- 8 किमी का दायरा है आदिकेशव से लेकर पिसौर तक

- 16 मुहल्ले आते हैं इस दायरे में

- 3 हजार से अधिक मकान हैं बाढ़ से प्रभावित

- 30 लाख का नुकसान हो चुका है बाढ़ से

यह दुश्वारियां कुछ दिन के लिए हर साल आती हैं लेकिन इसका दर्द पूरे 365 दिन रहता है। कोरोना की मार से पब्लिक पहले से ही परेशानी है। इसी बीच वरुणा नदी में आई बाढ़ ने लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। शनिवार को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने नाव पर बैठकर बाढ़ प्रभावित ढेलवरिया से लेकर पुराना पुल तक क्षेत्रों का दौरा किया तो कई ऐसी तस्वीर और दृश्य सामने आए। जिसे देखकर मन व्यथित हो गया। करीब 832 घर ऐसे मिले, जिसमें वरुणा का पानी भरा गया है। हालांकि आदिकेशव से लेकर पिसौर तक का इलाका बाढ़ से प्रभावित है। बाढ़ के चलते लोगों ने पलायन शुरू कर दिया। सिर पर सामान रखकर सुरक्षित जगह पर पहुंचा रहे थे। कई परिवार ऐसे भी मिले, जो ग्राउंड फ्लो से दूसरे फ्लो पर शिफ्ट हो गए। चोरी के डर से कई परिवार ने तो पानी से घिरे मकान में ही डेरा डाला रखा है, जबकि कई परिवारों ने अपने रिश्तेदार तो कईयों ने राहत कैम्प में आसरा ले लिया है।

दो दिन में बढ़ा 8 फीट पानी

स्थानीय लोगों के अनुसार गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु पार करते ही वरुणा नदी में जबर्दस्त उलट प्रवाह हुआ है। पिछले दो दिन में वरुणा में आठ फीट पानी बढ़ा है। स्थानीय लोगों के अनुसार शुक्रवार सुबह से शाम तक करीब तीन फीट पानी बढ़ा था, लेकिन शनिवार को अचानक पांच फीट पानी और बढ़ा है। इसके चलते कई घर पानी में डूब गए।

832 घरों में घुसा वरुणा पानी

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने ढेलवरिया, शैलपुत्री, सरैया और पुराना पुल तक नाव से बाढ़ प्रभावित मुहल्लों का दौरा किया तो वरुणा कारिडोर के दोनों ओर करीब 832 घर ऐसे मिले, जिसमें बाढ़ का पानी लबालब भरा मिला। परिवार के लोग इससे निजात पाने की जद्दोजहद में जुटे रहे। कई लोगों ने नाव के सहारे जरूरी सामान लेकर कहीं और शिफ्ट कर लिया। कुछ परिवारों ने राहत कैम्प में तंबू गाड़कर रहना शुरू कर दिया है।

30 लाख का नुकसान

बनारस में वरुणा नदी का दायरा आदिकेशव से लेकर पिसौर तक है। करीब आठ किमी के दायरे में करीब 16 मुहल्ले हैं, जिसमें तीन हजार से अधिक मकान हैं, जो बाढ़ से प्रभावित है। एक अनुमान के अनुसार बाढ़ से करीब तब तक 30 लाख रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है।

लोगों को राहत पहुंचाने जुटे हैं 18 नावें

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की मदद के लिए तहसील प्रशासन की ओर से कुल 18 नावों को लगाया गया है। नावों से लोगों को अन्य जगहों पर शिफ्ट किया जा रहा है। प्रभारी गोविंद साहनी ने बताया कि सुबह 7 से शाम 7 बजे तक कोनिया से लेकर सरैया तक पानी में घिरे पीडि़त परिवारों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया जा रहा है। अब करीब तीन हजार से अधिक लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है। एक नाव पर दो लोग तैनात हैं, जो पीडि़तों की मदद कर रहे हैं। गोविंद के अनुसार रविवार को नावों की संख्या बढ़ाई जाएगी।

2013 से भी भयावह हो सकती है स्थिति

वरुणा नदी में हर साल बाढ़ आती है, लेकिन 2013 की स्थिति काफी भयावह थी। इस दौरान लोगों को भारी नुकसान हुआ था। हालांकि 2016 और 2018 की बाढ़ ने लोगों को काफी परेशान किया था। स्थानीय लोगों के अनुसार अगस्त के शुरुआत में पानी का लेवल इतना बढ़ा गया है, जबकि सितम्बर बाकी है। अगर यही स्थिति रही तो इस बार की बाढ़ 2013 से भी भयावह हो सकती है।

2013 में आई बाढ़ को याद कर आज भी रौंगटे खड़े हो जाते हैं। पूरे ढेलवरिया मुहल्ले में नाव चल रहती थी। करीब पांच हजार आबादी घरों में कैद था। प्रशासन की अपेक्षा सामाजिक संगठनों ने काफी राहत सामग्री पहुंचाई थी।

-अर्जुन मौर्या

2013 में तो बहुत भयावह बाढ़ आई थी। वह भी तीन बार। अंतिम बार में करीब 45 दिन तक पानी जमा होने के कारण बदबू आने लगी थी। पानी में आने-जाने से पैर में इंफेक्शन हो गया था। इस बार भी ऐसी स्थिति दिख रही है।

-उषा देवी

हर साल बाढ़ आती है। नदी किनारे होने के कारण एक से दो महीने तक काफी परेशानी होती है। हालांकि हर बार हम लोग तैयारी कर लेते थे, लेकिन इस बार अचानक पानी से बढ़ने तैयारी नहीं थी। इसके चलते काफी नुकसान हुआ है।

-आरती श्रीवास्तव