- 22 वें गंगा महोत्सव का हुआ समापन

- पं। राजन-साजन मिश्र ने बहायी सुरों की गंगा

- कथक व सूफियाना नृत्य के साथ ही सितार वादन ने मोहा मन

गंगा किनारे सुर ताल लय का रविवार को संगम 22वें गंगा महोत्सव के तीसरी निशा पर हुआ। इसमें प्रख्यात गायक पं। राजन-साजन मिश्र के सुरों की गंगा बही। मिश्र बंधु ने सधे अंदाज में कार्यक्रम की प्रस्तुति कर श्रोताओं को शास्त्रीय गायन से भिगो दिया। महोत्सव समिति द्वारा संत रविदास घाट पर आयोजित महोत्सव में मिश्र बंधु ने अपने कार्यक्रम का आरंभ राग बागेश्वरी विलंबित एकताल में प्रस्तुत रचना से किया। कवन गत भयी मोरी, पिया न पूछें एकहु बार मध्य लय में प्रस्तुत रचना-ऐ री मैं कैसे घर जाऊं व जमुना जल भरन नाहीं मोहे देत कन्हाई सुनाकर महोत्सव को बुलंदियों पर पहुंचाया। भजन सुनाकर इन्होंने कार्यक्रम का समापन किया। इनके साथ तबले पर अरविंद राजा, हारमोनियम पर कांता प्रसाद मिश्र, तानपुरे पर अरुण मिश्र व नंदिनी मजुमदार ने संगत की।

कथक में दिखी संस्कृति

इसी कड़ी में सुश्री रानी खानम व उनके ग्रुप ने कथक व सूफी नृत्य के माध्यम से हिंदू-मुस्लिम संस्कृति का समावेश प्रस्तुत किया। जरा खोलो रे केवडि़या, छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाय के, दमादम मस्त कलंदर आदि गीतों पर इस ग्रुप ने नृत्य की प्रस्तुति कर दर्शकों की भरपूर वाहवाही लूटी। अमीर खुसरो की बंदिश बसंत की प्रस्तुति भी नृत्य के जरिये की। समापन तेरे इश्क रचाया करके थैय्या पर नृत्य प्रस्तुत कर किया। सितार वादक निलाद्री कुमार ने अपने कार्यक्रम की शुरूआत राग विहाग में आलाप, जोड़ व झिंझोटी की प्रस्तुति की। इनके साथ पं। शुभ महाराज ने घमार ताल में द्रुत तीन ताल में बनारस घराने की खुबियों को प्रस्तुत किया। इसके पूर्व आयोजन समिति के अध्यक्ष कमिश्नर नितिन रमेश गोकर्ण व जिलाधिकारी योगेश्वर राम मिश्र ने महोत्सव के समापन की घोषणा की थी। इस दौरान वाराणसी आई बैंक सोसाइटी की ओर से नेत्रदान करने वालों के परिवार के आलोक जायसवाल व विनय अग्रवाल को डीएम व डा। सुनील शाह ने सम्मानित किया। संचालन अनिता सहगल ने किया।