-नक्शा पास करने से पहले बिल्डिंग और अपार्टमेंट में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य फिर भी लापरवाही

-डीएलडब्ल्यू कैंपस में बारिश का पानी संजोने से दो मीटर बढ़ा वाटर लेवल

रेन वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर सरकार ने प्रयास तो किये लेकिन सफलता नहीं मिल रही है। धरती को फिर से पानीदार करने के लिए जल संचय जरुरी है। शासन स्तर पर इसके लिए योजना भी बनाई थी। वीडीए की ओर से नक्शा पास करने से पहले हर सरकारी बिल्डिंग और अपार्टमेंट में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जाना तय हुआ। पर ये योजना फेल हो रही है। बारिश का पानी शहर की सड़कों को तालाब बना रहा है पर धरातल का कंठ सूख रहा है।

पूर्ण एनओसी लिए बगैर इमारतें खड़ी

वीडीए द्वारा 300 वर्ग मीटर क्षेत्र में बनने वाली किसी भी नई इमारत में वाटर हार्वेस्टिंग बनाना अनिवार्य किया गया है। योजना के तहत सरकारी या निजी इमारत को बनाने के लिए विभाग को दिया गया नक्शा तभी पास किया जाएगा जब तक वह वहां वाटर हार्वेवेस्टिंग सिस्टम बनाने की हामी न भर दें। इसके लिए वीडीए एक लाख रूपए जमा कराता है। जिसे तभी वापस किया जाता है जब भवन मालिक पूर्ण एनओसी लेने के लिए वापस आता है। लेकिन इधर न भवन मालिक वापस आता है और न ही वीडीए के अधिकारी सुध लेने जाते हैं।

डीएलडब्ल्यू ने कर दिया कमाल

बनारस में स्थापित डीजल रेल कारखाना यानी डीरेका ने तो जल संचयन की दिशा में कमाल कर दिया। कई एकड़ में फैले परिसर को रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से जोड़ दिया है। बारिश का एक बूंद पानी भी बर्बाद नहीं होता है। जानकार बताते हैं कि जल संचयन की ऐसी व्यवस्था कहीं नहीं है। परिसर का बरसाती पानी को एक स्थान पर एकत्रित करने के लिए रवींद्रनाथ टैगोर पार्क के मध्य तालाब बनाया गया है। इसके अलावा परिसर में जितने भी मैदान हैं उसमें जगह-जगह बोरिंग की गई है।

तिब्बती संस्थान भी संजो रहा जल

सारनाथ स्थित केंद्रीय तिब्बती अध्ययन संस्थान में भी वृहद रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया गया है। संस्थान में 2010 में सबसे पहले प्रशासनिक भवन के साथ मुख्य भवन को रेन वाटर हार्वेस्टिंग से जोड़ा गया। इसके बाद 2013 में सभी संकायों को फिर 2014 में हॉस्टल व आवासीय भवनों को रेन वाटर सिस्टम से जोड़ा गया। वर्तमान में पूरा परिसर सिस्टम से जुड़ चुका है।

ये भी हैं शामिल

बीएचयू, अग्रसेन महिला पीजी कॉलेज परमानंदपुर, यूपी कॉलेज आदि में भी जल संचयन की व्यवस्था की गई है। शहर में पांडेयपुर निवासी जल प्रहरी सजल श्रीवास्तव, लक्सा निवासी इंद्रपाल सिंह आदि ने भी घर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित किया है।

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जल संकट को देखते हुए डीएलडब्ल्यू ने संचयन की दिशा में नजीर पेश किया है। आज यहां का वाटर लेवल दो मीटर ऊपर उठ चुका है। जल ही जीवन है तो इसको सहेजने में सभी को योगदान देना चाहिए।

नितिन मेहरोत्रा, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, डीएलडब्ल्यू

यूनिवर्सिटी में जल संचयन की शुरुआत बड़ा लक्ष्य था। लोगों को भरोसा नहीं हुआ था कि परिसर को रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से जोड़ा जा सकता है लेकिन संकल्प पूरा हुआ।

देवराज सिंह, रजिस्ट्रार, केंद्रीय तिब्बती अध्ययन संस्थान

इन विभागों में भी है व्यवस्था

विकास भवन

कमिश्नरी

सर्किट हाउस

डीएम आवास