-सिटी में ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार के लिए ऑटो व रिक्शों पर कसी जा रही है नकेल

-लेकिन ई रिक्शों की बढ़ रही संख्या को काबू में करने पर नहीं दिया जा रहा ध्यान

-शहर में कहीं कोई स्टैंड न होने से जहां तहां ई रिक्शा खड़ी कर सवारी भरने से रोड पर लग रहा है भीषण जाम

VARANASI

शहर की ध्वस्त हो चुकी ट्रैफिक व्यवस्था को पटरी पर लाने का पुलिस व प्रशासन का प्रयास वाकई सराहनीय है लेकिन क्या सिर्फ ऑटो या रिक्शों पर ही नकेल कसने से शहर की ट्रैफिक व्यवस्था सुधर जायेगी? ये सवाल इसलिए भी बड़ा है क्योंकि इन दिनों सिटी में ट्रैफिक का बैंड बुरी तरह से बजाने का काम शहर में दौड़ रहे ई रिक्शे कर रहे हैं। गोदौलिया, मैदागिन, लंका, कचहरी व कैंट हर जगह इन ई रिक्शों के चलते जाम का झाम बढ़ता ही जा रहा है। चौराहों पर इनके लिए कोई स्टैंड न होने व इधर उधर कहीं भी रुककर मनमाने तरीके से सवारी भरने के कारण पूरा शहर डेली जाम की चपेट में आ जा रहा है और पब्लिक इस जाम में फंसकर परेशान हो रही है। इसके बाद भी इनको व्यवस्थित करने का कोई इंतजाम नहीं किया जा रहा है।

ये प्रयास अच्छा है लेकिन

शहर में ट्रैफिक सिस्टम में सुधार के लिए एसएसपी नितिन तिवारी ने क्भ् चौराहों पर जेब्रा क्रॉसिंग बनवाने के साथ ही चार चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल शुरू कराया तो लोगों को ट्रैफिक के स्मूद होने की उम्मीद जगी। इस बीच सिटी में ख्ब् ऑटो स्टैंड्स पर अब कितने ऑटो खड़े किये जा सकेंगे यह भी तय कर दिया गया। जिसके बाद बड़ी राहत की बात कही जाने लगी लेकिन क्या सिर्फ ऑटो या रिक्शों समेत अतिक्रमण हटाने पर ही ध्यान देने से ही ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार आ जायेगा। शायद नहीं क्योंकि ट्रैफिक स्मूद न होने के पीछे ई रिक्शा ही मेन कारण बने हुए हैं। रोड़ा ये है कि इनकी संख्या को लेकर पर प्रॉपर ध्यान न देने के कारण सिटी में इनकी संख्या और बढ़ती ही जा रही है। वैध से ज्यादा अवैध ई रिक्शे सड़क पर दौड़ रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि शहर में इन ई रिक्शों को सही ढंग से खड़ा करने की अब तक कोई व्यवस्था ही नहीं है। किसी चौराहे, सड़क या शहर के किसी प्लेस पर ई रिक्शों के लिए सरकारी स्टैंड ही नहीं है। जिसके कारण हर चौराहे पर ये कब्जा कर जाम को बढ़ाने का काम कर रहे हैं।

हाईलाइट्स

- शहर में दौड़ रहे हैं ब्000 ई रिक्शे

- रजिस्टर्ड हैं सिर्फ क्000 के आस पास

- इंडिया मेड ई रिक्शों को ही चलने की परमिशन

- हर रोज बढ़ रही है इनकी संख्या

-इनके लिए नहीं है सरकारी किराया सूची

- हर रूट पर हो रहा है इनका संचालन

- पर सवारी से वसूलते हैं क्0 से ख्0 रुपये

- चौराहों पर बेतरतीब खड़ा कर बनते हैं जाम की वजह

होना था ये लेकिन

- ई रिक्शों के लिए अलग पार्किंग बननी थी

- हर चौराहे पर चार्जिग पॉइंट लगने थे

- निगम या आरटीओ को किराया लिस्ट फाइनल करनी थी

- आरटीओ को कराना है इनका रजिस्ट्रेशन

- प्रॉपर चेकिंग कर अवैध ई रिक्शों के खिलाफ होनी थी कार्रवाई