जुटी सबसे ज्यादा भीड़
सपा की गुरुवार की रैली के पहले बड़े नेता के तौर पर बीजेपी की पीएम कैंडिडेट नरेन्द्र मोदी की बनारस में किसी भी पॉलिटिकल रैली में भीड़ का नया रिकार्ड बनाया था। सपा ने पहले से ठान रखा था कि सुप्रीमो की रैली में वो मोदी के रैली का रिकार्ड तोड़ कर ही दम लेंगे। इसके लिए एड़ी-चोटी को जोर लगाया गया था। क्योंकि भीड़ से ही वो प्रतिद्वंद्वियों को मैसेज देना चाहते थे। इसके लिए हर पदाधिकारी को मजबूत जिम्मेदारी भी दी गयी थी कि चाहे कुछ भी हो जाए, उन्हें टारगेट के हिसाब से भीड़ लानी ही है। इन्होंने ऐसा कर भी दिखाया। यदि मोदी की रैली में 4 से 5 की भीड़ थी तो नो डाउट सपा की रैली में 5 से 6 लाख की भीड़ से इंकार नहीं किया जा सकता।


भीड़ देख निकाली भड़ास

रैली में भीड़ देख सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह, यूपी के सीएम अखिलेश यादव और कैबिनेट मिनिस्टर आजम खां की मानो गदगद थे। यही वजह थे कि उन्होंने अपने मन की खुलकर भड़ास निकाली। तीनों ने अलग-अलग जगह निशाना साधा। सबसे ज्यादा आक्रामक सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह और आजम खां थे जिन्होंने सीधे शब्दों में मोदी को हत्यारा कह डाला। ये भी कहा कि मोदी ने गुजरात में कत्लेआम कराया। हालांकि आजम खां के निशाने पर मोदी से ज्यादा मीडिया रही।


मोदी और मीडिया निशाने पर
मुलायम और आजम खां के निशाने पर मोदी और मीडिया रहे। खासकर आजम ने अपने पूरे स्पीच के दौरान यही साबित करने की कोशिश की विदेश टूर में उन्होंने कोई अय्याशी नहीं की और मुजफ्फरनगर में वर्ग विशेष के लोगों के लिए आवाज उठाने पर मीडिया ने उन्हें निशाना बनाया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से दंगों के आरोपों पर मिली सात नोटिस को मीडिया की देन बनाया। ये भी कहा कि मीडिया सपा विरोध है और ऐसे मीडिया के लिखे पर और उनकी तस्वीरों पर यकीन न करें। हम जो कह रहे हैं, उसे आप जनता तक पहुंचाएं।

सीएम भी नहीं रहे पीछे
सीएम अखिलेश भी इस रैली में अटैकिंग ही दिखे। सैफई महोत्सव के दौरान मीडिया को तिरछी नगर से देखने वाले सीएम रामनगर की रैली में भी मीडिया को खरी-खोटी सुनाने से नहीं चूके। उपलब्धियां भी गिनाईं और कहा कि यूपी गवर्नमेंट देश के हर राज्य से बेहतर है। कुल मिलाकर देखा जाए तो सपा की रैली भीड़ के अलावा मोदी मीडिया और कांग्रेस को कोसने तथा खुद की अचीवमेंट्स गिनाने में खास रही।



नम्बर में आगे लेकिन रह गये पीछे

सपा की रैली में भले ही ऐतिहासिक भीड़ उमड़ी मगर इस भीड़ में डिसीप्लीन का पूरी तरह अभाव दिखा। ऐसा हुआ उन नेताओं की वजह से जिन्हें अपने हिस्से की भीड़ दिखाना था। हर ग्रुप में आये समर्थन बस अपने नेता की जय-जयकार में ही बिजी नजर आये। ऐसे में कौन नेता क्या बोल रहा है, इसमें दिलचस्पी नहीं दिखा सके। हां, यदि आगे से तालियां बजतीं तो पीछे तक की भीड़ तालियों को कैरी फारवर्ड करती जाती। बार-बार बैठने के रिक्वेस्ट के बावजूद भीड़ ने ना सिर्फ 24 बैरकेडिंग ब्लाक में से आठ की बैरकेडिंग तोड़ दी बल्कि पांच हजार से ज्यादा कुर्सियां भी तोड़ डालीं। कई ब्लॉग में पुलिस फोर्स की तैनाती कर उन्हें रोकने की कोशिश की गयी वरना वो भगदड़ मचा देते। अंत समय में भगदड़ मच भी गयी जिससे मीडिया और वीआईपी ब्लाग पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया।


