वाराणसी (ब्यूरो)छात्रों का कहना था कि एक आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति को पहले दवा बाहर से खरीदने के लिए कहा गया और जब मरीज की हालत गंभीर हो गई तो उसे दिल्ली रेफर कर पल्ला झाड़ लिया गया है। वहीं, इस मामले को लेकर छात्र जब एमएस केके गुप्ता से कार्रवाई की मांग कर रहे थे तब कैमरे में कैद कर रहे लोगों को रिकार्डिंग नहीं करने की बात कह कर बदतमीजी पर उतर आए और बोलने लगे कि । कैमरा बंद करो, यहां कोई रिकार्डिंग नहीं होगी

ये है मामला
बीएचयू के सर सुंदरलाल हॉस्पिटल में कार्डियो के डॉक्टर संजय कुमार पर कुछ छात्रों ने आरोप लगाते हुए कहा हक का दो माह पहले हॉस्पिटल में चंदा करके एक आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति का इलाज कराया जा रहा था। छात्रों का आरोप है कि पीडि़त व्यक्ति से कहा गया कि उसे दवा बाहर के एक दुकान से लेना होगा और इसके लिए लगभग डेढ़ लाख रुपए भी जमा करा लिया गया। इतना ही नहीं, पैसे जमा कराए जाने के बाद उसका ऑपरेशन किया गया, लेकिन सुधार होता न देख मरीज को एम्स रेफर कर दिया गया। छात्रों ने बताया कि डॉ। संजय कुमार पर पहले भी दवा की दलाली किए जाने का आरोप लग चुका है, लेकिन अब तक बीएचयू प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

तैनात गार्डों की दबंगई
इधर, जब सर सुंदरलाल अस्पताल के एमएस कार्यालय में छात्र और एमएस के बीच बातचीत का दौर चल रहा था तो वहां मौजूद गार्डों ने अपनी दबंगई दिखाते हुए कैमरे नहीं चलाने के लिए रोका। जब पूरे गतिविधि की रिकॉर्डिंग वहां के मौजूद लोगों की तरफ से करने की कोशिश की गई तो गार्डांें ने कहा कि यहां रिकार्डिंग करना मना है।

पहले भी विवादों से रहा नाता
जानकारी के मुताबिक कार्डियो विभाग के डॉक्टर संजय कुमार का विवादों से पुराना नाता रहा है। उनके खिलाफ पूर्व में भी एमएस को आवेदन दिए गए हैें और जांच के नाम पर कमेटी बनाकर आश्वासन दे दिया गया, लेकिन उन पर कार्रवाई आज तक नहीं हुई है। इस बात को एमएस केके गुप्ता ने भी स्वीकार किया है ऐसे समस्याएं पहले भी आई हैं।

इस तरह की मिलती-जुलती खबरें पहले भी आई है और विवि प्रशासन ने मामले को लेकर इंक्वायरी कमेटी गठित कर रखी है। अब इस समस्या को लेकर अधिकारियों से बात करुंगा और जो भी उचित कार्रवाई होगी वो करेंगे।
- केके गुप्ता, एमएस, सर सुंदरलाल हास्पिटल

अस्पताल में दवाई की दलाली बहुत दिनों से होती आई है। कॉर्डियो के डॉक्टर संजय कुमार के खिलाफ हमारा मुद्दा है, क्योंकि वो हमेशा दवाई के लिए मरीजों को बाहर ही भेजते हैं और किसी का केस बिगड़ जाता है तो बाहर रेफर कर देते हैें।
गिरीश सिंह, छात्र