-प्रदेश बंद के साथ ही बनारस बंद की घोषणाएं हुई धराशाई, बंद के समर्थन में तेजी नहीं दिखा पाये व्यापारिक संगठन

-जुलूस के जाते ही उठते रहे दुकानों के शटर, सिटी में अधिकतर दुकानें रहीं खुली

VARANASI

एक्साइज ड्यूटी के विरोध में एक माह से आंदोलनरत सराफा कारोबारियों का सोमवार को प्रदेश बंद ऐलान के साथ-साथ बनारस बंद का ऐलान पूरी तरह बेअसर रहा। बंद का समर्थन करने वाले व्यापारिक संगठनों का सहयोग भी अपेक्षित तौर पर नहीं देखने को मिला। दोपहर बाद ही सिटी की छोटी-बड़ी दुकानें खुलनी शुरू हो गई। हालांकि सराफा कारोबार में एक माह से चल रही बंदी जारी रही। सिटी में भ्रमण कर कुछ एरिया में दुकानें जरूर बंद कराई गई लेकिन थोड़ी ही देर बाद दुकानदारों ने अपने-अपने दुकानों के शटर उठा लिए। कई जगहों पर जुलूस निकाल कर फाइनेंस मिनिस्टर का पुतला भी फूंका गया।

बाइक जुलूस से आवाज की बुलंद

वाराणसी सराफा एसोसिएशन से जुड़े व्यापारियों ने सुबह लगभग क्क् बजे टाउनहाल मैदान से बाइक रैली निकाली। लगभग डेढ़ सौ की संख्या में व्यापारियों का जत्था काला कानून वापस लो, इंस्पेक्टर राज स्वीकार नहीं आदि नारे लगाते हुए निकले। जुलूस मैदागिन, कबीरचौरा, पिपलानी कटरा, लहुराबीर के रास्ते मलदहिया पहुंचा। मलदहिया पर दुकानें बंद कराते आगे बढ़े लेकिन उनके जाते ही दुकानें फिर से खुल गई। यही हाल सिगरा, रथयात्रा, भेलूपुर, सोनारपुरा की भी रही। जुलूस सोनारपुरा से आगे बढ़ते हुए गोदौलिया के रास्ते चौक जाकर समाप्त हुआ।

बैकफुट पर रहे व्यापारी

एक्साइज ड्यूटी के विरोध में आंदोलित सराफा कारोबारियों के समर्थन में व्यापारिक संगठन आगे आए थे। प्रदेश बंद का आह्वान किया गया था। आंदोलन को धार देने के लिए उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व सांसद श्याम बिहारी मिश्रा तीन अप्रैल को बनारस में रहे। बनारस बंद सफल हो इसके लिए मीटिंग भी हुई थी। व्यापार मंडल से जुड़े सभी व्यापारियों ने एक स्वर में बंदी को सफल बनाने का संकल्प लिया था। दूसरी ओर बनवारी लाल (कंछल गुट) से जुड़े व्यापारियों ने बंदी के समर्थन में हामी भरी थी। बंदी को जिस तरह से व्यापारी संगठनों ने सफल बनाने की तैयारी की थी, उससे यह साफ हो गया था कि प्रदेश में सोमवार का दिन आम लोगों पर भारी पड़ेगा लेकिन बंदी के दिन सभी बैकफुट पर आ गए।