-अब तक फाइलों से नहीं निकली टेंडर की प्रक्रिया

-गर्मी में होती है नसबंदी क्योंकि बरसात में शुरू हो जाता है प्रजनन काल

कोरोना संक्रमण के दौरान नगर के बाजार बंद हैं। रात को कफ्र्यू लग जा रहा है। इस दौरान सड़कों पर कुत्तों का कब्जा रहता है। यदि किसी विशेष कार्य से नगर की सड़कों पर निकले हैं तो बचाकर चलना होता है। जरा-सा नजदीक गए तो काटने को दौड़ा लेते हैं। सड़कों पर कुत्तों की संख्या को देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि कुत्तों की संख्या में किस कदर बढ़ोतरी हुई है। यह सब नगर निगम की ओर से नियमित तौर पर नसबंदी नहीं होने का नतीजा है। इस वर्ष भी लापरवाही सामने है। बजट बैठक में कुत्तों की संख्या पर रोकथाम के लिए पार्षदों ने जोरदार आवाज उठाई। नसबंदी कार्य में बजट की कमी नहीं होने की घोषणा भी की गई, लेकिन अब तक नसबंदी के लिए निजी संस्थाओं को आमंत्रित नहीं किया जा सका। हालांकि, देरी की बड़ी वजह है कि कोरोना संक्रमण काल। इस दौरान नगर निगम के पशु कल्याण विभाग के चालकों व कर्मचारियों को एंबुलेंस से जुड़े कार्यो में ड्यूटी में लगा दी गई है। वहीं, मुख्य चिकित्साधिकारी व उनका परिवार भी संक्रमित हो गया। इससे प्रक्रिया में देर हो रही है। विभाग का दावा है कि मई माह में निविदा शुरू कर जून तक नसबंदी का कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा।

कुत्तों व बंदरों की संख्या में नहीं आयी कमी

शहर में सड़क और गलियों में घूम रहे निराश्रित कुत्तों की नसबंदी के लिए पूर्व में दो एजेंसी होप और आश्रय से करार किया गया था। एक कुत्ते की नसबंदी पर नगर निगम 750 रुपये एजेंसी को देता था। इसी तरह बंदरों को पकड़ने के लिए मथुरा से विशेषज्ञ बुलाए गए थे। एक बंदर को पकड़कर शहर के बाहर जंगल या पहाड़ पर लेकर जाकर छोड़ने पर नगर निगम 500 रुपये देता था। हालांकि, अब तक हुई प्रक्रिया में न तो कुत्तों की संख्या में कमी आई और न ही बंदरों से राहत मिली।

जहां उठाएंगे, वहीं पर लाकर छोड़ेंगे

निराश्रित कुत्ते की संख्या को कंट्रोल करने के लिए नसबंदी अभियान चलाया जाएगा। निगम के अनुसार नसबंदी के लिए जिस कुत्ते को जहां से उठाया जाएगा, उसे चार दिन बाद नसबंदी करने वाली एजेंसी फिर उसी जगह लाकर छोड़ देगी। रिकार्ड के लिए लिए इस पूरी प्रक्रिया की फोटोग्राफी भी होगी।

शहर में कुत्तों की संख्या

160

पालतू कुत्तों का अब तक हुआ है रजिस्ट्रेशन

05

हजार से अधिक है पालतू कुत्तों की संख्या

25

हजार से अधिक हैं शहर में निराश्रित कुत्ते

कोरोना के चलते कुत्ते और बंदरों को पकड़ने के लिए अभियान नहीं चल रहा है, जिसे बहुत जल्द ही शुरू करने की कवायद चल रही है। कुत्ते की नसबंदी करने के लिए निविदा होगी। मई माह तक प्रक्रिया पूरी कर नसबंदी शुरू कर दी जाएगी।

डॉ। अजय प्रताप सिंह, मुख्य चिकित्साधिकारी, पशु कल्याण विभाग नगर निगम