-चौबेपुर में हुई घटना की संत समाज से लेकर हर किसी ने की निंदा

-संत समाज का कहना कि शास्त्रों में नरबलि है पूरी तरह से निषिद्ध

VARANASI

कौन कहता है कि नरबलि देने से हर लक्ष्य पूरा होता है? ये भ्रान्ति है। ऐसा करने वाले सिर्फ भोले भाले मासूमों को अपने जाल में फंसा कर उनकी जान लेकर पाप करते हैं। इस पाप के भागीदार ये जुर्म करने वाले तो बनते ही हैं साथ में ऐसा कराने वाले भी इस पाप में बराबर के हिस्सेदार होते हैं। इनको इसके बदले कुछ नहीं मिल सकता। कुछ ऐसा ही कहना है चौबेपुर की घटना की जानकारी के होने के बाद संत समाज का। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से जब हमने नरबलि को लेकर बात की तो उन्होंने सिरे से इसे नकार दिया। उन्होंने साफ कहा कि कौन कहता है कि नरबलि होनी चाहिए ये तो सिर्फ अपना धंधा चमकाने के लिए कुछ फर्जी लोग अफवाह फैलाकर मासूमों की जान ले रहे हैं। ऐसे लोगों को सजा मिलनी चाहिए।

कई प्रकार हैं बलि के

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की मानें तो बलि के बारे में शास्त्रों में कहा तो गया है लेकिन इस तरह की बलि खासकर नरबलि पूरी तरह से निषिद्ध है। उन्होंने बताया कि शास्त्रों में दो तरह की साधना होती है। एक सात्विक और दूसरी तामसी। सात्विक पूजा करने वाले लोग अपने देवी देवता को प्रसन्न करने के लिए नारियल, सुपारी, कद्दू की बलि देते हैं। इसके अलावा आहूति का भी प्रावधान है। हां, तामसी साधना करने वाले अपने हिसाब से जानवरों की बलि देते हैं लेकिन कहीं भी किसी भी शास्त्र में नरबलि के बारे में कोई बात नहीं कही गई है। कलयुग में भी नरबलि पूरी तरह से निषिद्ध की गई है और ऐसा करना अपराध है।

सनातन धर्म के किसी भी शास्त्र में नरबलि के किसी विधान का कोई जिक्र नहीं है। जो भी लोग इस तरह का कृत्य कर रहे हैं वो अपराधी हैं। इन लोगों को कठोर सजा मिलनी चाहिए क्योंकि कलयुग में भी नरबलि पूरी तरह से निषिद्ध है।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, धर्मगुरु

ये काम किसी मानसिक रोगी का नहीं बल्कि ऐसे इंसान का है जो लोगों में डर पैदा कर अपना उल्लू सीधा करना चाहता है। जरूरत है ऐसे लोगों से बचकर काले जादू से दूर रहने की। ताकि अपनी जिंदगी में उजाला आ सके।

डॉ। संजय गुप्ता, साइक्रिएटिस्ट

गांव में आज भी शिक्षा और ज्ञान की कमी है। जिसके कारण ऐसी घटनाएं हो रही हैं। इसको रोकना है तो गांव में भी लोगों को शिक्षा की रोशनी से जगमग करना होगा। ऐसा करने के बाद ही अंधविश्वास को रोका जा सकता है। ताकि समाज में फैला काला जादू पूरी तरह से दूर हो सके।

डॉ। रेखा, सोशियोलॉजिस्ट

पहले भी हो चुका है ऐसा

ऐसा नहीं है कि जिले में नरबलि की ये पहली घटना है। इससे पहले भी चोलापुर में दो साल पहले बच्चे की चाह में पड़ोस की महिला ने मासूम की जान ले ली थी। इसके अलावा भी कई और वारदातें हो चुकी हैं। इसके बाद भी लोग इस घृणित मानसिकता से उबर नहीं पा रहे हैं।