-बैंक लॉकर्स में सामान रख कर अक्सर भूल जाते हैं एकाउंट होल्डर्स

-लॉकर में पड़े पड़े खराब हो जाते हैं कागजात, बैंक भी झाड़ लेते हैं पल्ला

-रहें एलर्ट और हमेशा चेक करते रहें अपना बैंक लॉकर

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ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ: जैतपुरा के रहने वाले डॉ संजय सैगल के बांसफाटक स्थित केनरा बैंक के लॉकर में रखे जमीन, फ्लैट और पॉलिसी के कागजात को दीमक चट कर गई। जिसके बाद डॉ सैगल ने चौक थाने में बैंक के खिलाफ कम्प्लेन की है।

ये एक घटना ये बताने के लिए काफी है कि बैंक लॉकर में रखे सामान सेफ नहीं हैं। अगर आपका बैंक में लॉकर है और आपने उसमें अपने इंपार्टेट पेपर्स या दूसरी चीजें रखी हैं तो प्लीज, उसे चेक करते रहें। नहीं तो हो सकता है कि आपके जरुरी कागजात या तो दीमक चाट जाये या फिर नमी के कारण वो खराब हो जाएं। अगर ऐसा कुछ हो जाये तो बैंक भी इससे अपना पल्ला झाड़ सकता है। इसलिए बेहतर होगा कि अपने बैंक लॉकर को टाइम टू चेक करते रहें। ताकि आपकी कीमती चीजें सेफ रहे।

बहुत लेजी है पब्लिक

बैंक लॉकर्स को लेकर पब्लिक बहुत लेजी है। ऐसा हमारा नहीं बल्कि कई बैंक मैनेजर्स का कहना है। इस बारे में हमने जब अलग-अलग बैंक के मैनेजर्स से बात की तो लगभग सभी ने कहा कि लोग पहले बैंक लॉकर किराये पर ले तो लेते हैं लेकिन फिर उसका प्रॉपर यूज करते नहीं हैं। कुछ लोग करते भी हैं तो लॉकर्स में सामान रखकर भूल जाते हैं और मुद्दत बाद आकर लॉकर खोलते हैं। सामान खराब होने पर बैंक को जिम्मेदार ठहराते हैं, जबकि इस मामले में बैंक की कोई जिम्मेदारी नहीं होती है।

पुरानी ब्रांचेज में हैं खस्ताहाल

नये खुली बैंक की ब्रांचेज में तो लॉकर रुम ठीक ठाक हैं लेकिन कई ऐसे पुराने ब्रांचेज में जहां कि पुरानी बिल्डिंग में बने बैंक ब्रांच में लॉकर रुम की हालत बहुत खस्ता है। कई बार लॉकर रुम तक पब्लिक समेत बैंक कर्मचारियों की भी पहुंच नहीं होती है। जब कोई एकाउंट होल्डर लॉकर यूज करने के लिए आता है तभी लॉकर रुम का गेट ओपेन किया जाता है। नॉर्मली ये रुम बंद रहता है।

ये संभव नहीं है

हालांकि बैंक लॉकर में दीमक लगने की बात को एसबीआई के डीजीएम बीके दास मानने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि ये संभव नहीं है कि किसी बैंक के लॉकर में दीमक लग जाये। क्योंकि पूरे देश में लगे बैंक लॉकर्स को बनाने का काम तीन बड़ी कंपनी ही करती हैं और ये लॉकर इतनी मोटी चादर के बनाये जाते हैं कि इनमें दीमक लगना तो दूर इसे काटा भी नहीं जा सकता। डीजीएम के मुताबिक पब्लिक अगर कोई खराब सामान लॉकर में रखेगी तभी लॉकर में रखा सामान खराब होगा नहीं तो ये पॉसीबल नहीं है।

आसान नहीं है लॉकर पाना

- बैंक में लॉकर लेने के लिए संबधित बैंक में खाता होना जरुरी है

- लॉकर हर एकाउंट होल्डर को नहीं दिया जाता

- पुराने कस्टमर या फिर बड़े कस्टमर्स को ही बैंक लॉकर देते हैं

- बैंक में लॉकर देने से पहले बैंक से निर्धारित एमाउंट की फिक्स डिपाजिट बनवानी होती है

- लॉकर के लिए बैंक तीन साल का रेंट एक साथ जमा करा लेता है

- बैंक लॉकर में करेंसी नहीं रखी जा सकती

- बैंक लॉकर ओपन होने के बाद हर लॉकर रुम में या लॉकर में बैंक की ओर से होने वाली कोई गलती के ही बैंक जिम्मेदार है

- तीन साल तक अगर बैंक लॉकर का यूज कोई एकाउंट होल्डर नहीं करता है तो उसको बैंक नोटिस इश्यू करेगा

- नोटिस का जवाब न देने और बैंक आकर लॉकर चेक न करने की हालत में बैंक फिर से नोटिस इश्यू करता है

- तीन साल तक बैंक लॉकर का यूज न करने और लॉकर की चॉभी लॉकर होल्डर की ओर से बैंक में न देने पर बैंक लॉकर होल्डर के खिलाफ लीगल एक्शन भी ले सकता है

सावधानी है जरुरी

- बैंक लॉकर में रखे सामानों को अपनी ओर से बनाये गए बिल में जरुर शामिल करें

- ताकि आपके बाद लॉकर में मौजूद सामान के लिए बैंक आपकी ओर से बताये नॉमिनी को यूज करने के दे बैंक लॉकर

- साल में कम से कम तीन बार अपने बैंक लॉकर को जरुर चेक करे

- बैंक लॉकर की चाभी संभाल कर रखे क्योंकि चाभी खो जाने पर बैंक से डुप्लीकेट चाभी इश्यू कराने में होती है प्रॉब्लम

- कोशिश करें कि बैंक लॉकर में इंपार्टेट पेपर न रखें

बैंक के लॉकर में दीमक लगना संभव ही नहीं है। ये हो सकता है कि कोई लॉकर में पहले से खराब पेपर रखे और बाद में बैंक पर आरोप लगाये। नहीं तो बैंक लॉकर में किसी कागजात के खराब होने का कोई चांस ही नहीं है।

-बीके दास, डीजीएम, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया

बैंक के लॉकर्स गुड कंडीशन में होते हैं। पेस्ट कंट्रोल से लेकर बाकी जिम्मेदारी हमारी है लेकिन लॉकर के अंदर क्या है ये हम नहीं देख सकते। इसके लिए खुद लॉकर होल्डर को अपना लॉकर समय समय पर चेक करना होगा।

-एसएस बिंब्स, डीजीएम यूनियन बैंक ऑफ इंडिया