बाढ़ से शहर में बिगड़ी स्थिति, एक मंजिल तक डूब गए मकान

आज सुबह गंगा का जलस्तर 72 मीटर से ऊपर

वाराणसी में बाढ़ से स्थिति लगातार बिगड़ रही है। गंगा और उसकी सहायक नदी वरुणा पलट प्रवाह के कारण खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। शहर के निचले इलाकों में बाढ़ से लोगों की परेशानियां बढ़ गई हैं। मंगलवार रात 8 बजे गंगा का जलस्तर 71.90 मीटर दर्ज किया गया, जो खतरे के निशान से 64 सेंटीमीटर ऊपर है। गंगा में पानी का स्तर औसतन दो सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है। बाढ़ के कारण कई कालोनियों में पानी घुस गया है। कुछ मुहल्लों में एक मंजिल तक पानी भर गया है। लोगों ने या तो पलायन कर लिया है या ऊपरी मंजिल पर आसरा लिया है। गलियों में अब नावें ही सहारा बनी हुई हैं। एनडीआरएफ के साथ ही पुलिस प्रशासन भी मुस्तैद है।

2019 के रिकार्ड को पीछे छोड़ा

वाराणसी में अब तक की सबसे बड़ी बाढ़ 1978 में आई थी। उस समय गंगा का जलस्तर 73.90 मीटर पहुंच गया था। इसे वाराणसी में बाढ़ का उच्चतम बिंदु माना जाता है। 2013 में 72.63 मीटर और 2016 में 72.56 मीटर तक गंगा का जलस्तर पहुंचा था। 2019 में भी खतरे का निशान पार कर गंगा का जलस्तर 71.46 मीटर तक पहुंचा था। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार मंगलवार रात 8 बजे गंगा का जलस्तर 71.90 मीटर दर्ज किया गया। गंगा में पानी का स्तर एक सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है। अगर बढ़ाव जारी रहा तो बुधवार सुबह 72 मीटर पार हो जाएगा।

35 मुहल्लों व कालोनियों में बाढ़ का पानी

बाढ़ से प्रभावित होने वाले रिहायशी इलाकों में सामने घाट क्षेत्र का मारुती नगर, शिवाजी नगर, गायत्री नगर, रत्नाकर नगर, मदरवा, रमना, नगवा, रामनगर, सूजाबाद, डोमरी और चौबेपुर के ढाब क्षेत्र के दर्जन भर से ज्यादा गांव हैं। वरुणा किनारे जैतपुरा, आदमपुर और सारनाथ क्षेत्र के करीब 35 मुहल्लों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है। जनपद में कुल प्रभावित गांव, मोहल्ला व वार्ड 58 है। बाढ़ प्रभावित लोगों की संख्या 30921 हैं। कुल 1353 सूखा राशन किट का वितरण अब तक किया जा चुका है। बाढ़ राहत क्षेत्रों में रहे लोगों को सुरक्षित राहत शिविरों में पहुंचाने तथा बाढ़ पीडि़तों की सहायता के साथ ही बाढ़ क्षेत्र में निगरानी करने के लिए कुल 31 मोटर बोट, 39 मझौली, 15 छोटी सहित कुल 85 नावों को संचालित किया जा रहा है।

आलीशान बंगले छोड़कर राहत शिविरों में पहुंचे लोग

बाढ़ के कारण बंगलों में रहने वाले लोग भी राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। लंका और बीएचयू से सटे सामने घाट इलाके की मारुति नगर, गंगोत्री विहार, गायत्री नगर कालोनियों के निचले हिस्से और नगवा में घुसे पानी ने सभी को परेशान कर दिया है। लोग अपने मकान छोड़कर गोयनका पाठशाला में परिवार के साथ रहने के लिए पहुंच गए हैं। वाराणसी की इन कालोनियों में बड़े पैमाने पर बिहार के अधिकारियों, ठेकेदारों और रसूखदारों ने अपने बंगले बनवाए हुए हैं। अब इन बंगलों में गंगा का पानी घुस गया है। इससे परिवार के साथ राहत शिविर में इन्हें रहना पड़ रहा हैं।

बाढ़ राहत कार्य युद्ध स्तर

जिले में बाढ़ राहत कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। प्राइमरी पाठशाला सरैया में 173, मदरसा सरैया-1 में 127, मदरसा सरैया-2 में 182, मदरसा सरैया-3 में 129, प्राइमरी विद्यालय ढेलवरिया में 167, माता प्रसाद प्राथमिक विद्यालय बड़ी बाजार में 257, नवयुग विद्या मंदिर ढेलवरिया में 128, राम जानकी मंदिर बड़ादेव ढेलवरिया में 627, गोयंनका संस्कृत महाविद्यालय भदैनी में 127, गोपी राधा इंटर कॉलेज रविंद्रपुरी में 75, प्राथमिक पाठशाला कोटवा में 148, प्राथमिक पाठशाला सलारपुर में 43, पंचायत भवन रामपुर गोबरहा में 83, सरस्वती विद्या मंदिर हुकूलगंज में 58, सुभाष चंद्र बोस इंटर कॉलेज कोनिया में 62, नवोदय पब्लिक स्कूल दानियालपुर में 83, प्राथमिक पाठशाला रामपुर ढाब में 66, प्राथमिक पाठशाला डुमरी में 103, दीप्ति कन्वेंट स्कूल हुकूलगंज में 59, प्राथमिक विद्यालय नगवॉ में 73 तथा जेपी मेहता इंटर कॉलेज में 78 सहित 21 बाढ़ चौकी एवं राहत शिविरों में कुल 2848 बाढ़ प्रभावित लोगों को रखा गया है।

ये है खास

- गंगा का जलस्तर 71.90 मीटर

- 64 सेंटीमीटर खतरे के निशान से ऊपर

- 1978 में 73.90 मीटर बढ़ा था जलस्तर, जो है अब तक का सबसे अधिक

- 2013 में जलस्तर था 72.63 मीटर

- 2016 में जलस्तर था 72.56 मीटर - 2019 में जलस्तर था 71.46 मीटर

- 2021 में जलस्तर पहुंचा 71.90 मीटर

बाढ़ से हुए प्रभावित

- 35 मुहल्लों व कालोनियों में भरा पानी

- 30921 है बाढ़ से प्रभावित

- 2848 लोगों को मिली राहत शिविर में शरण