पीपीपी मॉडल यानि के पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप एक ऐसी पार्टनरशिप है जिसके तहत यूपी परिवहन निगम ने सभी पॉइंट आउट बस अड्डों को मल्टी स्पेशिलिटी टर्मिनल बनाने के लिए प्राइवेट कंपनीज से टेंडर मांगे थे। इन टेंडर्स में से किसी एक कंपनी को बस अड्डों के डेवलपमेंट के लिए निगम के साथ मिलकर साझा प्लैन तैयार करना था। इसमें फाइनेंस प्राइवेट कंपनी को प्रोवाइड कराना था और काम पूरा कराने की जिम्मेदारी निगम एडमिनिस्ट्रेशन को लेनी थी। लेकिन टेंडर्स जारी होने के साल भर बाद भी किसी भी कंपनी में इसमें इंट्रेस्ट नहीं दिखाया है। ऐसे में पार्टनर के इंतजार में निगम का यह प्लैन बस सपना ही बन के रह गया है.
तो और ही होता चेहरा
अगर पीपीपी मॉडल के अनुसार काम स्टार्ट हो गया होता तो सभी पॉइंट आउट बस अड्डों के कायाकल्प के काम ने जोर पकड़ लिया होता। स्पेशल टर्मिनल में शॉपिंग कॉम्पलेक्स, कैफिटेरिया और रेस्ट रूम बनना है। इसके अलावा वेटिंग रूम, मेडिकल ऐड रूम और एसी कंपाउंड भी इसमें होंगे। कुल मिलाकर किसी बढिय़ा रेलवे स्टेशन के जैसा ही कैंट बस स्टेशन का लगता लेकिन कंपनीज की ओर से टेंडर्स न डाले जाने से ये काम शुरू ही नहीं हो पा रहा है।
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वर्जन
बेसिक फैसिलिटी के नाम पर हेडक्वार्टर के आदेश के बाद हमने यहां एलईडी टीवी लगाने व अन्य काम कराने शुरू करा दिए हैं। अगर पीपीपी मॉडल फंक्शन में आ जाएगा तो पैंसेंजर्स सहूलियतों को देखते हुए ट्रैवल के लिए रोडवेज बसेज की ओर अट्रैक्ट होते.
-पीके तिवारी, आरएम, कैंट रोडवेज बस स्टेशन
क्या है पीपीपी मॉडल
पीपीपी मॉडल यानि के पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप एक ऐसी पार्टनरशिप है जिसके तहत यूपी परिवहन निगम ने सभी पॉइंट आउट बस अड्डों को मल्टी स्पेशिलिटी टर्मिनल बनाने के लिए प्राइवेट कंपनीज से टेंडर मांगे थे। इन टेंडर्स में से किसी एक कंपनी को बस अड्डों के डेवलपमेंट के लिए निगम के साथ मिलकर साझा प्लैन तैयार करना था। इसमें फाइनेंस प्राइवेट कंपनी को प्रोवाइड कराना था और काम पूरा कराने की जिम्मेदारी निगम एडमिनिस्ट्रेशन को लेनी थी। लेकिन टेंडर्स जारी होने के साल भर बाद भी किसी भी कंपनी में इसमें इंट्रेस्ट नहीं दिखाया है। ऐसे में पार्टनर के इंतजार में निगम का यह प्लैन बस सपना ही बन के रह गया है।
अगर पीपीपी मॉडल के अनुसार काम स्टार्ट हो गया होता तो सभी पॉइंट आउट बस अड्डों के कायाकल्प के काम ने जोर पकड़ लिया होता। स्पेशल टर्मिनल में शॉपिंग कॉम्पलेक्स, कैफिटेरिया और रेस्ट रूम बनना है। इसके अलावा वेटिंग रूम, मेडिकल ऐड रूम और एसी कंपाउंड भी इसमें होंगे। कुल मिलाकर किसी बढिय़ा रेलवे स्टेशन के जैसा ही कैंट बस स्टेशन का लगता लेकिन कंपनीज की ओर से टेंडर्स न डाले जाने से ये काम शुरू ही नहीं हो पा रहा है।
बेसिक फैसिलिटी के नाम पर हेडक्वार्टर के आदेश के बाद हमने यहां एलईडी टीवी लगाने व अन्य काम कराने शुरू करा दिए हैं। अगर पीपीपी मॉडल फंक्शन में आ जाएगा तो पैंसेंजर्स सहूलियतों को देखते हुए ट्रैवल के लिए रोडवेज बसेज की ओर अट्रैक्ट होते.
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