- गंगा के पानी में कोरोना का अस्तित्व क्यों नहीं, जारी है रिसर्च

-कोरोना के पीक में गंगा में तैरती लाशों के दौरान लिए गए सैंपल की रिपोर्ट आई निगेटिव

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महीने के शोध के बाद स्पष्ट हो गया, कोरोना संक्रमित नहीं है गंगा जल

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जगहों से स्थिर और बहते हुए गंगाजल का सैम्पल कलेक्ट किया गया जांच के लिए

बनारस के लोगों को गंगाजल को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है। मोक्ष दायनी मां गंगा पहले की तरह आज भी स्नान और आछमन के योग्य है। बीएचयू के वैज्ञानिकों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि गंगा में कोरोना संक्रमण का कोई खतरा नहीं है। कोरोना जांच के बाद बनारस की गंगा की रिपोर्ट निगेटिव आई है। दरअसल, बीएचयू के वैज्ञानिकों ने कोरोना पीक के दौरान गंगाजल से कोरोना के इलाज का दावा किया था। उस दौरान उन्होंने कहा था कि गंगा का जल शुद्ध है। देश के तमाम नदियों के मुकाबले गंगा के जल में वायरस से लड़ने की क्षमता है। अब गंगाजल की कोरोना जांच की यह रिपोर्ट से यह दावा और पुख्ता हो गया है।

गंगा में संक्रमण न तब था न आज

बीएचयू के जीन वैज्ञानी प्रो। ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि जब कोरोना की दूसरी लहर चरम पर थी, उसी दौरान गंगा में लाशें मिल रही थीं। लोगों में भय था कि गंगा में तैरते कोरोना संक्रमित शवों की वजह से इस जल से भी कोराना फैल सकता है, लेकिन ऐसा कुछ न तब था न आज है। उस दौरान गंगा में 16 जगहों से स्थिर और बहते हुए गंगाजल का सैम्पल कलेक्ट किया गया था। चूंकि लखनऊ स्थित बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान में गोमती नदी के जल में कोरोना की जांच चल रही थी तो बनारस की गंगा का सैंपल भी जांच के लिए यही भेजा गया था। लगभग दो महीने की जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि गंगाजल में कोरोना का प्रभाव नहीं है। जबकि इसके इतर लखनऊ में गोमती नदी में गिरने वाले अस्सी फीसदी नालों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई।

गंगा में कौन से तत्व हैं को लेकर रिसर्च

प्रो। चौबे के अनुसार गंगा जल की आरसी पीसीआर जांच की गई तो किसी भी सैंपल में आरएनए वायरस कोविड-19 का अस्तित्व नहीं मिला, हालांकि अन्य कई नदियों और सीवेज के जल परीक्षण में आरएनए वायरस होने के प्रमाण मिल चुके हैं। गंगा जल के परीक्षण में 16 सैंपल की रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद उत्साहित वैज्ञानिकों की टीम अब देश भर की अलग-अलग नदियों के जल का परीक्षण कर पता लगाएगी कि क्या वायरस को नष्ट करने की क्षमता एकमात्र गंगा में है या फिर कोई अन्य नदी इसमें सक्षम है। इसके साथ ही यह भी पता लगाया जाएगा कि आखिर गंगा में वे कौन से तत्व हैं जो कोरोना निष्क्रिय करने में सफल हो रहा है। बीते दिनों बनारस में गंगा घाटों पर शैवाल जमा हो गए थे। उसे लेकर भी रिसर्च जारी है।

नोजल स्प्रे का ट्रायल

गौरतलब है कि बीएचयू के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रो। डॉ। विजय नाथ मिश्र के नेतृत्व में पांच डॉक्टरों की टीम ने गंगा जल पर रिसर्च कर गंगाजल से नोजल स्प्रे तैयार किया है। दावा किया जा रहा है कि स्प्रे का इस्तेमाल करने से कोरोना खत्म हो जाता है। रिसर्च के दौरान वैज्ञानिकों ने लगभग तीन सौ कोरोना पीडि़तों पर नोजल स्प्रे का ट्रायल किया। इस दौरान जो नतीजे आये, वो बेहद साकारात्मक रहे। वैज्ञानिकों के अनुसार वायरो फेज थिरेपी कोरोना से लड़ाई में बेहद कारगर है।

:: कोट ::

गंगाजल में पाए जाने वाले फेज वायरस (जीवाणु भोजी) किसी अन्य वायरस के संपर्क में आते ही सक्रिय हो जाते हैं। कोरोना वायरस के साथ भी यही हुआ है। गंगा के पानी में कोरोना का अस्तित्व क्यों नहीं है, इस पर रिसर्च जारी है।

-प्रो। वीएन मिश्रा, न्यूरोलॉजिस्ट, बीएचयू

कोरोना के पीक के दौरान जब गंगा में लाशें तैर रही थीं, तब लोगों में यह भय बन गया था कि गंगा का पानी स्नान योग्य नहीं है। जबकि ऐसा नहीं है। गंगाजल आज भी पूरी तरह से स्वच्छ है। इसका क्या कारण है इसको लेकर शोध जारी है।

-प्रो। ज्ञानेश्वर चौबे, जीन वैज्ञानी, बीएचयू