- सॉलिड वेस्ट फेंकने से आए दिन चोक हो रहीं सीवर लाइनें

- तमाम मोहल्लों में पशुपालकों की मनमानी, जलकल की बढ़ी फजीहत

VARANASI

शहर के तमाम मोहल्लों में बने तबेले सीवरेज व्यवस्था को ध्वस्त कर रहे हैं। तबेलों से निकला गोबर पशुपालक सीवर में फेंक देते हैं। जिससे सीवर जाम हो जाता है। ऐसे में जलनिकासी की समस्या खड़ी हो जा रही है। इसी समस्या के चलते जलकल विभाग को छित्तपुर में करीब 20 मीटर ब्रांच सीवर लाइन बदलनी पड़ी। तेलियाबाग स्थित मरी माई मंदिर के पास भी सीवर में गोबर और सॉलिड वेस्ट (ठोस कचरा) मिलने से सीवर लाइन चोक हो गया। जो काफी प्रयास के बाद सही हो सका।

मनमानी करते हैं पशुपालक

शहर में करीब छह सौ तबेले हैं। अक्सर तबेला संचालक मनमानी करते हैं। सड़क किनारे और सीवर में गोबर फेंकना इनकी आदत में शुमार है। कई बार नगर निगम की ओर से चेतावनी देने के बाद भी पशुपालक नहीं माने। निगम अब इनके ऊपर जुर्माना लगाने का मन बना रहा है। वहीं सीवर की सफाई कराने में जलकल कर्मियों को मशक्कत करनी होती है।

सीवर का 'दुश्मन' है सॉलिड वेस्ट

गोबर समेत तमाम सॉलिड वेस्ट मसलन पॉलीथीन, खराब टायर, यूज हो चुके जूते समेत तमाम ठोस कचरे सीवरेज व्यवस्था को दुरुस्त रखने में परेशानी पैदा करते हैं। सीवर के मेनहोल, नालियों या खुली जगहों से पब्लिक ठोस कचरा फेंक देती है। जिससे सीवर चोक हो जाता है।

इन मोहल्लों में ज्यादा समस्या

शहर में कुल 90 वार्ड हैं। इसमें 80 फीसदी जगहें ऐसी हैं, जहां आए दिन सीवर चोक रहता है। इन मोहल्लों में आबादी हिस्से में तबेले हैं। इससे आसपास रहने वाले लोगों को गंदगी से दिक्कत होती है। वहीं गोबर आदि फेंकने से जलनिकासी की समस्या खड़ी हो जाती है। इसमें सरैयां, जलालीपुरा, छित्तूपुर, पठानीटोला, गोलादीनानाथ, कालभैरव, त्रिलोचन बाजार, प्रह्लाद घाट, तेलियानाला, कोनिया, गोलगड्डा, पीलीकोठी आदि ऐसी जगहें हैं, जहां आए दिन पशुपालक व अन्य लोग सॉलिड वेस्ट सीवर में फेंक देते हैं।

एक नजर

- 1200 किलोमीटर सीवर लाइन

- करीब 700 तबेले हैं

- 5 जोन हैं शहर में जलकल के

- 80 फीसदी मोहल्लों में प्रॉब्लम

सॉलिड वेस्ट फेंकने से आए दिन सीवर लाइनें चोक हो रही हैं। पशुपालकों को चेतावनी भी दी जाती है। लेकिन वो नहीं मानते। इनके ऊपर जुर्माना लगाने के लिए नगर निगम को पत्र लिखा गया है।

बीके सिंह, महाप्रबंधक, जलकल