- शनिवार को हैंडग्रेनेड मिलने के बाद सोमवार को खुली कचहरी

-खुलते ही हुई चेकिंग की खानापूर्ति लेकिन एंट्री पाइंट पर नहीं दिखी मुस्तैदी

- आई नेक्स्ट ने जांची सुरक्षा तो हर मोर्चे पर फेल दिखी खाकी

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बनारस की पुलिस और यहां का प्रशासन तब जगता है जब कुछ हो जाता है लेकिन इस बार तो इन्होंने हाल में ही हुई इतनी बड़ी वारदात के बाद भी सबक लेना मुनासिब नहीं समझा। शायद तभी शनिवार को कचहरी कैंपस में दो हैंडग्रेनेड मिलने के बाद सुरक्षा बढ़ाने का दावा करने वाली पुलिस की पोल सोमवार को कचहरी खुलने के बाद ही खुल गई। सुबह-सुबह कचहरी खुलने के साथ चेकिंग की खानापूर्ति कर जब पुलिस फोटो खिंचवाने के बाद चलती बनी तो आई नेक्स्ट ने कचहरी पहुंचकर सुरक्षा की असल पड़ताल की। जो सच्चाई सामने आई वो चौंकाने वाली थी।

कोई फर्क नहीं पड़ता

बनारस का कोर्ट कैम्पस हमेशा से टेररिस्ट के निशाने पर रहा है। 2007 में कोर्ट कैम्पस में सीरियल ब्लास्ट इसका एग्जाम्पल है। इसके बाद शनिवार को दो जिंदा बमों का कचहरी में मिलना ये पुख्ता करता है कि यहां कभी भी कुछ भी हो सकता है लेकिन पुलिस महकमा है कि सुधरने का नाम ही नहीं लेता। आई नेक्स्ट सोमवार को कचहरी में सिक्योरिटी को अपने लेवल पर चेक किया। इस रियलिटी चेक में हमने पाया कि कचहरी में हर कोई अनसेफ है, वादी, फरियादी, अपराधी, वकील और यहां तक की जज भी क्योंकि यहां तो सुरक्षा के नाम पर सिर्फ दिखावा हो रहा है।

गेट पर नो एक्शन

सुबह करीब 11 बजे आई नेक्स्ट टीम कचहरी पहुंची। पहले हमने कोर्ट के मेन गेट यानि गेट नंबर एक का रुख किया। यहां पुलिस का एक जवान तो था लेकिन चाय की दुकान पर बेंच पर बैठकर गप लड़ा रहा था और पब्लिक आराम से आ जा रही थी। इसके बाद हम पहुंचे गेट नंबर दो पर। यहां गेट पर एक मेटल डिटेक्टर देख हमें थोड़ी राहत मिली लेकिन ये राहत तब हैरानी में बदल गई जब हमने इस डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर को चेक किया। ये खराब पड़े थे और एक जवान हाथों में मेटल डिटेक्टर टांगे खड़ा था लेकिन चेकिंग की जहमत नहीं उठा रहा था। गेट नम्बर तीन पर तो मेटल डिटेक्टर या पुलिस कोई भी नहीं मिला।

सेंसेटिव है कचहरी फिर भी

- वाराणसी कचहरी को यूपी की तीन अतिसंवेदशीन कचहरी कैम्पस में से एक माना जाता है

- लखनऊ, गाजियाबाद और बनारस कोर्ट पहले से आतंकियों के निशाने पर है

- 2007 में कचहरी ब्लास्ट के बाद बना था सिक्योरिटी प्लैन

- इस प्लैनिंग के तहत हर एंट्री पॉइंट पर एक मेटल डिटेक्टर, दो सिपाही तैनात हुए थे

- दिन भर में एक बार पूरे कचहरी कैंपस की जांच बम और डॉग स्क्वॉड से होनी थी

- अंदर चौकी लगाने वाले वकीलों के वेरिफिकेशन की बात भी हुई मगर आज तक नहीं हो सकी

मैप बनाकर होगी सुरक्षा प्लैनिंग

कचहरी परिसर की नई सिक्योरिटी मैप के आधार पर होगी। इसके लिए सीओ कैंट राजकुमार यादव ने सोमवार को कई स्थानों को कचहरी कैंपस में पॉइंट आउट किया है। मैप के आधार पर पॉइंट्स पर सादे कपड़ों में पुलिस वालों की तैनाती की जाएगी। जो सुबह कचहरी खुलने से लेकर शाम को कचहरी बंद होने तक तैनात रहेंगे। वहीं कचहरी के गेट्स पर बंकर्स बनाने की तैयारी है। चारों गेटों के अगल-बगल बंकर बनाये जाएंगे। इसके बीच में मेटल डिटेक्टर लगाया जाएगा। इसके अलावा सीसी कैमरे की मॉनिटरिंग के लिए कचहरी में ही मॉनिटरिंग रूम भी बनाया जाएगा।

एटीएस जुटी जांच में

कचहरी में मिले बम की जांच यूपी एटीएस ने भी शुरू कर दी है। सोमवार को एटीएस के अधिकारियों ने बरामद हैंडग्रेनेड पर दर्ज नंबर 36 की पड़ताल के लिए उसकी फोटो हर आर्डिनेंस फैक्ट्रीज को मेल कर दी है। एटीएस सोर्सेज की मानें तो बुधवार तक इसकी रिपोर्ट आ जायेगी और ये पता चल जायेगा कि ये ग्रेनेड किसको एलॉट हुआ था। वहीं जांच में ये पता चला है कि बरामद ग्रेनेड पुलिस भी यूज करती है लेकिन जिस लॉट का ग्रेनेड मिला है उसकी सप्लाई 2007 के बाद यूपी पुलिस को नहीं की गई है।