खून से रंगे हैं मोदी के हाथ: मुलायम
सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने अपने स्पीच में भाजपा, कांग्रेस को जमकर कोसा हालांकि इस बात पर बिलकुल चर्चा नहीं की कि कांग्रेस को फिर भी समर्थन क्यों जारी है। कहा कि कांग्रेस पिछले दस साल से देश पर राज कर रही है। अपने राज में उसने देश को भ्रष्टाचार महंगाई, घोटाले के सिवाय कुछ भी नहीं दिया है। सदन में महंगाई और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए बहुत बहस हुई लेकिन सरकार इन पर लगाम नहीं लगा पायी। जिसका नतीजा रहा कि पब्लिक हर साल नये घोटाले और महंगाई की मार सहती जा रही है। भाजपा के प्रधानमंत्री प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी पर भी मुलायम जमकर बरसे और कहा कि वे यूपी को गुजरात बनाना चाहते हैं। मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि क्या वे यहां भी कत्ले आम कराना चाहते हैं। उन्होंने गुजरात में कितनों को बेरोजगारी भत्ता दिया या कितने किसानों का कर्ज माफ किया। उनके हाथ खून से रंगे हुए हैं। गुजरात में हुए दंगों में उन्होंने महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों पर अत्याचार किया है। झूठी अफवाहें फैलाना ही उनका काम है। ये भी कहा कि जल्द ही सपा अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी कर देगी।

जो भी कहा कर के दिखाया: अखिलेश
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने भाषण में जहां एक तरफ अपने चुनावी वादों को पूरा किये जाने पर वाहवाही बटोरने की कोशिश की वहीं भाजपा सहित अन्य पार्टियों पर सपा के खिलाफ षडयंत्र रचने का आरोप भी लगाया। उनके स्पीच का ज्यादातर हिस्सा उन उपलब्धियों को गिनाने में बीता जिसको उनकी पार्टी ने कर दिखाया। उन्होंने कहा कि सपा ही ऐसी पार्टी है जो जनता का पैसा जनता को वापस कर रही है। हालांकि मीडिया के रोल से अखिलेश काफी नाराज दिखे और कहा कि हमारी पार्टी में थोड़ा सा कुछ हो जाता है तो राष्ट्रीय बहस शुरू हो जाती है। अखिलेश ने रैली की भीड़ देख कहा कि अब बहस की कोई गुंजाइश नहीं है। रैली की सफलता ही 2014 के चुनावों की कहानी कह रही है।

देश को जलाना चाहती है मीडिया:  आजम खां
नगर विकास मंत्री आजम खां ने अपने स्पीच में मीडिया की भूमिका की खिलाफत करते हुए कह तो दिया कि सच बहुत कड़वा होता है मगर सच की कड़वाहट उनकी ही जुबान में साफ नजर आ रही थी। विदेश यात्रा, मुजफ्फरपुर दंगों में संदिग्ध भूमिका और बाद में सुप्रीम कोर्ट की नोटिस से तिलमिलाये आजम ने अपनी पूरी एनर्जी जाति-धर्म की राजनीति में खाद-पानी देने लगाई। अपने लच्छेदार भाषा में ये दिखाने की कोशिश की मीडिया उनके जैसे लाखों-करोड़ों लोगों की दुश्मन हैं। इन्होंने ही मुजफ्फरपुर में गरीबों के घर में आग लगाने का काम किया है ताकि उन्हें अच्छा वीडियो मिल सके और अब देश में भी आग लगाना चाहती हैं। उन्होंने भाजपा को देश विरोधी तथा कांग्रेस व आप को अराजक की संज्ञा दी। आजम ने मीडिया के लिए कोड ऑफ कंडक्ट की वकालत भी की।