-शहर के सभी गणेश मंदिरों में उमड़ा व्रती महिलाओं का रेला

गणेश चतुर्थी के अवसर पर रविवार को महिलाओं ने पुत्र के दीर्घायु की कामना में बिना अन्न जल ग्रहण किये व्रत रखा और विधि-विधान से विघ्नेश की पूजा की। वहीं विघ्नहर्ता का दर्शन पूजन करने को शहर के विभिन्न गणेश मंदिरों में जबरदस्त भीड़ रही। लोहटिया स्थित बड़ा गणेश मंदिर में सुबह से ही दर्शनार्थियों का रेला उमड़ा रहा। कड़ाके की ठंड को नजरअंदाज कर श्रद्धालु महिलाएं मंदिर में प्रवेश के लिए लंबी लाइन में लगी रहीं। महिलाओं ने पूरे दिन व्रत रखा और विधि विधान से पूजा करने के बाद रात में चंद्रमा को अ‌र्ध्य देकर व्रत का संकल्प पूरा किया।

सुबह से देर शाम तक लगी रही लाइन

कबीरचौरा से लेकर मैदागिन तक का पूरा एरिया श्रद्धालुओं से पटा रहा। भीड़ को देखते हुए इस रूट पर वाहनों के आने जाने पर रोक लगा दिया गया था। जबरदस्त भीड़ के चलते ट्रैफिक पुलिस को यातायात व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में खासी मशक्कत करनी पड़ी। मंदिर में दर्शन के लिए लोगों के पहुंचने का क्रम सुबह से ही स्टार्ट हो गया था। जो देर शाम तक चला। बड़ा गणेश मंदिर में भीड़ को देखते हुए कबीरचौरा और मैदागिन दोनों प्लेसेज पर वाहनों को रोक दिया गया था।

रात 9.40 बजे दिया अ‌र्घ्य

सुबह संकल्पों के साथ महिलाओं ने व्रत का आरंभ किया। दोपहर से फल-मिष्ठान की जुटान के लिए रुख बाजारों की ओर था। साथ ही घरों की रसोई से निकलने वाली तिल-गुड़ के लड्डुओं की सोंधी गमक भी वातावरण में घुलने लगी। शाम के साथ शुरू हुआ इंद्रदेव के आसमान पर छाने का इंतजार। हालांकि ज्योतिíवदों के अनुसार उनके उदय का समय रात 8.20 बजे तय रहा लेकिन माघ कृष्ण चतुर्थी तिथि रात 9.40 बजे लगी। ऐसे में इसके बाद ही गणपति पूजन और चंद्रदेव को अ‌र्घ्य दिया गया। ज्योतिषाचार्य पं। चक्रपाणी भट्ट के अनुसार संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत में रात्रि व्यापिनी चतुर्थी का मान रहा। माघ कृष्ण चतुर्थी रात 9.40 बजे लगी जबकि चंद्रोदय रात 8.20 बजे ही हो गया। ऐसे में 9.40 बजे ही चंद्रदेव को व्रती महिलाओं ने अ‌र्घ्य दिया। इस दौरान भगवान गणेश को काला तिल-गुड़ का लड्डू, ऋतु फल आदि भी अíपत कर सविधि षोडशोपचार-पंचोपचार पूजन और चंद्र अ‌र्घ्य के बाद व्रत का पारन किया।

विघ्नहर्ता के मंदिर में श्रद्धालुओं का रहा रेला

लोहटिया स्थित बड़ा गणेश मंदिर के अलावा लोगों चिंतामणि गणेश (सोनारपुरा), ढुंढिराज गणेश (विश्वनाथ गली), दुर्ग विनायक (दुर्गाकुंड), दूध विनायक (जतनबर) आदि गणेश मंदिरों में दर्शन व पूजन को भारी भीड़ उमड़ी।