-वन विभाग की ओर से गंगा में 831 कछुओं को छोड़ा गया

-राजघाट से मणिकर्णिका तक छोड़े गये कछुए

VARANASI

गंगा की सफाई के लिए वन विभाग की ओर से बुधवार को 8फ्क् कछुओं को गंगा में छोड़ा गया है। गंगा कछुआ सेंचुरी एरिया में सफाई के लिए इन कछुओं को छोड़ा गया। वन विभाग की टीम ने मणिकर्णिकाघाट से राजघाट के बीच में अलग-अलग जगहों पर कछुए छोड़े हैं। प्रभागीय वन अधिकारी मनोज कुमार की टीम बुधवार को राजघाट पहुंची यहां पर नाव से मणिकर्णिका घाट पर कछुए छोडे़ गए। इस दौरान उप प्रभागीय वनाधिकारी सीएम त्रिपाठी, वनाधिकारी कछुआ पुर्नवास केंद्र सारनाथ के शरद कुमार सिंह भी शामिल रहे।

कछुआ प्रजनन केंद्र में हुई हैचरिंग

डीएफओ ने बताया कि ख्0क्ख्-क्फ् में चंबल नदी के किनारे रेत से अंडे लाए गए थे। अंडे ढोड़ और पचेड़ा प्रजाति के कछुओं के हैं। इन अंडों की सारनाथ स्थित कछुआ प्रजनन केंद्र में हैच¨रग की गई। इसके बाद केंद्र के तालाब में पाल पोस कर कछुओं को इस लायक बनाया गया है कि वे गंगा की धारा में जीवित रह कर गंदगी की सफाई कर सकें।

सात किलोमीटर है कछुआ सेंक्चुरी

राजघाट से लेकर रामनगर तक करीब सात किलोमीटर के एरिया में कछुआ सेंक्चुरी फैली हुई है। गंगा में समय-समय पर छोड़े जाने वाले कछुए गंगा में डाली जाने वाली गंदगी को साफ करते हैं।

गंगा में सबसे ज्यादा पूजा सामग्री और अधजली लाशें डाली जाती हैं। इससे गंगा तो प्रदूषित होती ही हैं साथ ही गंगा में रहने वाले मछलियां व जलीय जीव को भी नुकसान पहुंचता है। इसी को ध्यान में रखते हुए गंगा सफाई अभियान के तहत वन विभाग की देखरेख में कछुआ सेंक्चुरी की स्थापना की गई।