- तिलक-चंदन लगाने से मिली पाई-पाई जोड़कर बनाया था मंदिर, अब उसकी लगा रहे बोली और चल गई गोली

- श्री संतोषी माता मंदिर परिसर की पानी-बिजली काटी

- क्षतिग्रस्त मंदिर में नहीं लगी एक भी ईंट, पुजारी को भी कमरे से निकाला बाहर

- लेकिन एक कमरे में हैं सभी सुविधाएं

शहर में मंदिर की संपत्ति हथियाने के लिए खून से जमीन लाल कर दी गई। इस जमीन को हड़पने के लिए हर हथकड़े अपनाए गए। मंदिर परिसर से बिजली-पानी कटौती कर दी गई। मंदिर के कमरों में ताला लगाकर पुजारी तक को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। संतोषी माता की प्रतिमा के सामने गिरी छत की मरम्मत करने के लिए एक भी ईंट नहीं रखी गई। मंदिर की हालत इतनी जर्जर है कि किसी अप्रिय दुर्घटना से बचने के लिए मंदिर का मुख्य द्वार ही बंद करना पड़ा। ऐसा लगता है कि मंदिर को विरान बनाने की साजिश रची जा रही हो, लेकिन मंदिर परिसर में एक कमरा ऐसा भी है जहां बिजली समेत सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। आखिर इस कमरे में मंदिर की ऐसी कौन सी शख्सियत रहती है जो पुजारी से भी खास है?

तीन साल पहले पुजारी को निकाला

तीन साल पहले पुजारी के कमरे में ताला बंद कर दिया। पुजारी मंदिर लौटे तो उन्हें ताला बंद मिला। उन्होंने भी अपना ताला लगाया और किराए पर मकान लेकर रहने लगे। इसके अन्य सभी कमरे लोगों से पहले ही खाली कराए जा चुके थे। अभी-भी सिर्फ एक कमरा खुला हुआ है।

टॉयलेट तक ताले में बंद

मंदिर परिसर में कई कमरे बने हुए हैं। इन सभी कमरों में ताले लगे हुए हैं। पुजारी के कमरे में दो ताले लगे हुए हैं। एक पुजारी और दूसरा अतर सिंह का। मंदिर परिसर में टॉयलेट का निर्माण कराया गया है, लेकिन वह भी ताले में बंद है। मंदिर की लाइट और पानी सप्लाई काट दी गई है। लेकिन गेट से प्रवेश करते ही दूसरा कमरा खुला हुआ है। इसमें लाइट समेत सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं।

- गेट से घुसते ही पहले कमरे में लगा ताला

- इसके आगे दूसरा कमरा खुला है।

- बाई ओर मुड़ते ही सामने पुजारी का कमरा है, जिसमें दो ताले लगे हुए हैं। पुजारी के कमरे से बाई ओर मंदिर का पिछला दरवाजा है।

- पुजारी की दाहिनी ओर शिव मंदिर और आगे एक कमरा और टायलेट बने हैं। सभी में ताला बंद है।

मंदिर की गिरी छत, शटर बंद

श्री संतोषी माता मंदिर की प्रतिमा के सामने छत का दो बड़े टुकड़े जमीन पर पड़े हुए हैं। जर्जर मंदिर की छत कभी-भी भरभरा के गिर सकती है। इस भय से मंदिर के सामने का चैनल (मुख्य गेट) बंद कर दिया गया है। लोग बाहर से ही दर्शन करके चले जाते हैं। पुजारी पीछे के गेट से आकर रोज पूजा अर्चना करके चले जाते हैं।

तीन साल से बंद है भंडारा

स्थानीय लोगों ने बताया कि मंदिर में तीन साल पहले भंडारे का आयोजन किया गया था। मंदिर परिसर में ही भोग तैयार किया गया था। इस दौरान अतर सिंह ने विवाद किया और उसी दिन से भंडारे का भोजन मंदिर परिसर में आज तक नहीं बना है। लोग सड़क पर ही भंडारा करते हैं। उसी भंडारे के दिन ही पुजारी रवि पाठक के कमरे में ताला जड़कर बाहर का रास्ता दिखाया गया था।

पिछले साल नहीं बनाई गई देव-दिपावली

स्थानीय लोगों ने बताया कि मंदिर परिसर में हर साल देव-दिपावली का भव्य आयोजन होता है, लेकिन इन्हीं विवादों के चलते पिछले साल देव-दिपावली मनाने से मना कर दिया गया। लोग मंदिर में देव-दिपावली नहीं मना सके।

शुक्रवार को महिलाएं करती थीं भजन

मंदिर की ख्याति चारों ओर फैलने लगी थी। महिलाएं भी श्री शीतला माता मंदिर में रोज मात्था टेकने आती थीं। स्थानीय महिलाएं हर शुक्रवार को भजन-कीर्तन करती थीं। इस पर भी रोक लगा दी गई।

किया गया व्यवसायिक उपयोग

स्थानीय लोगों ने बताया कि मंदिर परिसर में व्यवसाय से जुड़े हर उपयोग के लिए निर्माण कार्य कराया गया। टीन शेड लगवाई गई। सीसीटीवी कैमरा लगाए गए। टॉयलेट बनवाया गया। लेकिन मंदिर के संरक्षण में एक भी ईंट नहीं रखी गई।

सीसीटीवी में कैद हैं राज

मंदिर परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। इसमें शनिवार की घटना के कई राज कैद हैं। इसके फुटेज घटना के खुलासे में मदद करेंगे। वहीं पिछले दिनों के कामकाज को भी देखा जा सकता है। ये फुटेज मंदिर विवाद के निपटारे में काफी अहम साबित होंगे।

समिति पर सवाल

मंदिर के नाम पर एक 'जय मां संतोषी सेवा समिति' 1987 में बनाई गई। इस समिति के संरक्षक पूर्व मंत्री ओम प्रकाश सिंह और विधायक रविंद्र जायसवाल हैं। अध्यक्ष सत्य प्रकाश सिंह और कार्यकारी अध्यक्ष महेंद्र उपाध्याय हैं। इतनी बड़ी हस्तियों की समिति के मंदिर की जर्जर हालत और गोलीकांड जैसी घटना सवाल खड़े करती है।