- शहर में ट्रैफिक व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए हुए कई तरह के प्रयास फिर भी नहीं मिल रही है जाम से मुक्ति

- ड्रोन से शुरू हुई निगरानी, चौराहों पर रखे गए ट्रैफिक मित्र फिर भी हालात जस के तस

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एक पुरानी कहावत है इलाज किया ताकि बीमारी दूर हो लेकिन इलाज ही नासूर बन गया। कुछ ऐसा ही हाल इन दिनों अपने शहर की ट्रैफिक व्यवस्था का हो रखा है। पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस को जाम से मुक्त करने के लिए डेली कोई न कोई प्रयास किया जा रहा है। कभी कैमरों से जाम की निगरानी हो रही है तो कभी फेसबुक के जरिए जाम वाले इलाकों का पता लगाने का काम हो रहा है और तो और लाखों रुपये खर्च करके खरीदे गए ड्रोन कैमरों को भी जाम से मुक्ति के लिए सड़क पर उतारा जा चुका है। इसके बाद भी जाम का झाम है कि कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। ये हम नहीं बल्कि बीते कुछ दिनों से लग रहे जाम के बाद साफ हो गया है। सुबह से शाम तक जाम मुक्ति के लिए एसी ऑफिसेस में बैठकर प्लैनिंग करने वाले अफसरों के ये प्लैन जब सड़क पर आ रहे हैं तो इनका हश्र इतना बुरा हो रहा है कि पूछिये ही मत। हाल ये है कि जाम के झाम को दूर करने के सारे प्लैन पूरी तरह से फ्लॉप हो चुके हैं।

बिलबिला गए लोग

ट्रैफिक पुलिस की तरफ से जाम मुक्त शहर बनाने की सारी प्लैनिंग फेल होती जा रही हैं। दावे बड़े बड़े हुए लेकिन हो कुछ नहीं रहा है। इसी का नतीजा है कि गुरुवार को पब्लिक घरों से निकलते साथ ही जाम में फंसने के कारण बौखला गई। सिगरा पर धंसी हुई सड़क की मरम्मत के कारण लगी बड़ी-बड़ी मशीनों ने पेट्रोल पंप से लेकर साजन तिराहे को पूरी तरह से पैक कर दिया। बुरी बात ये हुई कि जाम में दो एंबुलेंस करीब 20 मिनट तक फंसी रहीं और हूटर बजाने के बाद भी उनको रास्ता नहीं मिला। ऐसा ही हाल नदेसर में भी देखने को मिला। यहां कमिश्नर के आदेश को दरकिनार कर दोपहर में ही खोदाई चलती रही। जो जाम को बढ़ाने का काम कर रही थी। लहरतारा में भी चल रहे काम के कारण जाम लगा रहा।

तो फिर किस काम की टीम?

- पीएम के संसदीय क्षेत्र में ट्रैफिक सुधार के कई काम हो रहे हैं

- नये ट्रैफिक प्लैन पर सीधे शासन काम कर रहा है

- इसके तहत शहर के 80 से चौराहों पर इंटीग्रेटेड ट्रैफिक सिस्टम लागू होना है

- ट्रैफिक जाम से मुक्ति के लिए 10 लाख की लागत से खरीदे गए ड्रोन कैमरों से निगरानी हो रही है

- ट्रैफिक पुलिस मित्र चौराहों पर जाम से मुक्ति के लिए मौजूद हैं

- कई सालों से कम फोर्स को बढ़ा दिया गया है

- हर चौराहे पर जरूरत से ज्यादा फोर्स है

-इतने के बाद भी जाम है कि कम होने का नाम नहीं ले रहा

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सिर्फ बने प्लैन लेकिन नहीं हुआ कोई काम

- जाम को दूर करने के लिए बनाये गए प्लैन का नहीं दिख रहा कोई असर

- हाईटेक तौर तरीकों ने भी नहीं दिया कोई रिस्पॉन्स

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बनारस शहर मस्त मौला और जिंदादिल शहर। जहां हर फ्रिक को लोग 'जाये द गुरु' के साथ टाल देते हैं लेकिन इन दिनों शहर के जाम ने इस मस्ती पर ब्रेक लगा दिया है। हर वक्त जाम के चलते लोग सड़कों पर खिजलाने पर मजबूर हैं। हां लोगों को इस टेंशन से दूर करने के लिए प्लैन कई बने लेकिन काम कायदे से न होने के कारण ये प्लैन काम न आये और पब्लिक जाम में फंसकर सिर्फ सिस्टम को कोसने को मजबूर है।

इन तैयारियों पर फिरा पानी

ड्रोन से निगरानी- शहर की ध्वस्त हो चुकी ट्रैफिक व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए ट्रैफिक पुलिस ने ड्रोन कैमरे को अपना मजबूत हथियार बनाने की तैयारी की। 10 लाख में खरीदे गए तीन ड्रोन कैमरों को जाम से निपटने के लिए सड़कों पर उतारा गया लेकिन ये प्रयास फेल साबित हुआ और जाम से पब्लिक को कोई राहत नहीं मिली।

चौराहों पर ट्रैफिक मित्र- ध्वस्त हो चुकी ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए वाराणसी विकास समिति संग मिलकर ट्रैफिक पुलिस ने 100 से ज्यादा ट्रैफिक पुलिस मित्रों को सड़क पर उतारा। इनका काम था जाम से शहर को मुक्ति दिलाने का हर संभव प्रयास करना। इसके लिए इनकी ट्रेनिंग भी हुई लेकिन ये भी फेल हो गए।

ट्रैफिक पुलिस की बढ़ी स्ट्रेंथ- पीएम मोदी के सांसद बनने के बाद ट्रैफिक सुधार के लिए केन्द्र और प्रदेश दोनों सरकारों ने प्रयास शुरू किया। प्रदेश सरकार ने पिछले कई सालों से बनारस ट्रैफिक पुलिस विभाग में रिक्त चल रहे पदों को भर दिया। इसके तहत 7 टीएसआई, 120 कॉन्सटेबल्स संग एस एसपी, एक सीओ और एक टीआई समेत 200 से ज्यादा होमगार्ड देकर ट्रैफिक सुधार का दम भरा गया लेकिन ये स्ट्रेंथ भी कुछ न कर सकी।