-आरटीओ के सिटी ऑफिस में बिजली कटते ही काम हो जाता है बंद

-जेनरेटर का नहीं हुआ इंतजाम, डीएल जारी करने में बिजली अटका रही रोड़ा

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VARANASI

नाम सिटी ऑफिस और हालात गांव से भी बदतर। काम ऑनलाइन और लाइट चली जाए तो पूरा सिस्टम हो जाता है ऑफलाइन। यहां बात आरटीओ के सिटी ऑफिस की हो रही है। बस कहने को यह सिटी ऑफिस है। यहां काम की शुरुआत होने के बाद से जेनरेटर का इंतजार हो रहा है। ऑफिस में जेनरेटर के न रहने से स्थिति यह है कि बिजली के जाते ही अंधेरा छा जाता है। यही नहीं ऑफिस में लगे कंप्यूटर्स भी शट डाउन कर जाते हैं। ऐसे में डीएल बनवाने के लिए यहां पहुंच रहे लोग बिना डीएल लिए ही वापस लौट जा रहे हैं।

हवा में हाईटेक का दावा

स्मार्ट और हाईटेक होने का दावा करने वाले डिपार्टमेंट में किस तरह से काम हो रहा है, यह महज पेपर तक ही सीमित है। हालांकि डिपार्टमेंट की ओर से अब स्मार्ट ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया जा रहा है। लेकिन इसमें बिजली रोड़ा अटका रही है। जहां डेली क्00 से अधिक डीएल बनना चाहिए, वहां महज ब्0 से भ्0 लाइसेंस ही बन पा रहे हैं। लाइसेंस बनाने के दौरान कई बार बिजली की आवाजाही होती है। नाम न लिखने की शर्त पर एक ऑफिसर ने बताया कि अगर प्रॉपर बिजली की सप्लाई मिले तो काम की स्पीड कई गुना बढ़ जाए।

महीनों से हो रहा इंतजार

सिटी ऑफिस खुलने के दौरान तत्कालीन डीएम प्रांजल यादव ने जेनरेटर उपलब्ध कराने का ऑर्डर दिया था। लेकिन उनके जाते ही ऑफिस को इंफ्रास्ट्रक्चर से लैस करने का काम ठप हो गया। इस इंफ्रास्ट्रक्चर में जेनरेटर, पब्लिक वर्क के लिए काउंटर, ऑफिसर्स के लिए केबिन, पीने के पानी का इंतजाम, स्टाफ सहित अन्य जरूरतें शामिल हैं। इनके बिना यहां पहुंचने वाली पब्लिक को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लोग ऑफिस में अपना लाइसेंस बनवाने पहुंचते हैं और धक्का खाकर बिना डीएल लिए घर लौट जाते हैं। कई दिन चक्कर काटने के बाद ही उन्हें डीएल मिल पाता है।

सिटी ऑफिस में जेनरेटर सहित अन्य सुविधाओं के लिए हेडक्वार्टर को लेटर लिखा गया है। ऑर्डर मिलते ही जरूरत के सभी सामान उपलब्ध करा दिये जाएंगे।

पीके द्विवेदी, आरटीओ