- सोमवार को शहर के अलग अलग इलाकों में लगे जाम ने छुड़ाया पब्लिक का पसीना, घंटों जाम में फंसे कराहते रहे लोग

-सही प्रबंधन से काम न कराने के चलते पैदा हो रही है जाम की कंडीशन, प्रशासन बैठा है चुपचाप

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ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ: शहर में हर ओर जाम, सड़क जाम, गलियां जाम और तो और कॉलोनियों में भी जाम क्योंकि ये जाम अब आम हो चला है और पब्लिक है कि सिर्फ और सिर्फ बेचारी बनकर बेवकूफ बन रही है। ऐसा क्यों हो रहा है इस बात की जानकारी शायद प्रशासन को छोड़ बाकी सभी को है। प्रशासन को जानकारी शायद इसलिए नहीं है क्योंकि इस जाम के झाम से मुक्ति दिलाने का कोई प्रयास किसी ओर से नहीं हो रहा है। जिसके कारण ये मुसीबत अब सिरदर्द बनकर हर किसी को परेशान किए हुई है। यूं तो जाम की कई वजहें हैं लेकिन जो सबसे मेन वजह है वह है विभागों में आपसी तालमेल का अभाव। जिसका नजारा सोमवार को पूरा दिन शहर की सड़कों पर देखने को मिला और शहर का हर इलाका जाम में जकड़ा दिखा और अंधरापुल, चौकाघाट, चौक, मैदागिन समेत हर इलाका जाम की जद में था।

पीएम के क्षेत्र का ये हाल

शर्म इस बात पर नहीं आती कि बनारस के जाम से बनारस में आने वाले देश विदेश के सैलानियों के आगे बनारस की छवि बिगड़ रही है बल्कि शर्म तो इस बार पर आती है कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में यातायात प्रबंधन हाशिये पर है। सड़कों का हाल बद से बदतर है। जाम के झाम से जनता कराह रही है लेकिन किसी के कान में जूं नहीं रेंग रही है। महज पंद्रह मिनट के सफर को पूरा करने में कम से कम एक घंटा या उससे अधिक का समय लग जाये तो चौंकने वाली बात नहीं है। हर सड़क जाम में फंसी है और प्रशासन और पुलिस सिर्फ खानापूर्ति कर पब्लिक को बेवकूफ बनाने का काम कर रही है। जिला मुख्यालय से लंका तक की दूरी तय करने में जहां पसीने छूट रहे हैं। वहीं गिलट बाजार से लंका तक के सफर को पूरा करने में गाड़ी का क्लच और ब्रेक दबाते दबाते हाथ और पैरों में दर्द होने लग रहा है। हर दस कदम पर सड़क खोदकर छोड़ी गई है। जिससे जाम का दंश पब्लिक को परेशान किए हुआ है।

आपसी सामंजस्य का अभाव

सड़क खोदाई और निर्माण के नाम पर पूरे दिन अलग-अलग इलाकों में काम चलता रहता है। ये हाल तब है जब कमिश्नर ने आदेश दिया था कि रात आठ बजे के बाद सड़कों पर काम लगे ताकि आम जनता को राहत रहे लेकिन प्रशासन की हनक अब इतनी कम हो गयी है कि जिस कार्यदायी संस्था, सरकारी विभाग, ठेकेदार का मन करता है वहीं सड़क खोदकर अपना काम शुरू कर देता है। एक साथ शहर के चारों तरफ खोदाई के चलते जाम की समस्या बनी रहती है। वहीं चल रहे काम की कोई निगरानी न होने से हर ओर अराजकता का माहौल है जो जाम को बढ़ावा दे रहा है।

इन वजहों पर गौर फरमाये साहब

- सड़कों का टूटा-फूटा होना जाम को बढ़ा रहा है

- बेवक्त और बेतरतीब ढंग से जगह-जगह हो रही खोदाई जाम की बड़ी वजह है

- खोदी गयी सड़कों की मरम्मत तुरंत ना होने से जाम लग रहा है

- अतिक्रमण तो हट रहा है लेकिन इस पर सख्ती नहीं हो पा रही है

- सड़कों की दुर्दशा के लिए किसी किसी भी सरकारी विभाग की जिम्मेदारी तय नहीं है

- विकास प्राधिकरण, नगर निगम, विद्युत विभाग, लोक निर्माण व कार्यदायी संस्थाओं में तालमेल नहीं है

- सबसे बड़ी वजह है लोगों में ट्रैफिक सेंस का अभाव जो जाम को बढ़ाने का मेन कारण है