वाराणसी (ब्यूरो)। कमिश्नरेट पुलिस ने अपराधियों पर नकेल कसने के लिए अभियान शुरू किया तो अपराधियों ने अपराध करने के नए तरीके इजात कर लिए हैैं। इसमें पुलिस बनकर लूट और ठगी भी शामिल है। अपराधियों को बाजार से बिना किसी जांच पड़ताल के 2 हजार रुपए में वर्दी मिल जाती है। अपराधी आसानी से वर्दी खरीदकर बेखौफ हनक दिखाते हुए लोगों को अपना शिकार बना रहे हैैं।

20 दिनों में तीन बड़ी घटनाएं
बनारस में पिछले 20 दिनों के अंदर कई ऐसी घटनाएं सामने आईं, जिसमें टप्पेबाजों ने खुद को पुलिस बताकर लोगों से लूट, ठगी की घटनाओं को अंजाम दिया। हालांकि पुलिस इनके खिलाफ कार्रवाई भी कर रही है लेकिन सवाल यही है कि पुलिसिया कार्रवाई के बावजूद भी इनके अंदर पुलिस का डर क्यों नहीं है?

प्राचार्या के गहने लूटे
पिछले माह सेंट्रल जेल रोड पर एक युवक ने खुद को पुलिस वाला बताते हुए कॉलेज जा रही प्राचार्या के रिक्शे को रुकवाया और उन्हें चोरों का खतरा बताते हुए गहने उतारकर कागज में रखने को कहा। प्राचार्या ने जैसे ही अपने गहने उतारकर कागज में रखे, वैसे ही ठग ने कागज छिनाते हुए बाइक से गायब हो गए। जिसके बाद प्राचार्या को एहसास हुआ कि वह टप्पेबाजी का शिकार हो गई हैं।

फर्जी एसटीएफ बनकर लूटा
बीते 1 नवंबर को सर्राफा व्यापारी जीवन सेठ लोहटिया स्थित आने घर से कचहरी के लिए निकले थे। तेलियाबाग पहुंचे ही थे बाइक सवार बदमाशों ने खुद को एसटीएफ का सिपाही बताते हुए उनके रिक्शे को रोक लिया। जीवन सेठ को रिक्शे से उतारकर उनसे कहा कि वह एक हत्या के मामले में जांच कर रहे हैं। फर्जी एसटीएफ सिपाही बने बदमाशों ने जीवन सेठ से कहा कि वह अपना सारा सामान निकालकर जेब में रख लें। जब उन्होंने आनाकानी की तो बदमाशों ने उन्हें असलहे दिखाकर डराया। जीवन सेठ ने विनती की लेकिन बदमाश उनका सामान लेकर रफूचक्कर हो गए। जिसके बाद जीवन सेठ ने चेतगंज थाने में तहरीर दी।

एसएचओ बनकर जमाया धौंस
दो दिन पहले 7 नवंबर को चेतगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत सुरेश लकड़ी वाले कि दुकान के सामने एक युवक खुद को एसएचओ बताते हुए लोगों पर धौंस जमा रहा था। किसी ने इसकी सूचना पुलिस को दे दी। सूचना पर पहुंची पुलिस ने जब युवक से पूछताछ की तो उसने अपना नाम संजय सिंह उर्फ ऋषभ निवासी धरिहिया, थाना मरदह, गाजीपुर बताया। आरोपी संजय ने खुद चंदौली के चकरघट्टा थाने का एसएचओ बताया। उसके हाव भाव से जब पुलिस को शक हुआ तो संजय से उसका आईकार्ड दिखाने के लिए कहा। आईकार्ड मांगने पर वह सकपका गया और कुछ ही समय में अपना जुर्म स्वीकार करते हुए माफी मांगने लगा और कहा कि वह इसी तरफ नकली दरोगा बनकर लोगों पर धौंस जमाकर लाभ लेता है।

बरामद हुई दरोगा की ड्रेस
संजय की तलाशी लेने पर उसके कब्जे से दो अदद मोबाइल के साथ दरोगा की ड्रेस में लगने वाले दो कंधा फ्लैप, जिनमें दो-दो स्टार लगे थे। यूपी पुलिस का बैच, इलाहाबाद बैंक का अंतर्देशीय डेबिट कार्ड, दो सिम, एक प्लास्टिक की रिवाल्वर, एक बैरेट कैप बरामद हुई।

आसानी से मिल जाती है बाजारों में वर्दी
आमतौर पर पुलिस की ड्रेस बेचने वाली दुकानें गिनी चुनी हीं होती हैं। बनारस में भी पुलिस लाइन चौराहे के आसपास 6-7 ऐसी दुकानें हैं जो पुलिस ड्रेस की बिक्री करती हैं। जब यहां स्थित दुकानों में ड्रेस खरीदने के बारे में जानकारी ली गई तो दुकानदार ने बताया कि दो हजार से ढाई हजार तक में वर्दी मिल जाएगी। दुकानदारों ने बताया कि बैच नंबर या कोई अन्य फॉर्मेलिटी वर्दी खरीदने में जरूरत नहीं है। आप नाप दीजिए बस आपकी ड्रेस बनकर तैयार हो जाएगी।

- इस तरह के टप्पेबाजों के झांसे में न आएं। यदि अनजाने में कोई इनका शिकार हो जाता है तो तत्काल इसकी सूचना पुलिस को दें। पुलिस ऐसे टप्पेबाजों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। इनके खिलाफ अभियान चलाया भी जा रहा है। कई टप्पेबाजों की गिरफ्तारी भी की जा चुकी है।

सुभाष चंद्र दुबे, एडिशनल सीपी