- संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में शुक्रवार को विचार गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा, काशी के विद्वानों ने रामदेव का कभी कोई विरोध नहीं किया

काशी के विद्वानों ने रामदेव का कभी कोई विरोध नहीं किया और न करते हैं। स्वामी रामदेव गुरुकुल के परंपरागत विद्यार्थी के रूप में स्नातक के साथ-साथ वेद वेदांग, आयुर्वेद तथा योग का संपूर्ण अध्ययन कर आज विश्व फलक पर भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म संस्कृति का ध्वजारोहण कर रहे हैं। उक्त बातें संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में शुक्रवार को विचार गोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता व्याकरण विभागाध्यक्ष व काशी विद्वत परिषद के संगठन मंत्री आचार्य ब्रजभूषण ओझा ने कही। उन्होंने कहा कि ऐसे तथाकथित विद्वानों को बाबा रामदेव के बारे में बेहद कम जानकारी है। बाबा रामदेव सदैव शस्त्रों के पोषक, ज्योतिष व परंपरागत ज्योतिषियों के समर्थक हैं। वेदानुकूल शास्त्रानुमोदित जीवन जीने वाले एवं सनातन वैदिक परंपरा के संवाहक, राष्ट्र संत, योग ऋषि बाबा रामदेव भारतीय अस्मिता का प्रतीक के रूप में स्थापित एक राष्ट्र भक्त हैं। कहा कि हम सब काशीवासी ऐसे तथाकथित आडंबरी ज्योतिषियों, तांत्रिकों व फर्जी लोगों का विरोध करते हैं जो अंधविश्वास की अपनी दुकान चलाते रहने के लिए बाबा रामदेव को चुनौती दे रहे हैं। बाबा रामदेव ने भारतीय संस्कृति, संस्कार तथा योग भाव को विश्व में जागृत कर पुन:पहचान दिलाने का कार्य किया। काशी और काशी विद्वत परिषद ऐसे संत के साथ निष्ठा व श्रद्धा के साथ जुड़ा हुआ है। बाबा रामदेव को काशी के विद्वानों का सदैव समर्थन व सहयोग मिलता रहेगा।

बाबा रामदेव के भाव को समझ नहीं सके

ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष प्रो। अमित कुमार शुक्ला ने बताया कि कुछ लोग बाबा रामदेव के भाव को समझ नहीं सके और विरोध पर उतर आए, जो गलत है। व्यक्तिगत स्तर बाबा रामदेव का कोई विरोध कर सकता है, लेकिन काशी के विद्वानों ने कभी उनका विरोध नहीं किया। डॉ। बह्मचारी, डा। राजा पाठक, डा। सत्येंद्र यादव सहित अन्य लोगों ने विचार व्यक्त किया। संचालन व धन्यवाद ज्ञापन डा। ज्ञानेंद्र सापकोटा ने किया।